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स्त्रियाँ और नवयुग लाला लाजपत राय द्वारा रचित दुखी भारत का एक अंश है जिसका प्रकाशन सन् १९२८ ई॰ में प्रयाग के इंडियन प्रेस, लिमिटेड द्वारा किया गया था।


"मिस मेयो ने भारतीय स्त्रियों के धर्माचरण और भारतीय समाज में उनके स्थान के सम्बन्ध में कुछ अत्यन्त असह्य बातें कही हैं। अपने दृष्टिकोण से तो उसने इन बातों को बड़ी कुशलता के साथ लिखा है। परन्तु वास्तव में उसने सत्य और असत्य का बड़ी धूर्तता के साथ सम्मिश्रण किया है। जो चित्र उसने अङ्कित किया है वह भ्रमोत्पादक और अतिशयोक्ति-पूर्ण ही नहीं है वरन सत्य का घोर विरोधी भी है। यदि वह केवल बाल-विवाह की प्रथा और विधवाओं के पुनर्विवाह-निषेध पर ही आक्रमण करती तो उसके साथ कोई असहमत न होता। परन्तु वह तो अपनी मर्य्यादा भङ्ग करके ऐसे निष्कर्षों के आधार पर जो सर्वथा अप्रामाणिक हैं, अत्यन्त घातक रूप से भारत के पुरुषत्व और स्त्रीत्व पर आक्रमण करती है।..."(पूरा पढ़ें)