चिन्तामणि  (1919) 
द्वारा रामचंद्र शुक्ल
[ प्रकाशक ]
 
प्रकाशक
के मित्रा,
इंडियन प्रेस, लिमिटेड,
प्रयाग।
 

मुद्रक:—
श्री अपूर्वकृष्ण बसु
इंडियन प्रेस, लिमिटेड,
बनारस-ब्राञ्च।

[ निवेदन ]
 

निवेदन

इस पुस्तक में मेरी अन्तर्यात्रा में पड़नेवाले कुछ प्रदेश हैं। यात्रा के लिए निकलती रही है बुद्धि, पर हृदय को भी साथ लेकर। अपना रास्ता निकालती हुई बुद्धि जहाँ कहीं मार्मिक या भावाकर्षक स्थलों पर पहुँचती है वहाँ हृदय थोड़ा-बहुत रमता और अपनी प्रवृत्ति के अनुसार कुछ कहता गया है। इस प्रकार यात्रा के श्रम का परिहार होता रहा है। बुद्धिपथ पर हृदय भी अपने लिए कुछ न कुछ पाता रहा है।

बस, इतना ही निवेदन करके इस बात का निर्णय मैं विज्ञ पाठकों पर ही छोड़ता हूँ कि ये निबन्ध विषय-प्रधान है या व्यक्ति प्रधान।

काशी रामचंद्र शुक्ल
२-२-१९१९
[ विषय-सूची ]
विषय-सूची
विषय पृष्ठ
१—भाव या मनोविकार १—५
२—उत्साह ६—१६
३—श्रद्धा-भक्ति १७—४३
४—करुणा ४४—५५
५—लज्जा और ग्लानि ५६—६८
६—लोभ और प्रीति ६९—९६
७—घृणा ९७—१०६
८—ईर्ष्या १०७—१२३
९—भय १२४—१३०
१०—क्रोध १३१—१४०
११—कविता क्या है १४१—१८६
१२—भारतेन्दु हरिश्चन्द्र १८७—१९९
१३—तुलसी का भक्ति मार्ग २००—२०६
१४—'मानस' की धर्म-भूमि २०७—२१२
१५—काव्य में लोक-मंगल की साधनावस्था २१३—२२६
१६—साधारणीकरण और व्यक्ति-वैचित्र्यवाद २२७—२४१
१७—रसात्मक बोध के विविध रूप २४२—२७१
 

यह कार्य भारत में सार्वजनिक डोमेन है क्योंकि यह भारत में निर्मित हुआ है और इसकी कॉपीराइट की अवधि समाप्त हो चुकी है। भारत के कॉपीराइट अधिनियम, 1957 के अनुसार लेखक की मृत्यु के पश्चात् के वर्ष (अर्थात् वर्ष 2024 के अनुसार, 1 जनवरी 1964 से पूर्व के) से गणना करके साठ वर्ष पूर्ण होने पर सभी दस्तावेज सार्वजनिक प्रभावक्षेत्र में आ जाते हैं।


यह कार्य संयुक्त राज्य अमेरिका में भी सार्वजनिक डोमेन में है क्योंकि यह भारत में 1996 में सार्वजनिक प्रभावक्षेत्र में आया था और संयुक्त राज्य अमेरिका में इसका कोई कॉपीराइट पंजीकरण नहीं है (यह भारत के वर्ष 1928 में बर्न समझौते में शामिल होने और 17 यूएससी 104ए की महत्त्वपूर्ण तिथि जनवरी 1, 1996 का संयुक्त प्रभाव है।