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नवम्बर की निर्वाचित पुस्तक
भाव-विलास देव द्वारा रचित लक्षण ग्रंथ है। इसका प्रकाशन प्रयाग के तरुण-भारत-ग्रन्थावली द्वारा १९३४ ई. में किया गया था।
"राधाकृष्ण किसोर जुग, पग बंदों जगबंद।
मूरति रति शृङ्गार की, शुद्ध सच्चिदानंद॥
भावार्थ— मैं, प्रेम और शृङ्गार की मूर्त्ति, शुद्ध सच्चिदानन्दस्वरूप, श्री राधाकृष्ण के संसार-पूज्य चरणों की वन्दना करता हूँ।
अरथ धर्म तें होइ अरु, काम अरथ तें जानु।
तातें सुख, सुख को सदा, रस शृङ्गार निदानु॥
ताके कारण भाव हैं, तिनको करत विचार।
जिनहिं जानि जान्यो परै, सुखदायक शृंगार॥
भावार्थ- धर्म से अर्थ, अर्थ से काम और काम से सुख प्राप्त होता है। सुख का कारण शृङ्गार रस है। शृङ्गार रस के कारण भाव हैं। यहाँ पर उन्ही का वर्णन किया जाता है; क्योंकि उन्हें जान लेने पर शृङ्गार सुखदायक प्रतीत होता है।..."पूरा पढ़ें)
सप्ताह की पुस्तक
"दिवस का अवसान समीप था।
गगन था कुछ लोहित हो चला।
तरु-शिखा पर थी अब राजती।
कमलिनी-कुल-वल्लभ की प्रभा॥1॥
विपिन बीच विहंगम-वृन्द का।
कलनिनाद विवर्ध्दित था हुआ।
ध्वनिमयी-विविधा विहगावली।
उड़ रही नभ-मण्डल मध्य थी॥2॥"
...(पूरा पढ़ें)
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पूर्ण पुस्तक
स्कंदगुप्त जयशंकर प्रसाद द्वारा १९२८ ई. में लिखा गया नाटक है। गुप्त-काल (२७५ ई०---५४० ई० तक) अतीत भारत के उत्कर्ष का मध्याह्न था। उस समय आर्य्य-साम्राज्य मध्य-एशिया से जावा-सुमात्रा तक फैला हुआ था। समस्त एशिया पर भारतीय संस्कृति का झंडाफहरा रहा था। इसी गुप्तवंश का सबसे उज्ज्वल नक्षत्र था---स्कंदगुप्त। उसके सिंहासन पर बैठने के पहले ही साम्राज्य में भीतरी षड्यंत्र उठ खड़े हुए थे। साथ ही आक्रमणकारी हूणों का आतंक देश में छा गया था और गुप्त-सिंहासन डाँवाडोल हो चला था। ऐसी दुरवस्था में लाखों विपत्तियाँ सहते हुए भी जिस लोकोत्तर उत्साह और पराक्रम से स्कंदगुप्त ने इस स्थिति से आर्य साम्राज्य की रक्षा की थी---पढ़कर नसों में बिजली दौड़ जाती हैं। अन्त में साम्राज्य का एक-छत्र चक्रवर्तित्व मिलने पर भी उसे अपने वैमात्र एवं विरोधी भाई पुरगुप्त के लिये त्याग देना, तथा, स्वयं आजन्म कौमार जीवन व्यतीत करने की प्रतिज्ञा करना---ऐसे प्रसंग हैं जो उसके महान चरित पर मुग्ध ही नहीं कर देते, बल्कि देर तक सहृदयों को करुणासागर में निमग्न कर देते हैं। ( स्कंदगुप्त पूरा पढ़ें)
सहकार्य
- संपादनोत्सव- विकिस्रोत:सामग्री संवर्द्धन संपादनोत्सव/सितंबर २०२४
- संपादनोत्सव- विकिस्रोत:सामग्री संवर्द्धन संपादनोत्सव/जुलाई 2024
- शोधित की जा रही पुस्तक:
- Kabir Granthavali.pdf [९२१ पृष्ठ]
- जायसी ग्रंथावली.djvu [४९८ पृष्ठ]
- रेवातट (पृथ्वीराज-रासो).pdf [४७१ पृष्ठ]
रचनाकार
बालमुकुंद गुप्त (14 नवंबर 1865 — 18 सितंबर 1907) हिंदी के निबंधकार, कवि, नाटककार और संपादक थे। विकिस्रोत पर उपलब्ध उनकी रचनाएँ:
- शिवशम्भु के चिट्ठे — पत्र शैली में लिखा गया व्यंग्य संग्रह
जयशंकर प्रसाद (30 जनवरी 1889 — 15 नवंबर 1937), हिंदी भाषा के कवि, नाटककार, कहानीकार, उपन्यासकार तथा निबंधकार। विकिस्रोत पर उपलब्ध उनकी रचनाएँ:
- स्कंदगुप्त (1928), गुप्तकाल के अंतिम प्रसिद्ध शासक पर आधारित ऐतिहासिक नाटक
- एक घूँट (1929), हिंदी भाषा की प्रथम एकांकी
- आकाशदीप (1929), उन्नीस कहानियों का संग्रह
- ध्रुवस्वामिनी (1935), क्लीव पति से विवाहित हिंदू स्त्री के मुक्ति की गाथा पर आधारित नाटक
- कामायनी (1936), जल-प्लावन की गाथा पर आधारित आधुनिककालीन हिंदी का सबसे लोकप्रिय महाकाव्य
- काव्य और कला तथा अन्य निबन्ध (1939), आठ निबंधों का संग्रह
- आँधी (1955), ग्यारह कहानियों का संग्रह
आज का पाठ
"(११) रसनिधि– इनका नाम पृथ्वीसिंह था और दतिया के एक जमींदार थे। इनका संवत् १७१७ तक वर्तमान रहना पाया जाता है । ये अच्छे कवि थे। इन्होंने बिहारी-सतसई के अनुकरण पर तनहजारा नामक दोहों का एक ग्रंथ बनाया । कहीं कहीं तो इन्होंने बिहारी के वाक्य तक रख लिए हैं। इसके अतिरिक्त इन्होंने और भी बहुत से दोहे बनाए जिनका संग्रह बाबू जगन्नाथप्रसाद (छत्रपुर ) ने किया है। अरिल्ल और सोझो का संग्रह भी खोज में मिला है। ये श्रृंगार-रस के कवि थे। अपने दोहों में इन्होने फारसी कविता के भाव भरने और चतुराई दिखाने का बडुत कुछ प्रयत्न किया है।..."(पूरा पढ़ें)
विषय
- हिंदी साहित्य — कविता, उपन्यास, कहानी, नाटक, आलोचना, निबंध, आत्मकथा, जीवनी, भाषा और व्याकरण, साहित्य का इतिहास
- समाज विज्ञान — दर्शनशास्त्र, इतिहास, राजनीति विज्ञान, भूगोल, अर्थशास्त्र, विधि
- विज्ञान — प्राकृतिक विज्ञान, पर्यावरण
- कला — संगीत
- अनुवाद — संस्कृत, तमिल, बंगाली, अंग्रेजी
- विविध — ग्रंथावली, संघ लोक सेवा आयोग प्रश्न पत्र, दिल्ली विश्वविद्यालय प्रश्न पत्र
- सभी विषय देखें
आंकड़े
- कुल पुस्तकें = ५०२
- कुल पुस्तक पृष्ठ = १,६४,८१९
- प्रमाणित पृष्ठ = १२,६०३, शोधित पृष्ठ = ७२,११२
- समस्याकारक = १०, अशोधित = ८९,९४५, रिक्त = २,७५२
- सामग्री पृष्ठ = ५,८४५, परापूर्ण पृष्ठ = ४३१७
- स्कैन प्रतिशत = १००%
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