हिंदी निबंधमाला-१
संपादक
श्यामसुंदरदास, बी० ए०
पहला भाग
संग्रहकर्ता
श्यामसुंदरदास, बी० ए०
काशी नागरी-प्रचारिणीसभा
काशी नागरी-प्रचारिणी सभा की अनुमति से
प्रकाशक
इंडियन प्रेस, लिमिटेड, प्रयाग
K. Mittra,
at The Indian Press, Ltd.,
Allahabad.
Printed by
A. Bose,
at The Indian Press, Ltd.,
Benares-Branch
तक प्रकाशित नहीं हुआ जो भावों तथा भाषा के विचार से
उच्च कोटि का हो और जो ऊँची कक्षाओं के विद्यार्थियों के हाथ
में इस उद्देश्य से दिया जा सके कि वे उसे आदर्श मानकर
अपनी लेखन-शैली तथा विषय-प्रतिपादन रीति को सुधार
इस अभाव की पूर्ति के उद्देश्य से यह संग्रह प्रस्तुत
किया गया है। पहले भाग में अपेक्षाकृत सरल लेखों का संग्रह
है तथा दूसरे भाग में उससे कठिन लेखों का संग्रह है। भाषा
की कठिनता या सरलता केवल शब्दों की तत्समता या तद्भवता
पर निर्भर नहीं है। विचारों की गूढ़ता, विषय-प्रतिपादन की
गंभीरता, मुहाविरों की प्रचुरता, आनुषंगिक प्रयोगों की योजना
और पदों की जटिलता तथा इन गुणों की न्यूनता ही भाषा
को कठिन या सरल बनाती है। यही उद्देश्य सामने रख-
कर यह संग्रह उपस्थित किया गया है
श्यामसुंदरदास
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यह कार्य संयुक्त राज्य अमेरिका में भी सार्वजनिक डोमेन में है क्योंकि यह भारत में 1996 में सार्वजनिक प्रभावक्षेत्र में आया था और संयुक्त राज्य अमेरिका में इसका कोई कॉपीराइट पंजीकरण नहीं है (यह भारत के वर्ष 1928 में बर्न समझौते में शामिल होने और 17 यूएससी 104ए की महत्त्वपूर्ण तिथि जनवरी 1, 1996 का संयुक्त प्रभाव है।