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पद्य उत्सुकता की ध्वनि है' यह शङ्का नहीं करनी चाहिए; क्योंकि ( पद्य के) 'किसके लिये इस कथन से किसी अनिश्चित व्यक्ति के विषय मे होनेवाली चिन्ता ही ध्वनित होती है। इस कारण, यद्यपि यहाँ उत्सुकता विद्यमान है, तथापि वह इस वाक्य के द्वारा प्रधानतया नहीं बोधित होती।

१०-मद

मद्य-आदि के उपयोग से उत्पन्न होनेवाली और शयन-रोदन आदि अनुभावों का उत्पन्न क नेवाली उल्लास-नामक जो एक प्रकार की चित्तवृत्ति है, उसे 'मद' कहते हैं। जैसा कि कहा गया है-

संमोहानन्दसंभेदो मदो मद्योपयोगजः।

अर्थात् संमोह और आनन्द के मिश्रण का नाम मद है और वह मद्य के उपयोग से उत्पन्न होता है।

मद के उत्पन्न होने पर उत्तम पुरुष सोता है, मध्यम पुरुष हँसता और गाता है और नीच पुरुष रोता तथा गाली वगैरह देता है*[]। यह मद तीन प्रकार का है-तरुण, मध्यम और


  1. * यद्यपि यह कथन 'काव्य-प्रदीप' के-

    उत्तमसत्वः प्रहसति, गायति तद्वच्च मध्यमप्रकृतिः।
    परुपवचनाभिधायी शेते रोदित्यधमसत्त्वः॥

    अर्थात् मद के कारण उत्तम प्रकृति का पुरुष हँसता है, मध्यम प्रकृति का पुरुष गाता है और अधम प्रकृति का पुरुप गालियां देता है, सोता है और रोता है। इस वचन से विरुद्ध है। तथापि अनुभव 'रसगंगाधर