विकिस्रोत:आज का पाठ/१९ मार्च
बातचीत-श्रीयुत बालकृष्ण भट्ट श्यामसुंदरदास द्वारा रचित हिंदी निबंधमाला-१ का एक अंश है जिसका प्रकाशन जुलाई सं॰ १९८७ में प्रयाग के इंडियन प्रेस, लिमिटेड द्वारा किया गया था।
"इसे तो सभी स्वीकार करेंगे कि अनेक प्रकार की शक्तियाँ जो वरदान की भाँति ईश्वर ने मनुष्यों को दी हैं उनमें वाक्शक्ति भी एक है। यदि मनुष्य की और और इंद्रियाँ अपनी अपनी शक्तियों से अविकल रहतीं और वाक्शक्ति उसमें न होती तो हम नहीं जानते कि इस गूँगी सृष्टि का क्या हाल होता। सब लोग लुंज-पुंज से हो मानों कोने में बैठा दिए गए होते और जो कुछ सुख-दुःख का अनुभव हम अपनी दूसरी दूसरी इंद्रियों के द्वारा करते उसे, अवाक् होने के कारण आपस में, एक दूसरे से कुछ न कह सुन सकते। इस वाक्शक्ति के अनेक फायदों में "स्पीच" वक्तृता और बातचीत दोनों हैं। किंतु स्पीच से बातचीत का कुछ ढंग ही निराला है।..."(पूरा पढ़ें)