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- कला और आधुनिक प्रवृत्तियाँ (1958) द्वारा रामचंद्र शुक्ल 121521कला और आधुनिक प्रवृत्तियाँ1958रामचंद्र शुक्ल [ मुखपृष्ठ ] कला और आधुनिक प्रवृत्तियाँ [ आवरण-पृष्ठ ]...५३० B (५१९ शब्द) - ०७:४२, ५ अगस्त २०२०
- रस मीमांसा (1949) द्वारा रामचंद्र शुक्ल 71354रस मीमांसा1949रामचंद्र शुक्ल [ ४ ] रस-मीमांसा आचार्य रामचंद्र शुक्ल संपादक विश्वनाथप्रसाद मिश्र काशी...१८८ B (५५ शब्द) - २०:४५, २५ जुलाई २०२३
- चिन्तामणि (श्रेणी रामचंद्र शुक्ल)चिन्तामणि (1919) द्वारा रामचंद्र शुक्ल 155960चिन्तामणि1919रामचंद्र शुक्ल [ प्रकाशक ] प्रकाशक के मित्रा, इंडियन प्रेस, लिमिटेड, प्रयाग। मुद्रक:—...४८३ B (२५१ शब्द) - ०४:११, १३ अक्टूबर २०२१
- भ्रमरगीत-सार (1926) द्वारा रामचंद्र शुक्ल 133976भ्रमरगीत-सार1926रामचंद्र शुक्ल [ १६३ ]...६६९ B (१० शब्द) - २०:२१, ६ सितम्बर २०२०
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- रस मीमांसा (1949) द्वारा रामचंद्र शुक्ल 71355रस मीमांसा1949रामचंद्र शुक्ल [ ६ ] विषय-सूची विषय पृष्ठ काव्य...२८८ B (१५ शब्द) - २०:४६, २५ जुलाई २०२३
- भ्रमरगीत-सार (1926) द्वारा रामचंद्र शुक्ल 140001भ्रमरगीत-सार1926रामचंद्र शुक्ल [ २१२ ] राग सोरठ बिरही कहँ लौं आपु सँभारै? जब तें गंग परी हरिपद तें बहिबो...५८७ B (२६ शब्द) - २२:१०, २१ सितम्बर २०२०
- भ्रमरगीत-सार (1926) द्वारा रामचंद्र शुक्ल 132627भ्रमरगीत-सार1926रामचंद्र शुक्ल [ १५६ ] राग सोरठ ऊधो! यह हरि कहा कर्यौ? राजकाज चित दियो साँवरे, गोकुल...५९३ B (४२ शब्द) - १९:५२, २ सितम्बर २०२०
- भ्रमरगीत-सार (1926) द्वारा रामचंद्र शुक्ल 138114भ्रमरगीत-सार1926रामचंद्र शुक्ल [ २०० ] बलैया लैहौं, हो बीर बादर! तुम्हरे रूप सम हमरे प्रीतम गए निकट...५७७ B (४० शब्द) - २३:३२, १८ सितम्बर २०२०
- भ्रमरगीत-सार (1926) द्वारा रामचंद्र शुक्ल 135490भ्रमरगीत-सार1926रामचंद्र शुक्ल [ १७१ ] उधो! होत कहा समुझाए? चित चुभि रही साँवरी मूरति, जोग कहा तुम लाए...५४७ B (४१ शब्द) - २३:२७, ११ सितम्बर २०२०
- भ्रमरगीत-सार (1926) द्वारा रामचंद्र शुक्ल 120653भ्रमरगीत-सार1926रामचंद्र शुक्ल [ ९६ ] राग सारंग हम तो नंदघोष की वासी। नाम गोपाल, जाति कुल गोपहि, गोप...४७३ B (५२ शब्द) - १८:५०, ३० जुलाई २०२०
- भ्रमरगीत-सार (1926) द्वारा रामचंद्र शुक्ल 140002भ्रमरगीत-सार1926रामचंद्र शुक्ल [ २१३ ] राग नट ऊधो! धनि तुम्हरो ब्यवहार। धनि वै ठाकुर, धनि वै सेवक,...६२५ B (४३ शब्द) - २२:२३, २१ सितम्बर २०२०
- भ्रमरगीत-सार (1926) द्वारा रामचंद्र शुक्ल 124214भ्रमरगीत-सार1926रामचंद्र शुक्ल [ १२३ ] राग केदारो उर में माखनचोर गड़े। अब कैसहु निकसत नहिं ऊधो! तिरछे...५७५ B (५८ शब्द) - ०८:४७, १२ अगस्त २०२०
- भ्रमरगीत-सार (1926) द्वारा रामचंद्र शुक्ल 120596भ्रमरगीत-सार1926रामचंद्र शुक्ल [ ८८ ] राग सारंग सखा! सुनो मेरी इक बात। वह लतागन संग गोपिन सुधि करत पछितात॥...४७६ B (५५ शब्द) - ०८:४२, ३० जुलाई २०२०
- भ्रमरगीत-सार (1926) द्वारा रामचंद्र शुक्ल 134779भ्रमरगीत-सार1926रामचंद्र शुक्ल [ १६६ ] राग सारंग ऊधो! कौन कुदिन छाँड़्यो हो गोकुल। बहुरि न आए फिरि या...५०९ B (५५ शब्द) - २२:४५, ९ सितम्बर २०२०
- भ्रमरगीत-सार (1926) द्वारा रामचंद्र शुक्ल 120643भ्रमरगीत-सार1926रामचंद्र शुक्ल [ ९० ] राग कल्याण उद्धव मन अभिलाष बढ़ायो। जदुपति जोग जानि जिय साँचो नयन...५१७ B (५९ शब्द) - १६:५०, ३० जुलाई २०२०
- भ्रमरगीत-सार (1926) द्वारा रामचंद्र शुक्ल 120697भ्रमरगीत-सार1926रामचंद्र शुक्ल [ १०१ ] घर ही के बाढ़े रावरे। नाहिंन मीत बियोगबस परे अनवउगे अलि बावरे...४८१ B (७६ शब्द) - ००:१८, ३१ जुलाई २०२०
- भ्रमरगीत-सार (1926) द्वारा रामचंद्र शुक्ल 120655भ्रमरगीत-सार1926रामचंद्र शुक्ल [ ९७ ] राग धनाश्री जीवन मुँहचाही को नीको। दरस परस दिनरात करति हैं कान्ह...४७४ B (६९ शब्द) - १९:०१, ३० जुलाई २०२०
- भ्रमरगीत-सार (1926) द्वारा रामचंद्र शुक्ल 120554भ्रमरगीत-सार1926रामचंद्र शुक्ल [ ८७ ] राग बिलावल तबहिं उपँगसुत आय गए। सखा सखा कछु अंतर नाहीं भरि भरि...४४८ B (६१ शब्द) - ०३:०६, ३० जुलाई २०२०