विषयसूची:हिंदी रस गंगाधर.djvu

शीर्षक हिंदी रसगंगाधर
लेखक श्रीगोकुलनाथ
अनुवादक
संपादक
वर्ष १९१७
प्रकाशक इण्डियन प्रेस
पता इलाहाबाद
स्रोत djvu
प्रगति शोधित
खंड
पृष्ठ
प्रकाशक परिचय परिचय निवेदन १० ११ १२ १३ १४ १५ १६ १७ १८ १९ २० २१ २२ २३ २४ २५ २६ २७ २८ २९ ३० ३१ ३२ ३३ ३४ ३५ ३६ ३७ ३८ ३९ ४१ ४२ ४३ ४४ ४५ ४६ ४७ ४८ ४९ ५० ५१ ५२ ५३ ५४ ५५ ५६ ५७ ५८ ५९ ६० ६१ ६२ ६३ ६४ ६५ ६६ ६७ ६८ ६९ ७० ७१ ७२ ७३ ७४ ७५ ७६ ७७ ७८ ७९ ८० ८१ ८२ ८३ ८४ ८५ ८६ ८७ ८८ ८९ ९० ९१ ९२ ९३ ९४ ९५ ९६ ९७ ९८ ९९ १०० १०१ १०२ १०३ १०४ १०५ १०६ विषय-सूची विषय-सूची विषय-सूची विषय-सूची विषय-सूची विषय-सूची १० ११ १२ १३ १४ १५ १६ १७ १८ १९ २० २१ २२ २३ २४ २५ २६ २७ २८ २९ ३० ३१ ३२ ३३ ३४ ३५ ३६ ३७ ३८ ३९ ४० ४१ ४२ ४३ ४४ ४५ ४६ ४७ ४८ ४९ ५० ५१ ५२ ५३ ५४ ५५ ५६ ५७ ५८ ५९ ६० ६१ ६२ ६३ ६४ ६५ ६६ ६७ ६८ ६९ ७० ७१ ७२ ७३ ७४ ७५ ७६ ७७ ७८ ७९ ८० ८१ ८२ ८३ ८४ ८५ ८६ ८७ ८८ ८९ ९० ९१ ९२ ९३ ९४ ९५ ९६ ९७ ९८ ९९ १०० १०१ १०२ १०३ १०४ १०५ १०६ १०७ १०८ १०९ ११० १११ ११२ ११३ ११४ ११५ ११६ ११७ ११८ ११९ १२० १२१ १२२ १२३ १२४ १२५ १२६ १२७ १२८ १२९ १३० १३१ १३२ १३३ १३४ १३५ १३६ १३७ १३८ १३९ १४० १४१ १४२ १४३ १४४ १४५ १४६ १४७ १४८ १४९ १५० १५१ १५२ १५३ १५४ १५५ १५६ १५७ १५८ १५९ १६० १६१ १६२ १६३ १६४ १६५ १६६ १६७ १६८ १६९ १७० १७१ १७२ १७३ १७४ १७५ १७६ १७७ १७८ १७९ १८० १८१ १८२ १८३ १८४ १८५ १८६ १८७ १८८ १८९ १९० १९१ १९२ १९३ १९४ १९५ १९६ १९७ १९८ १९९ २०० २०१ २०२ २०३ २०४ २०५ २०६ २०७ २०८ २०९ २१० २११ २१२ २१३ २१४ २१५ २१६ २१७ २१८ २१९ २२० २२१ २२२ २२३ २२४ २२५ २२६ २२७ २२८ २२९ २३० २३१ २३२ २३३ २३४ २३५ २३६ २३७ २३८ २३९ २४० २४१ २४२ २४३ २४४ २४५ २४६ २४७ २४८ २४९ २५० २५१ २५२ २५३ २५४ २५५ २५६ २५७ २५८ २५९ २६० २६१ २६२ २६३ २६४ २६५ २६६ २६७ २६८ २६९ २७० २७१ २७२ २७३ २७४ २७५ २७६ २७७ २७८ २७९ २८० २८१ २८२ २८३ २८४ २८५ २८६ २८७ २८८ २८९ २९० २९१ २९२ २९३ २९४ २९५ २९६ २९७ २९८ २९९ ३०० सूची सूची सूची सूची सूची सूची सूची सूची सूची सूची सूची सूची सूची

 

विषय-सूची

विषय पृष्ठाङ्क विषय पृष्ठाङ्क
मङ्गलाचरण वाच्य चित्रों को किस भेद में समझना चाहिए? ४९
गुरु-वन्दना अधम काव्य ४९
प्रबन्ध-प्रशंसा अधमाधम भेद क्यों नहीं माना जाता ५०
अन्य निबन्धों से विशेषता प्राचीनों के मत का खण्डन ५०
निर्माता और निबन्ध का परिचय शब्द अर्थ दोनों चमत्कारी हो तो किस भेद मे समावेश करना चाहिए? ५२
शुभाशंसा ध्वनिकाव्य के भेद ५४
काव्य का लक्षण रस का स्वरूप और उसके विषय में ग्यारह मत ५५
काव्य का कारण १९ प्रधान लक्षण ५५
काव्यों के भेद २५ १-अभिनव गुप्ताचार्य और मम्मट भट्ट का मत ५५
उत्तमोत्तम काव्य २६ (क) ५५
उत्तम काव्य ४२ (ख) ५९
उत्तमोत्तम और उत्तम भेदों में क्या अन्तर है? ४५ (ग) ६१
चित्र-मीमांसा के उदाहरण का खंडन ४५
मध्यम काव्य ४८
विषय पृष्ठांक विषय पृष्ठांक
२–भट्टनायक का मत ६३ स्थायी भाव ८४
३–नवीन विद्वानों का मत ६७ रसों और स्थायी भावों का भेद ८५
४–अन्य मत ७३ ये स्थायी क्यों कहलाते हैं? ८५
५–एक दल (भट्ट लोल्लट इत्यादि) का मत ७६ स्थायी भावों के लक्षण ८८
६–कुछ विद्वानों (श्री शंकुक प्रभृति) का मत है ७७ १ रति ८८
७–कितने ही कहते हैं ७७ २ शोक ८८
८–बहुतेरों का कथन है ७७ ३ निर्वेद ८९
९–इनके अतिरिक्त कुछ लोग कहते हैं ७७ ४ क्रोध ८९
१०–दूसरे कहते हैं ७८ ५ उत्साह ९०
११–तीसरे कहते हैं ७८ ६ विस्मय ९०
पूर्वोक्त मतों के अनुसार भरतसूत्र की व्याख्याएँ ७८ ७ हास ९०
विभावादिकों में से प्रत्येक को रस-व्यञ्जक क्यों नहीं माना जाता ८० ८ भय ९०
रस कौन-कौन कितने हैं ८२ ९ जुगुप्सा ९१
विभाव, अनुभाव और व्यभिचारी भाव ९१
विभावादि के कुछ उदाहरण ९१
रसों के अवांतर भेद और उदाहरण आदि ९३
विषय पृष्ठांक विषय पृष्ठांक
शृङ्गार रस ९३ विरोधी रस के वर्णन की आवश्यकता १३७
करुणरस ९७ रस-वर्णन में दोष १३९
शान्तरस ९७ अनौचित्य १४२
रौद्ररस १०० अनौचित्य से रस की पुष्टि १४६
वीर-रस १०४ गुण १४७
अद्भुत रस ११७ अत्यन्त प्राचीन आचार्यों का मत १५३
हास्यरस ११९ शब्द-गुण १५३
हास्य के भेद १२० श्लेष १५३
भयानक रस १२२ प्रसाद १५४
बीभत्स रस १२३ समता १५५
'हास्य' और 'जुगुप्सा' का आश्रय कौन होता है? १२४ माधुर्य १५५
रसालङ्कार १२५ सुकुमारता १५६
ये 'असंलक्ष्यक्रमव्यंग्य' क्यों कहलाते हैं? १२६ अर्थव्यक्ति १५६
रस नौ ही क्यों हैं? १२६ उदारता १५७
रसों का परस्पर अविरोध और विरोध १२८ ओज १५८
विरुद्ध रसों का समावेश १२९ कान्ति १५९
अन्य प्रकार से विरोध दूर करने की युक्ति १३४ समाधि १५९
अर्थगुण १६०
विषय पृष्ठांक विषय पृष्ठांक
श्लेष १६० भाव २०२
प्रसाद १६१ भाव का लक्षण २०२
समता १६२ भाव किस तरह ध्वनित होते हैं? २०६
माधुर्य १६३ भावो के व्यंजक कौन हैं? २०७
सुकुमारता १६४ भावो की गणना २०८
अर्थव्यक्ति १६५ 'वात्सल्य' रस नही है २०८
उदारता १६६ १–हर्ष २०९
ओज १६६ २–स्मृति २१०
कान्ति १७१ ३–व्रोडा (लज्जा) २१४
समाधि १७१ ४–मोह २१६
अन्य आचार्यों का मत १७२ ५–धृति २१८
गुण २० न मानकर ३ ही मानने चाहिए १७२ ६–शङ्का २१९
माधुर्य-व्यञ्जक रचना १७६ ७–ग्लानि २२०
ओजो-व्यञ्जक रचना १७८ ८–दैन्य २२२
प्रसाद-व्यञ्जक रचना १७९ ९–चिन्ता २२४
रचना के दोष १८२ १०–मद २२६
साधारण दोष १८२ ११–श्रम २२९
विशेष दोष १८९ १२–गर्व २३१
संग्रह १९९ १३–निद्रा २३२
१४–मति २३३
विषय पृष्ठांक विषय पृष्ठांक
१५–व्याधि २३४ भाव ३४ ही क्यों हैं? २६८
१६–त्रास २३५ रसाभास २६९
१७–सुप्त २३७ रसाभास रस ही है अथवा उससे भिन्न? २७०
१८–विबोध २३९ विप्रलम्भाभास २७६
१९–अमर्ष २४२ भावाभास २७८
२०–अवहित्थ २४३ भावशान्ति २८०
२१–उग्रता २४५ भावोदय २८१
२२–उन्माद २४७ भावसन्धि २८२
२३–मरण २४८ भावशबलता २८३
२४–वितर्क २५० शबलता के विषय में विचार २८४
२५–विषाद २५१ भावशान्ति आदि की ध्वनियों में भाव प्रधान होते हैं, अथवा शान्ति आदि? २८६
२६–औत्सुक्य २५३ रसों की शान्ति आदि की ध्वनियाँ क्यों नहीं होतीं? २९१
२७–आवेग २५४ रस भाव आदि अलक्ष्य क्रम ही हैं अथवा लक्ष्य क्रम भी २९१
२८–जड़ता २५५
२९–आलस्य २५७
३०–असूया २५९
३१–अपस्मार २६२
३२–चपलता २६३
३३–निर्वेद २६५
३४–देवता आदि के विषय में रति २६६
विषय पृष्ठांक विषय पृष्ठांक
ध्वनियों के व्यंजक २९६ प्रबंधध्वनि २९९
पदध्वनि २९६ पदैकदेशध्वनि २९९
वर्ण, रचना ध्वनि २९७ रागादिकों की भी व्यंजकता ३००
वाक्यध्वनि २९९ एक विचार ३००
 

 

'हिंदी-रसगंगाधर' में आए हुए पद्यों की सूची

संस्कृत-पद्य

पद्य का प्रथमांश पृष्ठांक पद्य का प्रथमांश पृष्ठांक
अयि मन्दस्मित १९५
अकरुण मृषाभाषा २३८ अयि मृगमद १९६
अकरुणहृदय २४७ अलकाः फणिशाव १९३
अदृश्यदशनो हासो १२१ अवधौ दिवसावसान २०९
अधरद्युतिरस्तपल्लवा २२५ अवाप्य भर्ङ्ग २४६
अध्वव्यायामसेवाद्यैः २२९ अष्टावेव रसाः ८४
अनुभावपिधानार्थो २४३ अहितव्रत पापा २६३
अनुभावास्त्वमी तूष्णा २५६
अनौचित्यादृते १४५ आकुञ्चिताक्षि मन्द्रं च १२१
अपहाय सकल ९७ आत्मस्थः परसंस्थश्च १२०
अपि बहलदहनजालं ११५ आमूलाद्रत्नसानोः २३१
अपि वक्ति गिरां पति: ११४ आयातैव निशा २००
अमर्षप्रातिकूल्येर्ष्या २६३ आलीषु केलीरभसेन २३६
अयाचितः सुखं १६९ आविर्भूता यदवधि ९५
अयि पवनरयाणां २५२ आसाय सलिलभरे १९५
पद्य का प्रथमांश पृष्ठांक पद्य का प्रथमांश पृष्ठांक
कालागुरुद्रवं सा २०५
इयमुल्लसिता मुखस्य १९४ कार्याविवेको जड़ता २५६
किञ्चिल्लक्षितदन्तश्च १२१
उत्क्षिप्ता: कबरीभरं १३६ किब्रूमस्तव वीरतां १५४
उत्तमानां मध्यमाना १२० कियदिदमधिकं मे १०४
उत्पत्तिर्जमदग्नितः १०८ कुचकलशयुगान्त २१५
उत्फुल्लनासिको हासो १२१ कुण्डलीकृतकोदण्ड १३०
उपनायक संस्थायां २७४ कुत्र शैवं धनुरिदं २५९
उल्लासः फुल्लपङ्के ५३ कृतमनुमतं दृष्टं १०३
उषसि प्रतिपक्ष २८७ क्षमापणैकपदयोः २८८
एकैकशो द्वन्द्वशो वा २३४ खण्डितानेत्रकञ्जालि १६८
एभिर्विशेषविषयैः १९९
एवंवादिनि देवर्षौ २९२ गणिकाजामिलमुख्यान् १७०
गाढमालिङ्ग्य सकलां २४१
ओण्णिद्दं दोव्वल्लं ३६ गुरुमध्यगता मया ३०
गुरुमध्ये कमलाक्षी १६५
औत्पातिकैर्मनः क्षेपः २३६
चराचरजगज्जाल ११७
कलितकुलिशघाता: १९२ चित्तौत्सुक्यान्मनस्तापात् २२२
कस्तूरिकातिलक १९८ चित्रं महानेष ११८
पद्य का प्रथमांश पृष्ठांक पद्य का प्रथमांश पृष्ठांक
चिन्तामीलितमानसो १७९
चिरं चित्तेऽवतिष्ठन्ते ८६ न कपोतकपोतकम् ११०
चुम्बनं देहि मे भार्ये १६६ न कपोत भवन्त ११०
नखैर्विदारितान्त्राणां १२३
तथोत्पत्तिश्च पुत्रादेः २०९ न जातु कामान्न भयात् ११३
तन्मञ्जु मन्दहसितं २१० न धनं न च राज्य २६७
तपस्यतो मुनेर्वक्त्रात् १६९ नयनाञ्चलावमर्शं ९६
तल्पगतापि च सुतनुः ३१ नवोच्छलितयौवन १००
तां तमालतरुकान्ति १७७ नष्टो मोहः स्मृति २४०
तुलामनालोक्य १९४ नारिकेलजलक्षीर २८५
तृष्णालोलविलोचने २६० निखिलं जगदेव २३३
त्वरया याति पान्थोऽयं १६४ निखिलां रजनी २५७
नितरां हितयाऽद्य २३९
दयितस्य गुणाननु २४८ नितरां परुषा १५६
दरानमत्कन्धरबन्ध २१३ नितान्तं यौवनोन्मत्ताः १३८
दृष्ट्वैकासनसंस्थिते १६० निपतद्बाष्पसंरोध २५४
देवभर्त्तृगुरुस्वामि २०९ निमग्नेन क्लेशैः
दौर्गत्यादेरनौजस्य २२३ निरुध्य यान्ती २१६
निर्माणे यदि १७३
धनुर्विदलनध्वनि १०२ निर्माय नूतन
ध्वन्यात्मभूते शृङ्गारे १९७ निर्वासयन्तीं २८९
पद्य का प्रथमांश पृष्ठांक पद्य का प्रथमांश पृष्ठांक
निःशेषच्युतचन्दनं ३२ भास्करसूनावस्तं २५१
नीचेऽपहसितं १२१ भुजगाहितप्रकृतयो १८९
नृपापराधोऽसद्दोष २४५ भुजपञ्जरे गृहीता २७४
भूरेणुदिग्धान् १३२
पदार्थे वाक्यरचना १६७
परिमृदितमृणाली ८१ मधुरतरं स्मयमानः २२७
परिहरतु धरां ११५ मधुरसान्मधुरं २२८
परिष्कुर्वन्त्वर्थान मननतरितीर्ण
पश्यामि देवान् ११९ मलयानिलकाल ९७
पापं हन्त मया २८३ मा कुरु कशां कराब्जे २३७
पाषाणादपि पीयूषं मित्रात्रिपुत्रनेत्राय ४९
प्रत्युद्गता सविनयं १३४ मुञ्चसि नाद्यापि २८०
प्रमोदभरतुन्दिल १५७
प्रसंगे गोपानां २४४ यथा यथा तामरसा १८४
प्रहरविरतौ मध्ये ४६ यदवधि दयितो २५६
यदि लक्ष्मण सा २६५
ब्रह्मन्नध्ययनस्य १४६ यदि सा मिथिलेन्द्र २५०
यस्योद्दामदिवानिशा १०६
भम धम्मिअ वीसत्थो ३४ यौवनोद‍्गमनितान्त २८२
भवद्द्वारी क्रुध्यज्जय २६६
भवनं करुणावती २७३ रणे दीनान् देवान् १११
पद्य का प्रथमांश पृष्ठांक पद्य का प्रथमांश पृष्ठांक
रतिर्देवादिविषया १२७ विरुद्धैरविरुद्धैर्वा ८६
रत्यादयः स्थायिभावाः ८७ वीक्ष्य वक्षसि २८१
रसगङ्गाधरनामा व्यत्यस्तं लपति २७६
राघवविरहज्वाला ४३ व्यानम्नाश्चलिताश्चैव २७५
व्युत्पत्तिमुद्गिरन्ती १९९
लीलया विहितसिन्धु २५४
लोलालकावलि १९० शतेनोपायानां २७१
शयिता शैवलशयने २२०
वक्षोजाग्रं पाणिना २४२ शयिता सविधेऽप्यनीश्वरा २७
वचने तव यत्र १९३ शार्ङ्गदेवेन गदितो १२१
वाक्पारुष्यं प्रहारश्च २६३ शान्तस्य शमसाध्यत्वात् ८२
वागर्थाविव संपृक्तौ ९३ शुण्डादण्डं कुण्डली २१७
वाचा निर्मलया १८१ शून्यं वासगृहं २०१
वाचो माङ्गलिकीः ९४ श्येनमम्बरतला १२२
विधत्तां निश्शङ्क १६३ श्रमः खेदोऽध्वगत्यादेः २२९
विधाय सा मद्वदना २३० श्रीतातपादैर्विहिते ११९
विधिवञ्चितया मया २१९ श्रीमज्ज्ञानेन्द्रभिक्षोः
विनिर्गतं मानदमात्म ५१ श्लेषः प्रसादः समता १५३
विभावा यत्र दारिद्य २२४
विमानपर्यङ्कतले १३२ सच्छिन्नमूल: ५१
विरहेण विकलहृदया २१७ सजातीयविजातीयैः ८६
पद्य का प्रथमांश पृष्ठांक पद्य का प्रथमांश पृष्ठांक
सञ्जातमिष्टविरहात् २५३ सुराङ्गनाभिराश्लिष्टाः १३१
संतापयामि हृदयं २१८ स्मितं च हसितं प्रोक्तं १२०
संतापः स्मरणं चैव २२४ स्मृतापि तरुणातपं
सदाजयानुषङ्गाणां १८५ स्वच्छन्दोच्छलदच्छ ५२
संमोहानन्दसंभेदः २२६ स्वर्गनिर्गतनिरर्गल १५९
सपदि विलयमेतु ११३ स्वेदाम्बुसान्द्रकण १५६, १७७
सरसिजवनबन्धु १६७
सर्वेऽपि विस्मृतिपथं २७८ हतकेन मया वना २२२
सशोणितैः क्रव्यभुजां १३२ हरिः पिता हरिर्माता १६२
सानुरागाः सानुकम्पाः १९२ हरिणीप्रेक्षणा यत्र १८६
साब्धिद्वीपकुलाचलां १०७ हरिमागतमाकर्ण्य २६२
सा मदागमनबृंहित २३३ हसन्तमपरं दृष्ट्वा १२०
साहंकारसुरासुरा १५८ हीरस्फुरद्रदन १९१
सुरस्रोतस्विन्याः ९८ हृदये कृतशैवला २३५
 

 


हिंदी-पद्य

अति कलेश तें मनन
अकरुन-हिय पिय २४७ अति पकिबे तें द्रवत १७४
अटपट बोलत बैन २७६ अथए करन महारथी २५१
पद्य का प्रथमांश पृष्ठांक पद्य का प्रथमांश पृष्ठांक
अरपे याचत दुजहिं १०४ करैं परिष्कृत गहरै
अवधि-दिवस संझा २०९ कहाँ शंभु को धनुष २५९
असित अगर विष २०५ कांतिशेष शशिरेख २२०
अहित नियम तुव २६४ किए सूँड कुंडल सरिस २१८
अंतक के अंतक २६२ कुच-कलसन जुग २१५
कुंडल सम धनु १३०
आही गई रजनी २०० क्रोधयुक्त जय-विजय २६६
उदधि, दीप, कुल-अचल १०७ खंडित वनिता नैन-नलिन १६८
ऊंचे कबरिन १३६
गनिका अजामेल आदिक १७०
कछु नत ग्रीवा २१३ गोपनि बातनि करी २४४
कमल अनुहरत १६२
कमल-कान्ति अनुहरत १६२ चंचल नैन चकोर २६०
कमल-बीज सन १६५ चूमन दै म्वहि मेहरिया १६६
करि आलिंगन सब २४१
करि कस्तूरी-तिलक १९८ छमा करावन मुख्य २८८
करि सैंकरनि उपाय २७१
करु न कोररा कर २३७ जनक-सुता महि पर नहीं २५०
कर हरुए रे! नेक २५३ जनमी जब ते जग में ९६
पद्य का प्रथमांश पृष्ठांक पद्य का प्रथमांश पृष्ठांक
जनि कपोत तुहिं ११०
जनि कपोत-पोतहि ११० धनु-विदलन को शब्द १०२
जब ते सखि दयितहि २५६ धरत मोहि कूजत २१६
जलन विपिन के १६७ धरी बनाइ नवीन
जाचक जन हित १०६ धाइ-धाइ हौं धरनि २१८
जिनकी लीला ते
जिन ज्ञानेद्र भिक्षु ते नभ ते झपटत १२३
जेहि पिय-गुन सुमिरत २४९ नभ लाली चालो १९९
जो किकर किय १७७ नव-जौबन की बाढ़ ते १००
जोबन उदगम तें २८२ नव दुलहिन भुज २७४
जो सीतहिं मैं मृतक २८३ ना धन ना नृप संपदा २६७
नासमान सब जगत २३४
नैन-कोन को मिलन ९६
तप करते मुनि वदन १६९
तरनि-तनूजा-तट परत आँसुवन रोध २५४
परत पांडवन पै २७५
थावर जंगम जगत ११७ पल्लवजयिनी अधर २२५
पहर पाछले सुनयनिहि २३९
दादाजी किय दंग १२० पिय आए अति दूर ते २५७
दीन देवतनि दशवदन १११ पिय-गौन-समै ९४
देखि भामिनी दयित-उर २८१ पिय चूचुकनि २४२
पद्य का प्रथमांश पृष्ठांक पद्य का प्रथमांश पृष्ठांक
प्रिया विरह ते १६४
रघुवर-विरहानल ४३
फनिपति धरनिहि ११६ रन-आँगन लहि २४६
फाड़ि नखन शव १२३ रसगंगाधर नाम यह
रहैं सदैव समाधिमग्न १६३
बाल बात मम २३६
बिन माँगे सुख देत १६९ लछमन जो वह २६५
लीला ते बाँध्यो जलधि २५५
भलैं अहित जन ११५ वह मंजुल मृदु हँसन २१०
भामिनि! अजहु न २८० विधि वंचित हौं २१९
विरह महानल २१७
मधुर-मधुर कछु २२७ विलय होहु ततकाल ११३
मधुर मधुहु ते २२८ विशत भवन देखे २७३
मनन-तरी तरि
मम आवन ते २३३ श्रीगंगा के पुलिन ९९
मलय-अनिल अरु ९८
मुकुलित किय मन १८० सब बंधुन को सोच ९७
मेरु-मूल ते मलय २३१ सवै विषय विसरे २७८
सहसा मैं हत २२२
यदि बोलैं वाक्पति ११४ सुवा-मधुर निरमल १८२
पद्य का प्रथमांश पृष्ठांक पद्य का प्रथमांश पृष्ठांक
सुमिरत हू जो स्मृति ते अतिबल २८९
सुरनारिन सँग १३१
सेज-सुई हू सुतनु ३१ हनी गुरुन बिच ३०
सेद सलिल के सघन १७८ हरि माता हरि ही १६२
सोई सविध सकी २७ हिय सेवालनि धारि २३५
सौति-सदन ते २८७ हिय सोई करि २३०
स्मर के सचिव-समान १३४ हे झूँठन सिरमौर २३८
 

 

पुस्तक पढ़ने से प्रथम कृपया इतना
अवश्य सुधार लीजिए।

पृष्ठ पङ्क्ति अशुद्ध शुद्ध
मभङ्गर मभङ्गुर
१६ करते ही मात्र से ही
३४ १८ वी सत्थो वीसत्थो
३४ २० दरी असीहेण दरीअसीहेण
३६ ११ ओण्णिद्द ओण्णिद्दं
४९ २० गात्रात्रे गोत्रात्रे
५२ द्रोहो क द्रोहोद्रेक
५८ बोरा बटेरा (सकोरा)
५९ जाता जा सकता
७४ १८ मान मानस
७६ का द्वारा के द्वारा
१०४ २० निर्दयता से निर्दयता ते
११० तनिक हूँ तनिक हू
१११ २१ बूझैं जूझैं
१२१ १७ सँता हँसता
१३४ करते हैं कहते हैं
१६० १८ सपुलका सपुलकः
पृष्ठ पङ्क्ति अशुद्ध शुद्ध
१६६ १३ क ना करना
१७१ १५ है यह" है" यह
१७५ १८ अर्थव्यक्ति अर्थव्यक्ति है,
१८० रहा है रही है
१८४ वर्गों वर्णों
१८६ १६ होता नहीं तो होता नहीं
१८७ १९ आगे ऐसा आगे
१९० जिह्वामूलियों जिह्वामूलीयों
१९० १२ वर्गों वर्णों
१९१ पूवार्ध में पूर्वार्ध में
१९१ बर्गों वर्णों
१९५ २२ शांत इसी समय शांत
१९६ तीसरा संयोग तीसरे अक्षर का संयोग
२०६ व्यभिचार्यं जितो व्यभिचार्यञ्जितो
२०७ अभिव्यञ्जकता केवल अभिव्यञ्जकता
२१३ बुद्धि-साधारण बुद्धि साधारण
२२८ १४ तवाऽध तवाऽधरं
२४२ १४ वक्षोजाग्र वक्षोजाग्रं
२४८ छट जाना छूट जाना
२५५ १५ अनुभाव अनुभव
पृष्ठ पङ्क्ति अशुद्ध शुद्ध
२५९ का ण कारण
२६१ अम अमर्ष
२७४ जा जो
२८८ नयना नयना नयनानयना
२८९ ।रा द्धारा
२९६ व्यंजक प्रपंच