विकिस्रोत:आज का पाठ/१ दिसम्बर
भारत में किसान-आन्दोलन स्वामी सहजानन्द सरस्वती द्वारा रचित किसान सभा के संस्मरण का एक अंश है जिसका प्रकाशन १९४७ ई॰ में किया गया।
"बहुत लोगों का खयाल है कि हमारे देश में किसानों का आन्दोलन बिल्कुल नया और कुछ खुराफाती दिमागों की उपज मात्र है। वे मानते हैं कि यह मुट्ठी भर पढ़े-लिखे बदमाशों का पेशा और उनकी लीडरी का साधन मात्र है। उनके जानते भोलेभाले किसानों को बरगला-बहकाकर थोड़े से सफेदपोश और फटेहाल बाबू अपना उल्लू सीधा करने पर तुले बैठे हैं। इसीलिये यह किसान-सभाओं एवं किसान-आन्दोलन का तूफाने बदतमीजी बरपा है, यह उनकी हरकतें बेजा जारी हैं। यह भी नहीं कि केवल स्वार्थी और नादान जमींदार-मालगुजार या उनके पृष्ठ-पोषक ऐसी बातें करते हों।..."(पूरा पढ़ें)