भ्रमरगीत-सार/६-सखा! सुनो मेरी इक बात
सखा! सुनो मेरी इक बात।
वह लतागन संग गोपिन सुधि करत पछितात॥
कहाँ वह वृषभानुतनया परम सुंदर गात।
सुरति आए रासरस की अधिक जिय अकुलात॥
सदा हित यह रहत नाहीं सकल मिथ्या जात।
सूर प्रभु यह सुनौ मोसों एक ही सों नात॥६॥