[ आवरण-पृष्ठ ]

आँधी











जयशङ्कर 'प्रसाद'
[ प्रकाशक ]प्रकाशक तथा विक्रेता

भारती भण्डार लीडर प्रस इलाहाबाद पचम सस्करण वि २, १२ मूल्य २) मुद्रक बी० पी० ठाकुर

लीडर प्रस इलाहाबाद [ निवेदन ]

निवेदन
(प्रथम संस्करण से)

हिन्दी साहित्य प्रेमियों को प्रसाद जी का परिचय देने की आवश्यकता अब नहीं है। वह अपनी कृतियों के कारण आशातीत यशार्जन कर चुके हैं। कविता कहानी उपन्यास नाटक और थोड़े बहुत अन्वेषणात्मक लेखों के रूप में जो कुछ उन्होंने अपनी मातृ भाषा के भण्डार में अर्पित किया है वह हिन्दी साहित्य के गर्व की वस्तु है। हमारे स्थायी साहित्य निधि में उन्होंनें ही सबसे अधिक विभूति भरी है। आज जहां हमार अर्वाचीन साहिय में भारतीय आत्मा के प्रत्यक्ष प्रतिकूल पाश्चात्य कला अपना घर बनाती चली जा रही है वहां उन्होंने अपन प्रौढ़ प्रतिभा बल से शुद्ध भारतीय प्राण भरने की चेष्टा की है किन्तु ऐसा करके भी वे आदर्शवाद के पीछे––साहित्य के मूल को भूल कर––दौड़ते नहीं दिखलाई पड़ते। उनके पात्र अपनी मनुष्यता और संस्कृति के कारण कुछ ऊँचे दिखलाई पड़ते हैं। परन्तु इसमें निर्माण नहीं उनका स्वाभाविक गठन है। साहित्य जिस तीव्र अनुभति का भूखा है प्रसाद जी में उसकी अपने हदय के बड़े कोमल उपकरणों से तृप्ति की है।

आंधी उनकी सब से नवीन गल्प रचना है। इसके साथ दस और श्रेष्ठ कहानियां दी गई है जो समय-समय पर प्रकाशित भी हो चुकी हैं। प्रसाद जी कहानी साहित्य में अपना एक विशेष स्थान रखते हैं। उन्होंने केवल वस्तु का प्रसार नहीं किया अपितु एक विशेष मनोभाव कहीं––मानव चरित्र की एक विशेष
[ निवेदन ]

[ २ ]


धारा और कहीं केवल आकस्मिक घटनाओं से उत्पन्न परिस्थिति में बहुत जीवन को अपनी लेखनी से उठाया है । इसमें उनकी इन सब तरह की कहानियों का संग्रह हो सका है। इसलिए अपने युग के श्रेष्ठ लेखक की ऐसी सुंदर और सर्वागपूण कृति उपस्थित करते हुए हम सब से अधिक गर्व का अनुभव हो रहा है।

-प्रकाशक

[ सूची ]

सूची

आंधी
मधुआ ३६
दासी ४४
घीसू ६६
बेड़ी ७३
व्रत भंग ७६
ग्राम गीत ८७
विजया ९२
अमिट स्मृति ९५
१० "नीरा
११ पुरस्कार ११२

यह कार्य भारत में सार्वजनिक डोमेन है क्योंकि यह भारत में निर्मित हुआ है और इसकी कॉपीराइट की अवधि समाप्त हो चुकी है। भारत के कॉपीराइट अधिनियम, 1957 के अनुसार लेखक की मृत्यु के पश्चात् के वर्ष (अर्थात् वर्ष 2024 के अनुसार, 1 जनवरी 1964 से पूर्व के) से गणना करके साठ वर्ष पूर्ण होने पर सभी दस्तावेज सार्वजनिक प्रभावक्षेत्र में आ जाते हैं।


यह कार्य संयुक्त राज्य अमेरिका में भी सार्वजनिक डोमेन में है क्योंकि यह भारत में 1996 में सार्वजनिक प्रभावक्षेत्र में आया था और संयुक्त राज्य अमेरिका में इसका कोई कॉपीराइट पंजीकरण नहीं है (यह भारत के वर्ष 1928 में बर्न समझौते में शामिल होने और 17 यूएससी 104ए की महत्त्वपूर्ण तिथि जनवरी 1, 1996 का संयुक्त प्रभाव है।