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मुद्राराक्षस भारतेन्दु हरिश्चंद्र की नाटिका है। इस नाटिका को भारतेंदु-नाटकावली में ब्रजरत्नदास ने संक्षेप में प्रस्तुत किया है। भारतेंदु-नाटकावली का प्रकाशन इलाहाबाद के रामनारायणलाल पब्लिशर एंड बुकसेलर द्वारा १९३५ ई॰ में किया गया था।


"मुद्राराक्षस के प्रणेता का नाम विशाखदत्त या विशाखदेव, पिता का नाम महाराज पृथु और पितामह का नाम सामंत बटेश्वरदत्त था, इतना नाटक की प्रस्तावना से पता चलता है। इनकी एक अन्य कृति देवीचन्द्रगुप्तम् का पता हाल में लगा है, जिसके अब तक ६ उद्धरण मिले हैं। पूरी प्रति अभी तक अप्राप्य है। जर्मन-देशीय प्रोफ़ेसर हिलब्रैड ने भारत में भ्रमण कर मुद्राराक्षस की सभी प्राप्य प्रतियों का मिलान किया है, जिनमें कुछ प्रतियो में विशाखदत्त के पिता का नाम भास्करदत्त भी लिखा मिला है।..."(पूरा पढ़ें)