भ्रमरगीत-सार/३४८-बिरही कहँ लौं आपु सँभारै

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राग सोरठ
बिरही कहँ लौं आपु सँभारै?
जब तें गंग परी हरिपद तें बहिबो नाहिं निवारै॥