पृष्ठ:हिंदी रस गंगाधर.djvu/११३

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विषय पृष्ठांक विषय पृष्ठांक
श्लेष १६० भाव २०२
प्रसाद १६१ भाव का लक्षण २०२
समता १६२ भाव किस तरह ध्वनित होते हैं? २०६
माधुर्य १६३ भावो के व्यंजक कौन हैं? २०७
सुकुमारता १६४ भावो की गणना २०८
अर्थव्यक्ति १६५ 'वात्सल्य' रस नही है २०८
उदारता १६६ १–हर्ष २०९
ओज १६६ २–स्मृति २१०
कान्ति १७१ ३–व्रोडा (लज्जा) २१४
समाधि १७१ ४–मोह २१६
अन्य आचार्यों का मत १७२ ५–धृति २१८
गुण २० न मानकर ३ ही मानने चाहिए १७२ ६–शङ्का २१९
माधुर्य-व्यञ्जक रचना १७६ ७–ग्लानि २२०
ओजो-व्यञ्जक रचना १७८ ८–दैन्य २२२
प्रसाद-व्यञ्जक रचना १७९ ९–चिन्ता २२४
रचना के दोष १८२ १०–मद २२६
साधारण दोष १८२ ११–श्रम २२९
विशेष दोष १८९ १२–गर्व २३१
संग्रह १९९ १३–निद्रा २३२
१४–मति २३३