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श्री गोपाल कृष्ण गोखले प्रेमचंद द्वारा रचित १५ महापुरुषों के जीवन-चरित संग्रह कलम, तलवार और त्याग का एक अध्याय है। इसका पहला संस्करण १९३९ ई॰ में बनारस के सरस्वती-प्रेस द्वारा प्रकाशित किया गया था।


"भारतीय महापुरुषों में यों तो प्रायः सभी के जीवन-चरित्र अतिशय उत्साहवर्द्धक हैं, पर उस निष्काम देशभक्ति और आत्मत्याग का उदाहरण, जिसने गोपाल कृष्ण गोखले को सारे राष्ट्र के लिए गर्व और गौरव की वस्तु बना रखा है, कठिनाई से और कहीं मिल सकता है। इसमें सन्देह नहीं कि देश में आज ऐसी विभूतियाँ विद्यमान है, जिनका बुद्धि-वैभव अधिक विशाल है, जिनको पाण्डित्य अधिक गंभीर है, जो पद-प्रतिष्ठा मैं आपसे बड़े हैं, पर वह सच्चा देश-प्रेम जिसके कारण आपने अपने आपको देश पर निछावर कर दिया है, अपनी विस्तृति, गहराई और लगन में बेजोड़ है। आपका जीवन उत्साही युवकों के लिए उच्छाकांक्षा का अनुकरणीय उदाहरण है। आज आपको देश के राजनीतिक मंडलों में बहुत ही ऊँचा पद प्राप्त है। और यह कहने में तनिक भी अत्युक्ति नहीं कि आपके देशवासी आपकी पूजा करते हैं। इसका प्रमाण इससे बढ़कर और क्या हो सकता है कि महात्मा गांधी जैसे पूजनीय पुरुष भी आपको अपना गुरु मानते हैं।..."(पूरा पढ़ें)