विकिस्रोत:आज का पाठ/१६ मार्च
क्रोध-श्रीयुत रामचंद्र शुक्ल श्यामसुंदरदास द्वारा रचित हिंदी निबंधमाला-१ का एक अंश है जिसका प्रकाशन जुलाई सं॰ १९८७ में प्रयाग के इंडियन प्रेस, लिमिटेड द्वारा किया गया था।
"क्रोध दुःख के कारण के साक्षात्कार वा अनुमान से उत्पन्न होता है साक्षात्कार के समय दुःख और उसके कारण के संबंध का परिज्ञान आवश्यक है। जैसे तीन चार महीने के बच्चे को कोई हाथ उठाकर मार दे तो उसने हाथ उठाते तो देखा है पर अपनी पीड़ा और उस हाथ उठाने से क्या संबंध है यह वह नहीं जानता है। अतः वह केवल रोकर अपना दुःख मात्र प्रकट कर देता है। दुःख के कारण के साक्षात्कार के निश्चय के बिना क्रोध का उदय नहीं हो सकता।..."(पूरा पढ़ें)