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राजा भोज का सपना-राजा शिवप्रसाद श्यामसुंदरदास द्वारा रचित हिंदी निबंधमाला-१ का एक अंश है जिसका प्रकाशन जुलाई सं॰ १९८७ में प्रयाग के इंडियन प्रेस, लिमिटेड द्वारा किया गया था।


"वह कौन सा मनुष्य है जिसने महाप्रतापी राजा महाराज भोज का नाम न सुना हो। उसकी महिमा और कीर्त्ति तो सारे जगत् में व्याप रही है। बड़े बड़े महिपाल उसका नाम सुनते ही काँप उठते और बड़े बड़े भूपति उसके पाँव पर अपना सिर नवाते, सेना उसकी समुद्र की तरंगों का नमूना और खजाना उसका सोने चाँदी और रत्नों की खान से भी दूना। उसके दान ने राजा कर्ण को लोगों के जी से भुलाया और उसके न्याय ने विक्रम को भी लजाया। कोई उसके राज्य में भूखा न सोता और न कोई उघाड़ा रहने पाता।..."(पूरा पढ़ें)