हड़ताल/अङ्क तीसरा
अङ्क तीसरा।
दृश्य १
[पाँच बज गए हैं। अन्डरवुड के दीवानखाने में, जो सुरुचि के साथ सजा हुआ है, एनिड सोफ़ा पर बैठी हुई बच्चे का फ्राक सी रही है। एडगार एक छोटी सी लम्बी टांग की मेज़ पर कमरे के बीच में बैठा हुआ एक चीनी की संदूकची को घुमा रहा है। उसकी आँखें दुहरे दरवाज़ों की तरफ़ लगी हुई हैं जो दीवानख़ाने में खुलता है।]
एडगार
[चीनी की डिबिया को रख कर और अपनी घड़ी को एक नज़र देखकर]
ठीक पाँच बजे हैं। फ्रक के सिवा और सब वहाँ आकर बैठे हुए हैं। वह कहाँ हैं?
एनिड
एडगार
उन से क्या काम निकलेगा। यह तो डाइरेक्टरों का काम है।
[इकहरे दरवाजे की तरफ़ इशारा कर के जिस पर पर्दा पड़ा हुआ है]
दादा अपने कमरे में हैं?
एनिड
हाँ!
एडगार
मैं चाहता हूँ कि वे वहीं बैठे रहें।
[एनिड आँख उठाती है]
यह बड़ा बेहूदा काम है, बहन।
[उस छोटी संदूक़ची को फिर उठा लेता है, और उसे बार बार घुमाता है]
एनिड
एडगार
यह तो अच्छी बात न थी।
एनिड
वह अपनी स्त्री को मार डालता है।
एडगार
तुम्हारा मतलब है कि हम लोग मारे डालते हैं।
एनिड
[चौंककर]
रॉबर्ट को मान जाना चाहिए।
एडगार
मजूरों के पक्ष में भी बहुत कुछ कहा जा सकता है।
एनिड
मुझे अब उन पर उस की आधी दया भी नहीं आती जितनी वहां जाने के पहिले आती थी। वे हम लोगों के विरुद्ध जातिभेद फैलाते हैं। बेचारी ऐनी की दशा ख़राब थी-आग बुझी जाती थी। और खाने को उसके लायक कुछ न था।
[एडगार इस सिरे से उस सिरे तक टहलने लगता है]
लेकिन फिर भी रॉबर्ट का दम भर रही थी। जब हम यह सारी दुर्दशा आँखों से देखते हैं, और अनुभव करते हैं कि हम कुछ कर नहीं सकते, तो आँखें बन्द कर लेनी पड़ती हैं।
एडगार
अगर बन्द हो सकें!
एनिड
जब मैं वहाँ गई तो मैं सोलहो आना उनके पक्ष में थी। लेकिन ज्यों ही मैं वहाँ पहुँची, तो मेरे मन में कुछ और ही भाव आने लगे। लोग कहते हैं कि मजूरों पर दया करनी चाहिए। वे नहीं जानते इसे व्यवहार में लाना कितना कठिन है। मुझे तो निराशा होती है।
एडगार
एनिड
मजूरों को इस दशा में पड़े देख कर बड़ा दुःख होता है। मुझे तो अब भी आशा है कि दादा कुछ रियायत करेंगे।
एडगार
वह कुछ न करेंगे।
[निराश होकर]
यह उन का धर्म हो गया है। इसका सत्यानाश हो! मैं जानता हूँ जो कुछ होनेवाला है! उन्हें बहुमत से हारना पड़ेगा।
एनिड
डाइरेक्टरों की इतनी हिम्मत नहीं है।
एडगार
है क्यों नहीं, सबों के होश उड़े हुए हैं।
एनिड
[क्रोध से]
एडगार
[कंधा हिलाकर]
बहिन, अगर तुम्हें राएँ कम मिलेंगी तो मानना ही पड़ेगा।
एनिड
ओह !
[घबराकर खड़ी हो जाती है]
लेकिन क्या वह इस्तीफ़ा दे देंगे?
एडगार
अवश्य। यह तो उन के सिद्धान्तों की जड़ ही काट देता है।
एनिड
लेकिन एडगार, इस कम्पनी पर उन्हों ने अपना तन मन सब अर्पण कर दिया। उन के लिए तो कुछ रह ही न जायगा। भयंकर समस्या खड़ी हो जायगी।
[एडगार अपने कंधे हिलाता है]
एडगार
[अपने भावों को छिपाने के लिए उबल पड़ता है]
इस हड़ताल में मैं सोलहो आना मजूरों के पक्ष में हूँ।
एनिड
वह तीस साल से इस कंपनी के सभापति हैं। सब उन्हीं का किया हुआ है और सोचो उन्हें कैसी कैसी कठिनाइयाँ झेलनी पड़ी हैं। उन्हीं ने उन का बेड़ा पार लगाया। टेड तुम उन्हें-
एडगार
तुम चाहती क्या हो? तुम ने अभी कहा कि तुम्हें आशा है, दादा कुछ रियायत करेंगे। अब तुब चाहती हो कि रियायत न करने में मैं उनका साथ दूँ। यह खेल नहीं है, एनिड।
एनिड
[तेज़ होकर]
तो मेरे लिए भी दादा के हाथों से उन सब अख्तिआरों के निकल जाने का भय खेल नहीं है, जो उनके जीवन के आधार हैं। अगर वह राजी न हुए, और उन्हें हार माननी पड़ी, तो उनकी कमर ही टूट जायगी।
एडगार
तुम्हीं ने तो कहा है कि आदमियों को इस दशा में देख कर बड़ा दुःख होता है।
एनिड
लेकिन यह भी तो सोचो, टेड, कि दादा से यह चोट सही न जायगी। तुम्हें किसी तरह उन लोगों को रोकना चाहिए। और सब उनसे डरते हैं। अगर तुम उन की तरफ़ हो जाव तो कोई उन का कुछ नहीं कर सकता।
एडगार
[माथे पर हाथ रखकर]
अपने धर्म के विरुद्ध तुम्हारे धर्म के विरुद्ध! ज्यों ही अपनी बात आ जाती है-
एनिड
एडगार
हम हों या हमारा परिवार एक ही बात है। अपनी बात आई, और खेल बिगड़ा।
एनिड
[चिढ़कर]
तुम दिल्लगी कर रहे हो और मैं सच कहती हूँ।
एडगार
मुझे उनसे उतना ही प्रेम है, जितना तुमको है मगर यह बिलकुल दूसरी बात है।
एनिड
मजूरों की क्या दशा होगी यह हम कुछ नहीं जानते। यह सब अनुमान है। लेकिन दादा का कोई ठिकाना नहीं। क्या तुम्हारा यह मतलब है कि वह तुम्हें मजूरों से-
एडगार
एनिड
तब तुम्हारी बात मेरी समझ में नहीं आती।
एडगार
शायद!
एनिड
अगर अपनी ख़ातिर करना पड़ता तो और बात थी। लेकिन अपने बाप के लिये मैं इसे शर्म की बात नहीं समझती। मालूम होता है तुम इस का मर्म नहीं समझ रहे हो।
एडगार
खब समझ रहा हूँ।
एनिड
उनको बचाना तुम्हारा मुख्य धर्म है।
एडगार
एनिड
[मिन्नत करके]
हरे टैड, जीवन से उन का यही एक संबंध रह गया है। यह उन के प्राण ही लेकर छोड़ेगा।
एडगार
[उद्गार को रोककर]
हाँ, है तो ऐसा ही।
एनिड
बचन दो।
एडगार
मुझसे जो कुछ हो सकेगा करूँगा।
[वह दुहरे दरवाजों की ओर घूमता है]
[पर्देदार दरवाजा खुलता है, और ऐंथ्वनी अन्दर आता है। एडगार दुहरे दरवाजों को खोलकर चला जाता है।]
[स्केंटलबरी की धीमी आवाज़ यह कहते हुए सुनाई देती है "पाँच बज गए। यह झगड़ा खतम न होगा। हमें उस होटल में फिर भोजन करना पड़ेगा।" दरवाज़े बन्द हो जाते हैं ऐंथ्वनी आगे बढ़ता है।]
ऐंथ्वनी
मैं ने सुना तुम रॉबर्ट्स के घर गई थीं।
एनिड
जी हाँ।
ऐंथ्वनी
तुम जानती हो कि इस खाई के पार करने की चेष्टा करना कितना कठिन है।
[एनिड कुरते को छोटी मेज़ पर रख देती है, और उसके सामने ताकती है]
जैसे कोई चलनी को बालू से भरे!
एनिड
ऐसा न कहिए दादा।
ऐंथ्वनी
तुम समझती हो कि अपने दस्तानेदार हाथों से तुम देश की विपत्ति को दूर कर सकती हो।
[वह आगे बढ़ जाता है]
एनिड
दादा।
[ऐंथ्वनी दुहरे दरवाज़े पर रुक जाता है।]
मुझे तुम्हारी ही चिन्ता है।
ऐंथ्वनी
[और नम्र होकर]
बेटी, मैं अपनी रक्षा आप कर सकता हूँ।
एनिड
तुम ने सोचा है, अगर वहाँ-
[उँगली दिखाती है]
तुम्हारी हार हो गई तो क्या होगा?
ऐंथ्वनी
मेरी हार हो क्यों?
एनिड
ऐंथ्वनी
[उदास मुसकुराहट के साथ]
मैदान छोड़कर भाग जाऊँ।
एनिड
लेकिन उन लोगों का बहुमत हो जायगा।
ऐंथ्वनी
[दरवाज़े पर हाथ रखकर]
यही तो देखना है।
एनिड
मैं आप के पैरों पड़ती हूँ, दादा।
[ऐंथ्वनी उस की ओर प्यार से देखता है]
वहां न जाइएगा।
[ऐंथ्वनी सिर हिलाता है। वह दरवाज़ा खोलता है। आवाज़ों की भिनभिनाहट सुनाई देती है।]
स्केटलबरी
उसे साढ़े छः बजेवाली गाड़ी पर भोजन मिल जाता है न?
टेंच
जी नहीं। मैं तो समझता हूँ नहीं मिलता।
वायल्डर
मैं तो सब कुछ कह डालूँगा। इस दुविधे से जी भर गया।
एडगार
[चौंक कर]
क्या?
[यह आवाजें तुरन्त बन्द हो जाती हैं। ऐंथ्वनी दरवाज़े को बन्द करता हुआ उनके बीच से निकल जाता है। एनिड भय के भाव के साथ लपक कर दरवाज़े के पास आ जाती है। वह मुठिये को पकड़ लेती है। और उसे घुमाने लगती है। तब वह आतश खाने के पास जाती है, और उस के जंगले को पैरों से खटखटाती है। एकाएक वह घंटी बजाती है। फ्रॉस्ट उस दरवाज़े से आता है जो बड़े कमरे में खुलता है।]
फ्रॉस्ट
हाज़िर हूँ।
एनिड
देखो फ्रॉस्ट, मज़दूर आज आयें तो उन्हें यहाँ लाना। हाल में बड़ी ठंडक है।
फ्रॉस्ट
मुरग़ीख़ाने में न ले जाऊँ, हुज़ूर।
एनिड
नहीं। मैं उन का अनादर नहीं करना चाहती। ज़रा सी बात में बुरा मान जाते हैं।
फ्रॉस्ट
जी हाँ, हुज़ूर।
[रुक कर]
एनिड
मुझे मालूम है।
फ्रॉस्ट
बस, दो गिलास ह्विस्की और सोडा पिया।
एनिड
सच! तुम्हें उन को ये चीज़ें न देनी चाहिए थीं।
फ्रॉस्ट
[गम्भीरता से]
हुज़ूर, मिस्टर ऐंथ्वनी का मिज़ाज समझ में नहीं आता। उन्हें यह नहीं मालूम होता कि अब वह जवान नहीं हैं, इन चीज़ों से उन्हें हानि होगी। जो कुछ जी में आता है वही करते हैं।
एनिड
हम सब भी तो यही चाहते हैं।
फ्रॉस्ट
[धीरे से]
हड़ताल के बारे में मैं कुछ कहना चाहता हूँ। क्षमा कीजिएगा। मैं समझता हूँ कि और लोग मिस्टर ऐंथ्वनी की बात मान जायँ और पीछे से मजूरों की मांगें पूरी कर दें तो झगड़ा मिट जाय। मुझे मालूम है कि कभी कभी उन के साथ यह चाल ठीक पड़ती है।
[एनिड सिर हिलाती है]
अगर उन की बात काटी जाती है तो वह झल्ला उठते हैं।
[इस भाव से मानो उस ने कोई नई बात खोज पाई हो]
मैं ने अपनी ही दशा में देखा है, कि जब मुझे क्रोध आ जाता है तो पीछे उस पर पछताता हूँ।
एनिड
[मुसकुरा कर]
तुम्हें कभी क्रोध भी आता है, फ्रॉस्ट?
फ्रॉस्ट
एनिड
मैं ने नहीं देखा।
फ्रॉस्ट
[शान्त भाव से]
नहीं हुज़ूर आता है।
[एनिड द्वार के पीछे की तरफ पैरों से खेलती है]
[दर्द भरी आवाज़ में]
आप तो जानती हैं, मैं मिस्टर ऐंथ्वनी के साथ उसी वक्त से हूँ जब मैं १५ साल का था। इस बुढ़ापे में कोई उन्हें छेड़ता है तो मुझे दुःख होता है। मैं ने मिस्टर वैंकलीन से इस विषय में बातचीत की थी।
[धीमे स्वर में]
वह डाइरेक्टरों में सब से समझदार मालूम होते हैं। लेकिन उन्हों ने मुझ से कहा "यह तो ठीक है, फ्रॉस्ट, लेकिन यह हड़ताल बड़े जोखिम की बात है।" मैं ने कहा-"बेशक दोनों तरफ़ के लिए जोखिम की बात है। लेकिन मालिक की कुछ ख़ातिरदारी तो कीजिए। बस ज़रा पुचारा दे दीजिए। यह समझिए कि अगर किसी के सामने पत्थर की दीवार आ जाय तो वह उस से सिर नहीं टकराता, उस के ऊपर से होकर निकल जाता है।" इस पर वह बोले, "तुम अपने मालिक को यह सलाह क्यों नहीं देते?"
[फ्रॉस्ट अपने नहों की ओर ताकता है]
बस इतनी बात हुई, हुज़ूर! मैं ने आज मिस्टर ऐंथ्वनी से कहा, "ज़रा सी बात के लिये आप क्यों जान खपाते हैं?" तो मुझ से बोले, "बक-बक मत करो, फ्रॉस्ट, जो तुम्हारा काम है वह करो, या एक महीने की नोटिस लो।" इन बातों के लिए क्षमा कीजिएगा, हुज़ूर।
एनिड
[दुहरे दरवाज़ों के पास जाकर और कान लगा कर]
क्यों, फ्रॉस्ट, तुम रॉबर्ट को जानते हो?
फ्रॉस्ट
एनिड
[रुक कर]
हाँ।
फ्रॉस्ट
वह इन मामूली सीधे सादे साम्यवादियों में नहीं है। वह गुस्सेवर है, उस के अन्दर आग भरी हुई है। आदमी को अख़्तियार है कि वह जो राय चाहे रक्खे। लेकिन जब वह ज़िद पकड़ लेता है, तब वह उपद्रव करने लगता है।
एनिड
मैं समझती हूँ दादा का भी रॉबर्ट के विषय में यही ख़याल है।
फ्रॉस्ट
इसी से तो मिस्टर ऐंथ्वनी उस से चिढ़ते हैं।
[एनिड उस की ओर चुभती हुई निगाह डालती है। उसे चिन्तित देखकर खड़ी खड़ी अपने ओंठ काटने लगती है और दुहरे दरवाज़ों की ओर ताकती है।] दोनों आदमियों में खींचा तानी हो रही है। मुझे रॉबर्ट से ज़रा भी सहानुभूति नहीं है। मैं ने सुना है कि औरों की तरह वह भी मामूली मजूर है। अगर उस ने कोई नई चीज़ निकाली है तो दूसरों से उस की दशा अच्छी भी तो है। मेरे भाई ने एक नए क़िस्म की कल बना डाली। किसी ने उसे पुरस्कार नहीं दिया। लेकिन फिर भी उस का प्रचार चारों तरफ़ हो रहा है।
[एनिड दुहरे दरवाज़ों के और समीप आ जाती है।]
एक क़िस्म का आदमी होता है, जो सारे संसार से इस लिये जला करता है कि विधाता ने उसे अमीर क्यों न बनाया। मैं तो यह कहता हूँ कि शरीफ़ अपने से छोटे आदमियों को उसी तरह अपने बराबर समझता है जैसे वह खुद छोटा होता तो समझता।
एनिड
[कुछ अधीर हो कर]
फ्रॉस्ट
बहुत अच्छा, हुज़ूर।
[वह दरवाज़े खोलता है और अन्दर जाता है। जोशीली, बल्कि गुस्से से भरी हुई बातचीत की क्षीणक आवाज़ सुनाई देती है।]
वायल्डर
मैं आप से सहमत नहीं हूँ।
वैंकलिन
रोज़ ही तो यह विपत्ति सिर पर सवार रहती है।
एडगार
[अधीर होकर]
लेकिन प्रस्ताव क्या है?
स्कैंटलबरी
वैंकलिन
मेरी समझ में सभापति ने यह कहा है-
[फ्रॉस्ट फिर दरवाज़े को बन्द करता हुआ अन्दर आता है]
एनिड
[दरवाजे से हटकर]
क्या वे अब चाय न पिएंगे?
[वह छोटी मेज़ के पास जाती है और बच्चे के फ्रॉक की तरफ़ ताकती हुई चुपचाप खड़ी रहती है।]
[एक टहलनी हॉल से अन्दर आती है।]
टहलनी
मिस टॉमस आई हैं, हुज़ूर।
एनिड
[सिर उठा कर]
टॉमस्? कौन मिस टॉमस्? क्या वह?
टहलनी
एनिड
[ऊपरी मन से]
अच्छा! वह कहाँ है?
टहलनी
ड्योढ़ी में।
एनिड
कोई ज़रूरत नहीं-
[कुछ हिचकिचाती है]
क्या उसे जवाब दे दूँ, हुजूर?
एनिड
मैं बाहर आती हूँ। नहीं उसे अन्दर बुला लो एलिन।
[टहलनी और फ्रॉस्ट बाहर जाते हैं। एनिड अपने ओंठ सिकोड़ कर छोटी मेज़ पर बैठ जाती है, और बच्चे का फ्रॉक सीने लगती है। टहलनी मैज टॉमस को अन्दर लाती है, और चली जाती है। मैज दरवाजे के पास खड़ी हो जाती है।] एनिड
चली आओ, क्या बात है? किस लिए आई हो? मिसेज़ रॉबर्ट के पास से एक संदेशा लाई हूँ।
एनिड
सँदेशा? क्या?
मैज
उसने आप से कहा है कि उस की माँ की ख़बर लेती रहिएगा।
एनिड
यह बात मेरी समझ में आई नहीं।
मैज
[रुखाई से]
एनिड
लेकिन-क्या बात है! क्यों?
मैज
एनी रॉबर्ट मर गई है।
[दोनों चुप हो जाती हैं]
एनिड
[घबराकर]
लेकिन अभी एक ही घंटा हुआ मैं उसके पास से चली आती हूँ।
मैज
ठंढ और भूख से मर गई।
एनिड
[उठकर]
मैज
[अपने क्रोध को दबाकर]
मैंने समझा शायद आप जानना चाहती हैं।
एनिड
[उत्तेजित होकर]
तुम मुझपर अन्याय कर रही हो। क्या तुम देखती नहीं हो कि मैं तुम लोगों की मदद करनी चाहती हूँ?
मैज
जब तक मुझे कोई नहीं सताता, मैं उसे नहीं सताती।
एनिड
[रूखेपन से]
मैज
[वेदना से विह्वल होकर]
तुम अपना विलास छोड़कर हमारी टोह लेने जाती हो! तुम चाहती हो कि हम लोग एक सप्ताह भूखों मरें।
एनिड
[अपनी बातपर अड़कर]
बे सिर पैर की बातें न करो।
मैज
मैंने उसे मरते देखा। उसके हाथ ठिठुर कर काले हो गए थे।
एनिड
[शोक से विकल होकर]
मैज
देह को गर्म रखने के लिए कुछ नहीं है तो अभिमान ही सही।
एनिड
[झल्लाकर]
मैं तुम्हारी बातें नहीं सुनना चाहती। तुम क्या जानती हो मुझे कितना दुःख हो रहा है? अगर मैं तुमसे अच्छी दशा में हूँ तो इसमें मेरा क्या अपराध है?
मैज
हम आपकी दौलत नहीं चाहते।
एनिड
तुम न कुछ समझती हो और न समझना चाहती हो। यहाँ से चली जाव।
मैज
[कटुता से]
एनिड
[क्रोध और आवेश से]
क्यों कोसती हो? मेरे पिता तो इस मनहूस हड़ताल के कारण आप ही बेहाल रो रहे हैं!
मैज
[कठोर गर्व के साथ]
तब उनसे कह दो मिसेज़ रॉबर्ट मर गई। इससे उन्हें फ़ायदा होगा।
एनिड
चली जाव।
मैज
जब कोई हमारे पीछे पड़ता है तो हम भी उसके पीछे पड़ जाते हैं।
[वह यकायक तेज़ी से एनिड की तरफ बढ़ती है, उसकी आँखें छोटी मेज़ पर रक्खे हुए बच्चे के फ्रॉक पर जमी हुई हैं। एनिड फ्रॉक को उठा लेती है, मानो वह बच्चा ही मैज
हो। दोनों आँखें मिलाए एक गज़ के अन्तर पर खड़ी हो जाती है।]
मैज
[कुछ मुसकरा कर फ्रॉक की तरफ़ इशारा करते हुए]
अच्छा यह बात है! यह उसके बच्चे का फ्रॉक है। यह बहुत अच्छा है कि आपको उसकी माँ की रक्षा करनी पड़ेगी। उसके बच्चों की नहीं। बुढ़िया बहुत दिनों तक आपको कष्ट न देगी।
एनिड
चली जाव।
मैज
मैं आपसे उसका सँदेशा कह चुकी।
[वह फिर कर हॉल में चली जाती है। जब तक चली नहीं जाती एनिड निश्चल खड़ी रहती है तब मेज़ पर झुक कर उस फ्रॉक के ऊपर अपना सर झुका लेती है जिसे वह अभी तक लिए हुए है। दुहरे दरवाज़े खुलते हैं और ऐंथ्वनी मन्द गति से आते हैं। वह अपनी लड़की के सामने से होकर जाते हैं और एक आराम कुर्सी पर बैठ जाते हैं। उनका चेहरा लाल है]
एनिड
[अपने आवेश को छिपाकर]
क्या बात है, दादा?
[ऐंथ्वनी सिर हिला देते हैं पर कुछ बोलते नहीं।]
क्या बात है?
[ऐंथ्वनी जवाब नहीं देते एनिड दुहरे दरवाज़ों के पास जाती है। वहाँ एडगार आता हुआ उससे मिल जाता है। दोनों आहिस्ता आहिस्ता बातें करने लगते हैं] क्या बात है, टेड?
एडगार
वही बेहूदा वाइल्डर! व्यक्तिगत आक्षेप करने लगा। साफ़ गालियाँ दे रहा था।
एनिड
एडगार
कहता था दादा इतने बुड्ढे और दुर्बल हो गए हैं कि उन्हें कुछ सूझता ही नहीं। दादा अभी उसके जैसे छः आदमियों के बराबर हैं।
एनिड
और क्या।
[दोनों ऐंथ्वनी की ओर देखते हैं]
[दरवाज़े खुल जाते हैं। वेंकलिन स्केंटलबरी के साथ आता है।]
स्केंटिलबरी
[एक स्वर में]
मुझे यह बात पसन्द नहीं है।
वेंकलिन
[आगे बढ़कर]
प्रधान जी, वाइल्डर ने आपसे माफ़ी मांगी है। कोई आदमी इसके सिवा और क्या कर सकता है?
[वाइल्डर, जिसके पीछे-पीछे टेंच है, अन्दर आता है और ऐंथ्वनी के पास जाता है।]
वाइल्डर
[बेदिली से]
मैं अपने शब्दों को वापस लेता हूँ, महाशय। मुझे खेद है।
[ऐंथ्वनी सिर हिलाता है]
एनिड
क्यों मिस्टर वेंकलिन, तुमने कुछ निश्चय नहीं किया?
[वेंकलिन सिर हिलाता है]
वेंकलिन
प्रधान जी, हम सब यहाँ हैं। अब आप क्या कहते हैं? हम इस मामले पर विचार करें या दूसरे कमरे में चले जायँ।
स्केंटिलबरी
हाँ-हाँ हमें विचार करना चाहिए। कुछ न कुछ निश्चय करना ज़रूरी है।
[वह छोटी कुर्सी से घूमकर सब से बड़ी कुर्सी पर बैठ जाता है। और आराम का साँस लेता है।]
एनिड
[धीरे से]
मैं तुमसे कुछ कहना चाहती हूँ, टेड।
[दोनों दुहरे दरवाज़ों से बाहर चले जाते हैं]
वेंकलिन
सच्ची बात यह है, प्रधान जी, अब इस भ्रम से अपने को तसकीन देना कि हमारा कोई कुछ बिगाड़ नहीं सकता उचित नहीं है। अगर आम जलसे के पहिले इस हड़ताल का अन्त नहीं हो जाता तो हिस्सेदार लोग हमारी बुरी गति बनायेंगे।
स्केंटिलबरी
[चौंककर]
वेंकलिन
यह तो होगा ही।
ऐंथ्वनी
बनाने दो।
वाइल्डर
तो हम अपनी जगह पर रह चुके।
वेंकलिन
[ऐंथ्वनी से]
मुझे उसी नीति के लिए बलिदान हो जाने में कोई भय नहीं है जिस पर मुझे विश्वास हो। लेकिन किसी दूसरे के सिद्धान्तों के लिए जलना मुझे मंज़ूर नहीं।
स्केंटिलबरी
ऐंथ्वनी
दूसरे कारखानेवालों के हित के विचार से हमें दृढ़ रहना चाहिए।
वेंकलिन
उसकी भी एक सीमा है।
ऐंथ्वनी
शुरू में तो आप लोग जोश से भरे हुए थे।
स्केंटिलवरी
[रोनी सूरत बनाकर]
हमने समझा था मजदूर लोग दब जायँगे, लेकिन यह ख़याल ग़लत निकला।
ऐंथ्वनी
वाइल्डर
[उठकर कमरे में इस सिरे से उस सिरे तक टहलता हुआ]
व्यवसायी आदमी हूँ, और मज़दूरों को भूखों मार डालने के सन्तोष के लिए अपने नाम में बट्टा नहीं लगाना चाहता।
[आँखों में आँसू भरकर]
यह मुझसे नहीं होगा। ऐसी दशा में हम हिस्सेदारों को कैसे मुँह दिखा सकेंगे।
स्केंटिलबरी
हियर हियर हियर!!
वाइल्डर
[अपने को धिक्कार कर]
अगर कोई मुझसे यह आशा रक्खे कि मैं उनसे यह कहूँगा मैंने तुम्हें ५० हज़ार पौंड की चपत दी, और चाहे इतना ही घाटा और हो जाय, तो भी अपनी टेक न छोड़ँगा तो-
[ऐंथ्वनी की ओर देख कर]
वेंकलिन
[नम्रता से]
देखिए, प्रधान जी, हम लोग बिलकुल स्वाधीन नहीं हैं। हम सब एक कल के पुर्ज़े हैं। हमारा काम केवल इतना है कि जितना लाभ कम्पनी को हो सके उतना होने दें। अगर आप मुझ पर आक्षेप लगायें कि तुम्हारा कोई सिद्धान्त नहीं है तो मैं कहूँगा कि हम केवल प्रतिनिधि हैं। बुद्धि कहती है कि अगर यह हड़ताल चलती रही तो हमें जितनी हानि होगी वह मजूरी की बचत से न पूरी होगी। वास्तव में, प्रधान जी, जिन अच्छी से अच्छी शर्तों पर हो सके यह झगड़ा बन्द कर देना चाहिए।
ऐंथ्वनी
ऐसा नहीं हो सकता!
[सब के सब सन्नाटे में आ जाते हैं।]
वाइल्डर
तो इधर भी हड़ताल ही समझिए।
[निराशा से अपने हाथों को पटक कर]
मेरा स्पेन का जाना हो चुका!
वेंकलिन
[व्यंग मिले हुए स्वर में]
प्रधान जी, आपने अपनी विजय का फल देख लिया?
वाइल्डर
[आकस्मिक आवेश के साथ]
मेरी स्त्री बीमार है!
स्केंटिलबरी
यह तो आपने बुरी सुनाई।
वाइल्डर
[एडगार दुहरे दरवाज़े से अन्दर आता है, वह बहुत गम्भीर दिखाई देता है।]
एडगार
[अपने बाप से]
आपने सुना मिसेज रॉबर्ट मर गई।
[सब उसकी तरफ़ ताकने लगते हैं मानो इस समाचार की गुरुता पर विचार करते हों]
एनिड आज शाम को उसके घर गई थी। वहाँ न कोयला था, न खाना था और न कोई और चीज़ थी। बस हद हो गई!
[सन्नाटा हो जाता है। सब एक दूसरे से आँखे चुराते हैं। केवल ऐंथ्वनी बेटे की तरफ़ घूर कर देखता है]
स्केंटिलवरी
क्या आपका ख़याल है, हम लोग उस ग़रीबिन की कुछ मदद कर सकते थे?
वाइल्डर
[उत्तेजित होकर]
एडगार
[गर्म होकर]
मैं कहता हूँ कि हम सब ज़िम्मेदार हैं।
ऐंथ्वनी
लड़ाई लड़ाई है!
एडगार
औरतों से नहीं!
वेंकलिन
बहुधा औरतों के ही माथे जाती है।
एडगार
अगर यह हमको मालूम है, तो हमारी जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है।
ऐंथ्वनी
एडगार
आप मुझे जो चाहें कहेँ, मैं इससे ऊब गया हूँ। हमें मामले को इतना तूल देने का कोई अधिकार न था।
वाइल्डर
मुझे यह बात रत्ती भर भी पसन्द नहीं। वह औंधी खोपड़ी वाला साम्यवादी पत्र इस मामले को तोड़ मरोड़ कर अपना मतलब गांठेगा। देख लेना। कोई ऊट-पटाँग कहानी गढ़ कर यह दिखायेगा कि औरत भूखों मर गई। मेरा इसमें कोई दोष नहीं।
एडगार
आप इससे किनारे नहीं रह सकते। हममें से कोई नहीं रह सकता।
स्केंटिलवरी
[कुर्सी के बाजू पर घूँसा मार कर]
एडगार
आप जितना विरोध चाहें करें, आप सच को झूठ नहीं कर सकते।
ऐंथ्वनी
बस। अब मत बांधो।
एडगार
[क्रोध से उनके सामने खड़े होकर]
जी नहीं, मैं आपसे वही कहता हूँ जो मेरे दिल में है। अगर हम यह सोचें कि मज़दूरों को कष्ट नहीं हो रहा है, तो यह झूठ है। और अगर उन्हें कष्ट हो रहा है, तो यह मानी हुई बात है कि औरतों को ज्यादा कष्ट हो रहा है और बच्चोंकी दशा तो कुछ कही नहीं जा सकती। मानव स्वभाव का इतना ज्ञान हमको है।
[स्केंटिलबरी कुर्सी से खड़ा हो जाता है]
मैं यह नहीं कहता कि उन्हें सताने का हमारा इरादा था। मैं यह नहीं कहता, लेकिन मैं यह ज़रूर कहता हूँ कि हमारा सच की ओर से आंखें बन्द कर लेना बेजा था। हमने इन आदमियों को नौकर रक्खा है, और इस अपराध से नहीं बच सकते। मर्दों की तो मुझे ज्यादा परवाह नहीं है, लेकिन मैं औरतों को इस तरह मारना नहीं चाहता। इससे तो यह कहीं अच्छा है कि मैं बोर्ड से इस्तीफ़ा दे दूँ।
[ऐंथ्वनी के सिवा और सब खड़े हो जाते हैं। ऐंथ्वनी कुर्सी की बाँह पकड़े पुत्र की ओर ताकता हुआ बैठा रहता है।]
स्केंटिलबरी
भाई जान, आप जिन शब्दों में अपने भाव प्रकट कर रहे वह मुझे पसंद नहीं।
वेंकलिन
आप हद से आगे बढ़े जा रहे हैं।
वाइल्डर
एडगार
[आपे से बाहर होकर]
इन बातों की ओर से आँखें मीच लेने से काम न चलेगा। अगर आप लोग औरतों का ख़ून अपनी गरदन पर लेना चाहते हो तो लें। मैं नहीं लेना चाहता।
स्केंटिलबरी
बस-बस, भाई जान।
वाइल्डर
"हमारी" गर्दन कहिए 'मेरी' गर्दन नहीं। मैं अपनी गर्दन पर यह पाप नहीं लेना चाहता।
एडगार
स्केंटिलवरी
[उन्मत्त होकर]
मैं इसे नहीं मानता, किसी तरह नहीं। मेरे हृदय में दया है, हम सभी सज्जन हैं।
एडगार
[श्लेषक भाव से]
हमारी सज्जनता में कोई बाधा नहीं है। यह हमारी कल्पना का दोष है, मि॰ स्केंटिलबरी।
स्केंटिलबरी
वाहियात! मेरी कल्पना तुम्हारी कल्पना से घट कर नहीं है।
एडगार
जैसी होनी चाहिए वैसी नहीं है।
वाइल्डर
एडगार
तो फिर क्यों नहीं रोका?
वाइल्डर
तो क्या बात रह जाती?
[ऐंथ्वनी की ओर देखता है।]
एडगार
अगर आप और मैं और हम सब ने जो कह रहे हैं कि हमारी कल्पना इतनी अच्छी है-
स्केंटिलबरी
[घबड़ा कर]
मैंने यह नहीं कहा।
एडगार
[अनसुनी करके]
इसकी जड़ काट दी होती तो यह मामला कब का ठण्ढा हो गया होता और यह दुखिया इस तरह एड़ियाँ रगड़ रगड़ कर न मरती। कौन कह सकता है कि अभी एक दर्जन और औरतें इसी तरह फ़ाके नहीं कर रही हैं।
स्केंटिलवरी
भाई साहब, खुदा के लिये इस शब्द का इस-इस-बोर्ड के जल्से में प्रयोग न कीजिए। यह—यह भयंकर है।
एडगार
कोई वजह नहीं कि मैं इसका प्रयोग न करूँ।
स्केंटिलबरी
तो मैं तुम्हारी बातें न सुनूंगा मैं कान ही न दूँगा। मुझे दुख होता है।
[अपने कान बन्द कर लेता है]
वेंकलिन
एडगार
मुझे विश्वास है कि अगर हिस्सेदारों को मालूम हो जाय कि-
वेंकलिन
मेरा ख़याल है कि आपको उनकी कल्पना में भी यही दोष मिलेगा। अगर किसी स्त्री का दिल कमज़ोर है तो क्या इस लिये-
एडगार
ऐसे उपद्रवों में सभी के दिल कमज़ोर हो जाते हैं, यह बच्चा भी जानता है। अगर हमने डकैतों की चाल न चली होती तो इस तरह उसके प्राण न जाते, और यह तबाही न नज़र आती जो चारों तरफ़ फैली हुई है। जिसे ज़रा सी भी बुद्धि है वह समझ सकता है।
[जब तक एडगार बोलता है ऐंथ्वनी उसकी तरफ देखता रहता है। वह अब उठना चाहता है लेकिन एडगार को फिर बोलते देखकर रुक जाता है]
मैं मजूरों की, अपनी, या किसी दूसरे की सफ़ाई नहीं दे रहा हूँ। वेंकलिन
शायद आप को सफ़ाई देनी पड़े। अदालत की निष्पक्ष जूरी शायद हमारे ऊपर कुछ भद्दे आक्षेप करे! हमें अपनी आबरू की रक्षा भी तो करनी है।
स्केंटिलबरी
[कानों को बन्द किए हुए]
अदालत की जूरी! नहीं, नहीं, यह वैसा मामला नहीं है।
एडगार
मुझ से अब और कायरता न होगी।
वेंकलिन
वाइल्डर
बेशक। हमें अफ़वाहों के सिवा, इस मामले की कोई ख़बर नहीं है। सब से सुगम उपाय यह है कि सारी बात मि॰ हारनेस पर छोड़ दें कि वह हमारी तरफ़ से तय कर दें। यह सीधा रास्ता है, और उसी पर हमें आ जाना चाहिए था।
स्केंटिलबरी
[गर्व से]
ठीक!
[एडगार की तरफ़ फिरकर]
और आपके विषय में मैं इतना ही कहता हूँ कि जिन शब्दों में आपने इस मामले को बयान किया है, वह मुझे बिलकुल पसन्द नहीं है। आपको उन शब्दों को वापस लेना चाहिए। आप हमारी राय को जानते हुए भी यहाँ फाके और कायरता की चर्चा करते हैं। आप के बाप के सिवा हम सब लोगों की यह राय है कि मेल ही सब से अच्छी नीति है। आप का कथन बिलकुल अनुचित
और अविचार से भरा हुआ है। और मैं इसके सिवा और
कुछ न कहूँगा कि मुझे इससे कष्ट हुआ है—
[वह अपना हाथ अपने प्रस्ताव पत्र के बीच में रखता है]
एडगार
[दुराग्रह से]
मैं एक शब्द भी वापस न लूंगा।
[वह कुछ और कहने जा रहा है लेकिन स्केंटिलबरी फिर कानों पर हाथ रख लेता है। सहसा टेंच याददाश्त के रजिस्टर को उठाकर घुमाने लगता है। फिर सबको यह ज्ञान हो जाता है कि हम कोई अस्वाभाविक काम कर रहे हैं और सब एक-एक करके बैठ जाते हैं। केवल एडगार खड़ा रहता है]
वाइल्डर
[इस भाव से मानो कोई आक्षेप मिटाने की चेष्टा कर रहा है]
मैं मिस्टर एडगार ऐंथ्वनी की बातों की परवा नहीं
करता। पुलीस की जूरी! यह विचार ही लचर है। मैं
प्रधान जी के प्रस्ताव में यह संशोधन करना चाहता हूँ कि
यह झगड़ा तुरन्त फ़ैसले के लिए मिस्टर साइमन हार्निस
के सुपुर्द कर दिया जाय। उन्हीं शर्तों पर जो आज उन्हों
ने बतलाई थीं। कोई समर्थन करता है?
[टेंच रजिस्टर में लिखता है।]
वेंकलिन
मैं समर्थन करता हूँ।
वाइल्डर
तो मैं प्रधान से निवेदन करूँगा कि वह इस बोर्ड के सामने रक्खें।
ऐंथ्वनी
[लम्बी साँस लेकर धीरे-धीरे]
हमारे ऊपर चोटें की गई हैं।
[वाइल्डर और स्केंटिलबरी की अोर व्यंग भरे हुए तिरस्कार से देखकर]
मैं इसे अपनी गर्दन पर लेता हूँ। मेरी अवस्था ७६
वर्ष की है। बत्तीस साल हुए इस कम्पनी का जन्म हुआ
था। उसके जन्म ही से मैं इसका प्रधान हूँ। मैंने इसके
अच्छे दिन भी देखे और बुरे दिन भी। इसके साथ मेरा
सम्बन्ध उस साल शुरू हुआ जब यह युवक पैदा हुआ।
[एडगार सिर झुकाता है ऐंथ्वनी अपनी कुर्सी को पकड़ कर फिर कहना शुरू करता है]
मैं ५० साल से मजूरों के साथ व्यवहार कर रहा हूँ। मैंने हमेशा उन्हें ठोकर मारी है। खुद कभी ठोकर नहीं इस कम्पनी के मजूरों से चार बार भिड़ चुका हूँ और चारों ही बार मैंने उन्हें नीचा दिखाया है। लोग कहते हैं मुझमें पहला सा दम दावा नहीं है।
[वाइल्डर की ओर ताकता है]
कुछ भी हो, मुझमें अब भी अपनी तोपों के पास डटे रहने की हिम्मत है।
[उसका स्वर और ऊँचा हो जाता है, दुहरे दरवाजे खुलते हैं और एनिड पाती है। अन्डखुड उसको रोकता हुआ पीछे-पीछे आता है।
मजदूरों के साथ हमने न्याय का व्यवहार किया है।
उनको ठीक मजदूरी दी गई है। हम हमेशा उनकी
शिकायतें सुनने के लिए तैयार रहे हैं। कहा जाता है
जमाना बदल गया; जमाना बदल गया हो, लेकिन मैं नहीं
बदला। और न बदलूँगा। कहा जाता है कि स्वामी और
सेवक बराबर है। लचर है। एक घर में केवल एक स्वामी
हो सकता है। जहाँ दो आदमी होंगे उनमें जो अधिक
योग्य होगा उसी की चलेगी। कहा जाता है कि पूँजी और
श्रम के स्वार्थ में कोई अन्तर नहीं है। लचर बात! उनके
स्वार्थों में धुओं का अन्तर है। कहा जाता है कि बोर्ड कल
का सिर्फ एक पुर्जा है। लचर बात! हमी कल हैं। हमी
इसका मस्तिष्क हैं और इसकी नसें हैं। यह हमारा काम है
कि इसको चलाएँ और बिना किसी डर या रियायत के
इसका निश्चय करें कि हमें क्या करना है। मॅजूरों से डरें!
हिस्सेदारों से डरें! अपने ही साया से डरें। इसके पहिले
मैं मर जाना चाहता हूँ।
[वह दम लेता है और अपने पुत्र से आँखें मिला कर फिर कहता है]
मजूरों के साथ निबटारा करने का सिर्फ एक रास्ता है
और वह है दमन। आजकल की अधकचरी बातों और
अधकचरे व्यवहारों ही ने हमें इस दशा में डाल दिया है।
दया और नर्मी जिसे यह युवक अपनी समाज-नीति कहता
है, इसकी जड़ है। यह नहीं हो सकता कि तुम चने भी
चबाव और शहनाई भी बजाओ। यह अधकचरी
भावुकता, इसे चाहे साम्यवाद कहो कुछ और कोरी गप
है। स्वामी स्वामी है, और सेवक सेवक है। तुम
उनकी एक बात मानो और वह छः और माँ गेंगे।
[रुखाई से मुसकुराकर]
वे ओलिवर ट्विस्ट की भाँति कभी संतुष्ट नहीं होते। मैं उनकी जगह पर होता तो मैं भी वैसाही करता। लेकिन मैं उनकी जगह पर नहीं हूँ। मेरी बातों को गिरह बाँध लो। अगर तुम उनसे यहाँ दबे, वहाँ दबे, तो एक दिन तुम्हें मालूम होगा कि तुम्हारे पैरों के नीचे जमीन खिसक गई है, और तुम दिबालिएपन के दल-दल में फँस गए हो। और तुम्हारे साथ वह लोभ भी दलदल में डूब रहे होंगे जिनके सामने तुमने घुटने टेके हैं। मुझ पर यह इल्ज़ाम लगाया जाता है कि मैं स्वेच्छाचारी शासक हूँ, जिसे अपनी टेक के सिवा और किसी बात की चिंता नहीं है––लेकिन मैं इस देश का भविष्य सोचता हूँ जिस पर अव्यवस्था की काली बाढ़ का संकट आनेवाला है। जिस पर जन शासन का संकट आनेवाला है, और न जाने कौन कौन से संकट [१]
आनेवाले हैं। अगर मैं अपने आचरण में इस विपत्ति को
अपने देश पर लाऊँ तो मैं अपने भाइयों को मुह न दिखा सकूँगा।
[ऐंश्वनी सामने की ओर शून्य में ताकता और पूरा सन्नाटा छाया हुआ है। फ्रॉस्ट बड़े कमरे से आता है और ऐंथ्वनी के सिवा और सब लोग उसकी ओर चिंतित हो होकर ताकते हैं।]
फ्रॉस्ट
[ऐथ्वनी से]
हुजूर, मजदूर लोग यहाँ आ गए।
[ऐंथ्वनी उसे चले जाने का इशारा करना है] क्या उन लोगों को यहाँ लाऊँ?
ऐंथ्वनी
ठहरो।
[फ्रॉस्ट चला जाता है ऐथ्वनी घूमकर अपने पुत्र की ओर ताकता है]
अब मैं उस आक्षेप पर आता हूँ जो मेरे ऊपर किया गया हैं। [एडगार घृणा का संकेत करता है और सिर कुछ झुकाकर चुपचाप खड़ा रहता है]
एक औरत मर गई है। मुझसे कहा जाता है कि उसका खून मेरी गर्दन पर है। मुझसे कहा जाता है और भी कितनी ही औरतों बच्चों को भूखों मरने और एड़ियाँ रगड़ने का अपराध भी मेरी गर्दन पर है।
एडगार
मैंने हमारी पर गर्दन कहा था।
ऐंथ्वनी
एक ही बात है।
[उसका स्वर ऊँचा होता जाता है। और मनोद्वेग उत्तरोत्तर बढ़ता जाता है]
मुझे यह नई बात मालूम हुई कि अगर मेरा द्वन्द्वी एक सच्ची लड़ाई में जिसका कारण मैं नहीं हूँ, नीचा देखे तो यह मेरा दोष है। अगर मैं कुश्ती खा जाऊँ, और यह सम्भव है, तो मैं शिकायत न करूंगा। वह मेरा जिम्मा होगा। और यह उसका है। मैं चाहूँ भी तो इन मजूरों को उनकी स्त्रियों और बच्चों से अलग नहीं कर सकता। सच्ची लड़ाई सच्ची लड़ाई है। उन्हें चाहिए कि लड़ाई छेड़ने के पहले उसका नतीजा सोच लिया कर।
एडगार
[धीमे स्वर में]
लेकिन क्या यह सच्ची लड़ाई है, पिता जी? उनको देखिए और हमको देखिए। उनके पास केवल यही एक हथियार है।
ऐंथ्वनी
[कठोरता से]
और तुम इतने निर्लज्ज हो कि उन्हें यह हथियार चलाना सिखाते हो। आजकल यह रिवाज सा चल पड़ा है कि लोग अपने शत्रुओं का पक्ष लेते हैं। मैंने अभी वह कला नहीं सीखी है। यह मेरा दोष है कि उन्होंने अपनी पंचायत से भी लड़ाई ठान ली?
एडगार
ऐंथ्वनी
और न्याय का पद उससे भी ऊँचा है।
एडगार
मगर एक आदमी के लिए जो न्याय है, वह दूसरे के लिए अन्याय है।
ऐंथ्वनी
[अपने उद्गार को दबाकर]
तुम मुझ पर अन्याय का दोष लगाते हो जिसमें पशुता है, निर्दयता है—
[एडगार घृणासूचक संकेत करता है। सब डर जाते हैं।
बैंकलिन
ठहरिए, ठहरिए, प्रधान जी।
ऐंथ्वनी
[कठोर स्वर में]
यह मेरे ही पुत्र के शब्द हैं। यह उस युग के शब्द हैं, जिसे मैं नहीं समझता। यह दुर्बल संतानों के शब्द हैं। [सब लोग भुनभुनाने लगते हैं। ऐंथ्वनी प्रबल प्रयत्न से अपने ऊपर काबू पाता है]
एडगार
[धीरे से]
ये बातें मैंने अपने विषय में भी तो कही थीं, दादा।
[दोनों एक दूसरे की ओर देर तक ताकते हैं। और ऐंथ्वनी अपना हाथ एक ऐसे संकेत से फैलाता है मानो उन व्यक्तियों को हटा देना चाहता हो। तब अपने माथे पर हाथ रख लेता है और इस तरह हिलता है मानो उसे चक्कर आ गया हो। लोग उसकी तरफ बढ़ते हैं लेकिन वह उन्हें पीछे हटा देता है।]
एंथ्वनी
इसके पहिले कि मैं इस संशोधित प्रस्ताव को बोर्ड के सामने रक्खू, मैं एक शब्द और कहना चाहता हूँ।
[वह एक-एक के चेहरे की ओर देखता है]
अगर आप उसे स्वीकार करते हैं तो उसका यह आशय होगा कि हमने जो कुछ करने की ठानी थी वह हम पूरा न कर सकेंगे। इसका यह आशय है कि पूँजी के
साथ हमारा जो कर्तव्य है, उसे हम पूरा न कर सकेंगे,
इसका यह आशय है कि हमेशा ऐसे ही हमले होते रहेंगे
और हमको हमेशा दबना पड़ेगा। धोखे में न आइए।
यदि अब की बार आप मैदान छोड़कर भागे तो फिर
आपके कदम कभी नहीं जमेंगे। आपको कुत्तों की तरह
अपने ही आदमियों के कोड़ों के सामने भागना पड़ेगा।
अगर आपको यही मंजूर है तो आप इस संशोधन को
स्वीकार करें।
[वह फिर एक-एक के चेहरे को और देखता है और अन्त में एडगार की तरह आँखें जमा देता है। आँखें जमीन को भोर किए बैठे हैं। ऐंथ्वनी संकेत करता है और टेंच उसके हाथ में कार्यवाही का रजिस्टर देता है। वह पढ़ता है]
मि० वाइल्डर ने प्रस्ताव किया और मिस्टर बैंकलिन ने उसका समर्थन किया। "मजदूरों की माँगें तुरंत मिस्टर साइमन हार्निस के हाथों में दे दी जायँ कि आज सुबह उन्होंने जो शर्ते बताई थीं उनके अनुसार मामले को तय कर दें।"
[यकायक ज़ोर से]
जो लोग पक्ष में हैं हाथ उठावें। [एक मिनट तक कोई नहीं हिलता। तब ज्योंही ऐंथ्वनी फिर बोलना चाहता है वाइल्डर और वेंकलिन जल्दी से हाथ उठा देते हैं। तब स्केंटिलबरी और सब से पीछे एडगार हाथ उठाते हैं। एडगार अब भी सिर नहीं उठाता।]
जो लोग इसके विपक्ष में हों?
[ऐंथ्वनी अपना ही हाथ उठा देता है]
[स्पष्ट स्वर में]
संशोधन स्वीकार हो गया। मैं बोर्ड से इस्तीफा देता हूँ।
[एनिड लम्बी साँस लेती है और सन्नाटा छा जाता है। ऐंथ्वनी स्थिर बैठा हुआ है उसका सिर धीरे धीरे भुक रहा है। यकायक वह साँस लेता है मानो उसका सारा जीन उसके भीतर उमड़ पड़ा हो]
पचास साल! सज्जनों आपने मेरे मुँह में कालिख लगा दी। मजदूरों को लाव।
[वह सामने ताकता हुआ स्थिर बैठा रहता है। सभासद गण जल्दी से एकत्र हो जाते हैं। टेंच सहमी हुई आवाज़ से बड़े कमरे में अावाज़ देता है। अन्डरवुड
ज़बरदस्ती एनिड को कमरे से खींच ले जाता है] वाइल्डर
[घबराकर]
उनसे क्या कहना होगा? अभी तक हार्निस क्यों नहीं आया? क्या उसके आने के पहिले हमें आदमियों से मिलना चाहिए? मैं नहीं––
टेंच
आप लोग अन्दर आ जायें।
[टॉमस, ग्रीन, बल्जिन और राउस अन्दर आते है और छोटी मेज़ के सामने एक कतार में खड़े हो जाते हैं। टेंच बैठ जाता है और लिखता है। सब आँखें ऐश्वनी की ओर लगी हुई हैं जो बिलकुल शान्त है]
बैंकलिन
[छोटी मेज़ के पास आकर सशंक मैत्री के साथ]
देखो टॉमस, अब क्या करना है? तुम्हारी सभा ने
क्या तय किया? राउस
सिम हार्निस के पास हमारा जवाब है। वह आप से बतलायेंगे। हम उनकी राह देख रहे हैं। वह हमारी तरफ़ से जवाब देंगे।
बैंकलिन
यही बात है, टॉमस?
टॉमस
[रुखाई से]
जी हाँ! रॉबर्ट न आयेंगे। उनकी बीवी मर गई है।
स्केटिलवरी
हाँ हाँ, हम सुन चुके। गरीब औरत!
फ्रॉस्ट
[बड़े कमरे से आकर]
मिस्टर हानिस आए हैं।
[हानिस के आने पर वह चला जाता है]
डाइरेक्टरों को सलाम करता है मज़दूरों की तरफ देखकर सिर हिलाता है और कमरे के बीच में छोटी मेज़ के पीछे खड़ा हो जाता।]
हार्निस
सज्जनो!
[सब को सलाम करता है]
[टेंच उस कागज़ को लिए जिस पर वह लिख रहा है, आ जाता है और सब धीमे स्वरों में बातें करने लगते हैं]
वाइल्डर
हम तुम्हारी राह देख रहे थे, हार्निस। आशा है, कि हम कुछ तय—
फ्रॉस्ट
[बड़े कमरे से आकर]
रॉबर्ट आए हैं।
[वह चला जाता है]
[रॉबर्ट जल्दी से अन्दर आता है और ऐश्वनी की ओर ताकता हुश्रा खड़ा हो जाता है। उसका चेहरा
उदास और मुआया हुआ है] रॉबर्ट
मिस्टर ऐंथ्वनी, मुझे खेद है कि मुझे जरा देर हो गई। मैं ठीक वक्त पर यहाँ आ जाता लेकिन एक बात हो गई इसलिए न आ सका।
[मज़दूरों से]
कोई बात चीत हुई?
टॉमस
नहीं! लेकिन तुम क्यों आए, भले आदमी?
रॉबर्ट
आप लोगों ने आज हमें अपनी अवस्था पर फिर विचार करने के लिए आदेश दिया था। हमने उस पर विचार कर लिया है। हम यहाँ मजदूरों का जवाब देने के लिए आए हैं।
[ऐंथ्वनी से]
आप लंदन जायँ, आप से हमें कुछ नहीं कहना है। हम अपनी शतों में जो भर भी कमी न करेंगे। और न हम काम पर आयेंगे जब तक हमारी सब शर्त न मान लो जायेंगी।
[ऐथ्वनी उसकी भोर ताकता है लेकिन बोलता नहीं। मज़दूरों में हलचल होती है जैसे सत्र घबरा गए हों।]
हार्निस
रॉबर्ट!
रॉबर्ट
[उसकी अोर क्रोध से देखकर फिर ऐं थ्वनी से]
अब तो आप साफ-साफ समझ गए। क्या यह साफ और सीधा जवाब है! आप का यह सोचना ग़लत था कि हम घुटने टेक देंगे। आप देह पर विजय पा सकते हैं लेकिन आत्मा पर विजय नहीं पा सकते। आप लंदन लौट जायें, आदमियों को आप से कुछ नहीं कहना है।
[दुविधे से ज़रा रुक कर वह स्थिर ऐंथ्वनी की ओर एक क़दम बढ़ता है]
एडगार
रॉबर्ट
महाशय, अपना दुख आप अपने पास रक्खें। मगर अपने बाप को बोलने दीजिए।
हार्निस
[कागज़ का टुकड़ा हाथ में लिए हुए छोटी मेज़ के पीछे से बोलता]
रॉबर्ट! रॉबर्ट!
[ऐंथ्वनी से, आवेश के साथ]
आप क्यों नहीं जवाब देते?
हार्निस
रॉबर्ट!
रॉबर्ट
[तेज़ी से मुड़कर]
क्या बात है?
हार्निस
[गम्भीरता से]
तुम बिना प्रमाण के बातें कर रहे हो। तुम्हारे हाथ में अब फैसला नहीं रहा। [वह टेंच को इशारा करता है। टेंच डाइरेक्टरों को इशारा करता है। वे उसके शर्तनामे पर हस्ताक्षर कर देते हैं।]
इस काग़ज को देखो।
[कागज़ को ऊपर उठाकर]
इंजीनियरों और भट्ठीवालों की शर्तों के सिवा और सब शर्ते मंजूर की गई। शनीचर के दिन समय के ऊपर काम करने के लिए दूनी मजदूरी। रात की टोलियाँ बदस्तूर! यह शर्ते मंजूर कर ली गई हैं मजदूर लोग से काम करने जायेंगे। हड़ताल समाप्त हो गई।
रॉबर्ट
[कागज़ को पढ़कर श्रादमियों पर बिगड़ता है। वे उसके पास से हट जाते हैं। केवल राउस अपनी जगह पर खड़ा रहता है। भीषण शान्ति के साथ।]
तुम लोगों ने मुझे दगा दी। तुम्हारे लिये मैंने मौत की भी परवाह न की। तुम मुझे चरका देने के लिए इसी अवसर का इंतजार कर रहे थे!
[मज़दूर लोग एक साथ जवाब देते है]
राउस
यह झूठ है।
टॉमस
कहाँ तक तुम्हारा साथ देते?
ग्रीन
अगर तुमने मेरी बात मानी होती।
बल्जिन
[दबी ज़बान से]
जबान बन्द करो।
रॉबर्ट
तुम इसी अवसर का इन्तज़ार कर रहे थे।
हार्निस
[डाइरेक्टरों का शतनामा लेकर और उसे टेंच को देकर]
बस मामला तय हो गया। मित्रो ! अब तुम लोग जा सकते हो।
[मज़दूर लोग धीरे-धीरे चले जाते हैं।
वाइल्डर
[नीची और उखड़ी हुई आवाज़ में]
अब तो यहाँ हमारे ठहरने की जरूरत नहीं मालूम होती।
[दरवाज़े तक जाता है]
मैं उस गाड़ी के लिए अब भी कोशिश करूंगा। तुम आते हो, स्केंटिलबरी?
स्कैंटिलबरी
[वैकलिन के साथ उसके पीछे जाता हुआ]
हाँ––हाँ, जरा ठहरो।
[रॉबर्ट को बोलते हुए सुनकर वह ठहर जाता है]
रॉबर्ट
[ऐंथ्वनी से]
लेकिन आपने तो उन शतों पर दसखत ही नहीं किया। वह लोग अपने प्रधान के बिना कोई शर्त नहीं कर सकते। आप उन शर्तों पर कभी दसखत न कीजियेगा।
[ऐंथ्वनी चुपचाप उसकी ओर ताकता है]
२५८
दिया।
[आवेशमय करुणा से]
मुझे इसका विश्वास था।
हार्निस
[डाइरेक्टरों का शर्तनामा दिखाकर]
वोर्ड ने हस्ताक्षर कर दिया।
[रॉबर्ट हस्ताक्षरों को बेदिली के साथ देखता है, उसके हाथ से कागज़ छीन लेता है और अपनी आँखें बन्द कर लेता है।]
स्कैंटिलबरी
[हाथ की आड़ करके टेंच से]
प्रधान जी की खबर रखना। उनकी तबियत अच्छी नहीं है। उन्होंने आज भोजन भी नहीं किया। अगर स्त्रियों और बच्चों के लिए कोई फंड खोला जाय, तो मेरी तरफ़ से २० पाउंड लिख देना।
[वह अपनी भारी देह को सँभालता हुआ जल्दी से बड़े कमरे में चला जाता है और वेंकलिन, जो रॉबर्ट
२५९
और ऐंध्वनी को चेहरा मरोड़-मरोड़ कर देख रहा है पीछे
पीछे जाता है। एडगार सोफा पर बैठा हुआ ज़मीन की तरफ़ ताकता रहता है। टेंच दफ्तर में लौटकर कार्यवाही का रजिस्टर लिखता है। हार्निस छोटी मेज़ के पास खड़ा रॉबर्ट को गम्भीर भाव से देखता रहता है।]
रॉबर्ट
तो अब आप इस कंपनी में प्रधान नहीं है।
[पागलों की तरह हँसकर]
हा हा––हा! उन सबों ने आप को निकाल बाहर किया। अपने प्रधान को भी निकाल बाहर किया। हा––हा हा!
[भीषण धैर्य के साथ]
सो हम दोनों निकाल दिए गए, मिस्टर ऐंथ्वनी।
[एनिड दुहरे दरवाज़े से लपकी हुई अपने बाप के पास आती है और उसके पास झुक जाती है]
हार्निस
[रॉबर्ट के पास आकर और उसकी आस्तीन पकड़कर]
तुम्हें शर्म नहीं आती, रॉबर्ट? चुपके से घर जाव, भले आदमी, घर जाव।
२६०
रॉबर्ट
[हाथ छुड़ाकर]
घर!
[दोनों साथ-साथ जाते हैं]
एनिड
[धीमी आवाज़ में अपने बाप से]
दादा, अपने कमरे में आइए, अपने कमरे मे आइए।
[ऐंथ्वनी ज़ोर लगा कर उठता है। वह रॉबर्ट की तरता फिरता है जो उसकी तरफ़ ताक रहा है। दोनों कई सेकंड तक एक दूसरे को टकटकी लगाए देखते रहते हैं। ऐश्वनी हाथ उठाता है जैसे सलाम करना चाहता हो। लेकिन हाथ गिर पड़ता है। रॉबर्ट के मुख पर शत्रु भाव की जगह आश्चर्य अंकित हो जाता है। दोनों अपने सिर सम्मान के भाव से झुका लेते हैं। ऐश्वनी धीरे-धीरे अपने पर्देदार दरवाज़े की तरफ जाता है। एका-एक वह लड़खड़ाता है जैसे गिरने गिरने हो रहा हो। फिर सँभल जाता। एनिड और एडगार जो कमरे में से दौड़ कर पाया है। उसको सहारा देते हैं । रॉबर्ट कई सेकंड तक एंथ्वनी को ध्यान से देखता हुआ खड़ा रहता है, तब बड़े कमरे में चला जाता है।]
२६१
टेंच
[हार्निस के पास आकर
मेरे सिर से एक बड़ा बोझ उतर गया, मिस्टर हार्निस। लेकिन कितना दर्दनाक माजरा था।
[माथे से पसीना पोंछता है]
[हानिस जो शान्त और दृढ़ है टेंच की योर देख कर मुसकुराता है]
कितनी झाँव झाँव हुई! उसका यह कहने से क्या बतलब था कि हम दोनों निकाल दिए गए? माना उस बेचारे की बीबी मर गई, लेकिन उसे प्रधान से इस तरह न बोलना चाहिए था।
हार्निस
एक औरत तो मर ही गई उस पर हमारे दोनों रत्नों को नीचा देखना पड़ा।
[यकायक अन्डरवुड आता है]
२६२
टेंच
[हार्निस की ओर देखकर यकायक उद्विग्न होकर]
आपने देखा यह तो वही शर्ते हैं, जो आपने और मैंने लिखी थीं और हड़ताल शुरू होने से पहिले दोनों पक्षों को दिखाई थीं। फिर यह झगड़ा किस लिए हुआ?
हार्निस
[धीमे स्वर में]
यही तो दिल्लगी है।
[अन्डरवुड दरवाजे ही पर खड़ा खड़ा हाँ का संकेत करता है]
पर्दा गिरता है
२६३
- ↑ चार्ल्स डिकेंस के एक उपन्यास का पात्र