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हमारे परिचित विश्व-निन्दक-वृन्द लाला लाजपत राय द्वारा रचित दुखी भारत का एक अंश है जिसका प्रकाशन सन् १९२८ ई॰ में प्रयाग के इंडियन प्रेस, लिमिटेड द्वारा किया गया था।


"जो लोग अमरीका के पत्र-सम्पादकों की––जिस जाति से मिस मेयो आविर्भूत हुई है उसकी––नीति के सम्बन्ध में जानना चाहते हैं उनके लिए सबसे सरल उपाय यही है कि वे उपटन सिंक्लेयर की 'पीतल की हुण्डी' नामक साहित्यिक पुस्तक का अवलोकन करें। उपटन सिंक्लेयर ने अपने बालकाल में ज़िलाधीश के पद के लिए किसी उम्मेदवार को एक बार भाषण देते हुए सुना था। वह उम्मेदवार बवण्डर की भाँति अपने आन्दोलन में निमग्न था। वह व्याख्यानदाता प्रतिवर्ष नगर पुलिस को लाखों रुपया देनेवाली वेश्या-वृत्ति पर क्रोध प्रकट कर रहा था और नमक-मिर्च लगाकर अपने भाषण को उसने बड़ा मनोरञ्जक और प्रभावशाली बना लिया था।..."(पूरा पढ़ें)