पृष्ठ:हिंदी रस गंगाधर.djvu/४२२

यह पृष्ठ प्रमाणित है।

(७)

पद्य का प्रथमांश पृष्ठांक पद्य का प्रथमांश पृष्ठांक
अरपे याचत दुजहिं १०४ करैं परिष्कृत गहरै
अवधि-दिवस संझा २०९ कहाँ शंभु को धनुष २५९
असित अगर विष २०५ कांतिशेष शशिरेख २२०
अहित नियम तुव २६४ किए सूँड कुंडल सरिस २१८
अंतक के अंतक २६२ कुच-कलसन जुग २१५
कुंडल सम धनु १३०
आही गई रजनी २०० क्रोधयुक्त जय-विजय २६६
उदधि, दीप, कुल-अचल १०७ खंडित वनिता नैन-नलिन १६८
ऊंचे कबरिन १३६
गनिका अजामेल आदिक १७०
कछु नत ग्रीवा २१३ गोपनि बातनि करी २४४
कमल अनुहरत १६२
कमल-कान्ति अनुहरत १६२ चंचल नैन चकोर २६०
कमल-बीज सन १६५ चूमन दै म्वहि मेहरिया १६६
करि आलिंगन सब २४१
करि कस्तूरी-तिलक १९८ छमा करावन मुख्य २८८
करि सैंकरनि उपाय २७१
करु न कोररा कर २३७ जनक-सुता महि पर नहीं २५०
कर हरुए रे! नेक २५३ जनमी जब ते जग में ९६