हड़ताल
अर्थात्
जान गाल्सवर्दी के "Strife" नामक तीन अंकों के नाटक का हिन्दी अनुवाद
अनुवादक
प्रेमचन्द, बी॰ ए॰
प्रयाग
हिन्दुस्तानी एकेडेमी, संयुक्त प्रांत
१९३०
First Edition
Price Rs. 2/-
Printed by S. P. Khanna,
at the Hindi Sahitya Press,
Allahabad.
हिन्दोस्तानी एकेडेमी ने पच्छिम नाटक लिखने वालों के अच्छे अच्छे ड्रामों के अनुवाद छापने का प्रबंध किया है। उद्देश्य यह है कि हमारे देश के लोगों को नये युग के नाटकों के पढ़ने का आनंद मिले। इसमें संदेह नहीं कि हिन्दी और उर्दू में नाटकों की कमी नहीं, लेकिन हमारे नाटकों में विचारों की तरतीब, घटनाओं के क्रम और भावों के वर्णन में कमी है। इसका हमें खेद है। हिन्दुस्तान को यूनान की तरह इस बात का गौरव है कि इसने नाटक को उत्पन्न किया और उसे उन्नति दी। उस समय के बाद सैकड़ों साल योरुप और हिन्दुस्तान में नाटक की कला मुर्दा हालत में रही। लेकिन योरुप के नये जन्म (Renascence) में नाटक में भी जान आ गई और इङ्गलिस्तान, फ्रांस और और देसों में ऊंचे दर्जे के नाटक लिखने वाले पैदा हुए। उन्होंने ऐसे मारके के ड्रामें रचे कि सारी दुनिया में धूम मच गई। किन्तु शेक्सपियर के मरने पर ड्रामे की बस्ती सूनी सी हो गई और तीन सौ बरस के सन्नाटे के बाद उन्नीसवीं सदी में इसमें फिर चहल पहल शुरू हुई। नये ड्रामे का अगुआ नारवे का मशहूर नाटक लिखने वाला हेनरिक इब्सन (Henrik Ibsen) हुआ। बरनार्ड शॉ, गाल्सवर्दी और दूसरे लेखकों ने इंगलिस्तान में और ब्रीयू, हाऊप्टमैन इत्यादि ने फ्रांस और जर्मनी में इस के क़दमों पर चल कर जस कमाया।
उन्नीस्वीं सदी में योरुप की जातियों में बड़ी भारी तब्दीली हुई जिसका गहरा असर उनके समाज, रहन सहन के ढंग, कला और व्यापार के तरीक़े और मुल्क के संगठन और प्रबंध पर पड़ा। मनुष्य की ज़िन्दगी का कोई पहलू इस प्रभाव से न बचा। आज़ादी, समता, और देश प्रेम के भावों ने लोगों के दिलों को पलट दिया। सच तो यह है कि ऐसे ज़माने बहुत कम हुए हैं जिनमें मनुष्य और समाज के जीवन में जोरों की उलट फेर हुई हो।
हर एक आन्दोलन में नये पुराने, गुज़रे हुए और आने वाले ज़माने का संघर्ष होता है। बात यह है कि जब परिवर्त्तन की चाल तेज़ होती है और संघर्ष की दशा विकट-तो हमारे भावों में बेचैनी पैदा होती है और वह प्रगट होने की राह ढूंढते हैं। न दबने वाले भाव भड़क उठते हैं, लिखने वाले का दिल ठेस खाता है और वह मजबूर होता है कि आत्मा को क्लेश देने वाले संकट को ड्रामे के रूप में प्रगट करे। इसी लिए नाटक समाज के जीवन का दर्पन है जिसमें संघर्ष की सूरतें दिखाई देती हैं। उन्नीस्वीं सदी में मनुष्य का मान इस बात को नहीं सह सकता था कि उसके पैर पुरानी बेड़ियों से जकड़े रहें। अपने गौरव का नया अनुभव आज़ादी और समता की नई राहों पर चलाता है और उसके मन में नई रस्मों, नये रिवाजों और जीवन के नये ढंगों की इच्छा पैदा होती है। इन्हीं की छाया उसके ड्रामे में नज़र आती है।
हिन्दुस्तान के हृदय में भी आज कुछ ऐसे ही विचार और भाव हिलोर ले रहे हैं। हमारे जीवन में भी एक अद्भुत हलचल है जो योरुप की उन्नीस्वीं सदी के परिवर्तन से कहीं अधिक है। यहां भी नये और पुराने युग के संघर्ष ने भयानक रूप धारन किया है इस खींचतान का असर रीति रिवाज पर, धर्म पर, समाज पर, यहां तक कि जीवन के सभी अंगों पर दिखाई पड़ता है। यह कैसे मुमकिन है कि इससे दिलों में उमंग, लहू में जोश पैदा न हो, और भावुक लेखकों के तड़पते दिल आत्मा की बेकली को प्रगट करने के लिए नाटक को अपना साधन न बनाएँ। हम यह चाहते हैं कि हमारे नाटक लिखने वाले इन ड्रामों की तरफ़ ध्यान दें और हमारे देश के रहने वाले इनमें दिलचस्पी लें। यह तो सब मानेंगे कि आदमी योरुप के हों या एशिया के—आदमी हैं। रीति रिवाज के झीने परदे इनमें कितना ही अंतर क्यों न बना दें लेकिन वे ही भाव, वे ही विचार, सब कहीं मौजूद हैं। यदि योरुप के ड्रामे हिन्दुस्तानी भाषा में उपस्थित किये जायं तो क्या यह सम्भव नहीं कि इनको देख कर हमारे देस में बरनार्ड शॉ, गाल्सवर्दी, मेज़फील्ड सरीखे नाटक लिखने वाले पैदा हों।
हम यह नहीं कहते कि यह अनुवाद मुहाविरे और भाषा की दृष्टि से निर्दोष हैं। इनमें ग़लतियें हो सकती हैं। बात यह है कि अभी हमारी ड्रामे नाटक की भाषा से अनजान से हैं और इनमें सुधार की बड़ी ज़रूरत है। हम आशा करते हैं कि यह अनुवाद इस कमी के पूरा करने के उपयोगी काम में सहायक होंगे।
ताराचंद
मंत्री,
हिन्दुस्तानी एकेडेमी, संयुक्त प्रांत।
जॉन ऐंथ्वनी | ... टिनार्थ के टीन के कारख़ाने का प्रधान |
एडगार ऐंथ्वनी | ... उसका पुत्र |
फ्रेडरिक वाइल्डर विलियम स्केंटलबरी ओलिवर वेंकलिन |
... बोर्ड के डाइरेक्टर |
हेनरी टेंच | ... मन्त्री |
फ्रांसिस अंडरवुड | ... मैनेजर |
साइमन हार्निस | ... ट्रेड यूनियन का एक अधिकारी |
डेविड रॉबर्ट जेम्स ग्रीन डॉन बल्जिन हेनरी टामस जॉर्ज राउस |
... मज़दूरों की कमेटी |
हेनरी राउस लुइस जागो एवेंस एक लुहार डेविस लाल बाल वाला युवक ब्राउन |
... कारख़ाने के मज़दूर |
फ्रॉस्ट | ... जॉन ऐंथ्वनी का ख़ानसामा |
एनिड | ... जॉन ऐंथ्वनी की बेटी |
एनी रॉबर्ट | ... डेविड रॉबर्ट की बीबी |
मेज टॉमस | ... हेनरी टॉमस की बेटी |
मिसेज़ राउस | ... जॉर्ज और हेनरी राउस की माँ |
मिसेज़ बल्जिन | ... जॉन बल्जिन की बीबी |
मिसेज़ यो | ... एक मज़दूर की बीबी |
अंडरवुड परिवार की एक सेविका | |
जॉन | ... मैज का छोटा भाई |
मज़दूरों का एक समूह |
मैनेजर के घर का भोजनालय
पहिला दृश्य
रॉबर्ट के घर का बावर्चीखाना
दूसरा दृश्य
कारखाना के बाहर का दृश्य
मैनेजर के घर का दीवान खाना
घटना सातवीं फरवरी को तीसरे पहर बारह और छः बजे के बीच में शुरू होती है।
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यह कार्य संयुक्त राज्य अमेरिका में भी सार्वजनिक डोमेन में है क्योंकि यह भारत में 1996 में सार्वजनिक प्रभावक्षेत्र में आया था और संयुक्त राज्य अमेरिका में इसका कोई कॉपीराइट पंजीकरण नहीं है (यह भारत के वर्ष 1928 में बर्न समझौते में शामिल होने और 17 यूएससी 104ए की महत्त्वपूर्ण तिथि जनवरी 1, 1996 का संयुक्त प्रभाव है।