विकिस्रोत:आज का पाठ/४ मार्च
साहित्यिक उदासीनता प्रेमचंद द्वारा रचित साहित्य का उद्देश्य का एक अंश है जिसका प्रकाशन जुलाई १९५४ ई॰ में इलाहाबाद के हंस प्रकाशन द्वारा किया गया था।
"हिन्दी साहित्य में आजकल जो शिथिलता-सी छाई हुई है, उसे देखकर साहित्य प्रेमियों को हताश होना पड़ता है। आज हिन्दी में एक भी ऐसा सफल प्रकाशक नहीं, जो साल भर में दो चार पुस्तकों से अधिक निकाल सकता हो। प्रत्येक प्रकाशक के कार्यालय में हस्त-लिखित पुस्तकों का ढेर लगा पड़ा है; पर प्रकाशकों को साहस नहीं होता कि उन्हें प्रकाशित कर सके। दो-चार इने गिने लेखकों की पुस्तकें ही छपती हैं; पर वहाँ भी पुस्तकों की निकासी नहीं होती। दो हजार का एडीशन बिकते-बिकते कम-से-कम तीन साल लग जाते हैं।..."(पूरा पढ़ें)