हड़ताल  (1930) 
द्वारा जॉन गाल्सवर्दी, अनुवादक प्रेमचंद
[  ]

अङ्क पहला।

दृश्य १


दोपहर का समय है, अन्डरवुड के भोजनालय में तेज़ आग जल रही है। आतिशदान के एक तरफ़ दुहरे दरवाज़े हैं, जो बैठक में जाते हैं। दूसरी तरफ़ एक दरवाज़ा है, जो बड़े कमरे में जाता है। कमरे के बीच में, एक लम्बी खाने की मेज़ है। उस पर कोई मेज़पोश नहीं है। वह लिखने की मेज़ बना ली गई है। उसके सिरे पर सभापति के स्थान पर जॉन ऐंथ्वनी बैठा हुआ वह एक बुड्ढा, बड़े डीलडौल का आदमी है। दाढ़ी मूँछ मुड़ी हुई, रंग लाल, घने सफ़ेद बाल और घनी काली भौंहें। चालढाल से वह सुस्त और कमज़ोर मालूम होता है, लेकिन उसकी आँखें बहुत तेज़ हैं। उसके पास पानी का एक गिलास रक्खा हुआ है। उसकी दाहिनी तरफ़ उसका बेटा एडगार बैठा अखबार पढ़ रहा है। उसकी उम्र ३० साल की होगी। सूरत से उत्साही मालूम होता है। उसके बाद वेंकलिन झुका हुआ दस्तावेज़ों को देख रहा है, उसकी भौंहें उभरी हुई हैं और बाल खिचड़ी हो गए हैं। टेंच जो मन्त्री है, खड़ा उसे मदद दे रहा है। वह छोटे कद का दुबला, और कुछ ग़रीब आदमी है। वह गल-मुच्छे रक्खे [  ]हुए है। वेंकलिन की दाहनी तरफ़ मैनेजर अन्डरवुड बैठा है। वह शान्त मनुष्य है जिसके जबड़े की हड्डी लम्बी और गठी हुई है और आँखें स्थिर हैं। आतिशदान के पीछे स्केन्टलबरी बैठा हुआ है, जो भारी भर कम, पीला, सुस्त आदमी है। उसके बाल सफेद हैं, और कुछ गंजा है। उसके और सभा-पति के बीच में दो खाली कुर्सियाँ हैं।

वाइल्डर

[वह दुबला मुर्दा और चिड़चिड़ा आदमी है। उसकी सफ़ेद मूँछे झुकी हुई हैं। आग के सामने खड़ा है।]

इस आग के मारे नाक में दम है। क्यों टेंच, यहाँ कोई परदा होगा?

स्केटलबरी

जंगला!

टेंच

हाँ अवश्य मिस्टर वाइल्डर।

[वह अन्डरवुड की तरफ़ देखता है।]

शायद मैनेजर–शायद मिस्टर अन्डरवुड–

स्केंटलबरी

अन्डरवुड यह तुम्हारे आतिशदान–– [  ]

अन्डरवुड

[काग़ज़ों को देखते देखते चौंककर]

परदा? शायद! मुझे खेद है।

[वह कुछ मुसकुराकर द्वार की ओर जाता है।]

हम तो आज कल यहाँ यह शिकायत कम सुनते हैं कि आग बहुत तेज़ है।

[वह इस तरह धीरे-धीरे और चबा चबाकर बोलता है, जैसे मुंह में पाइप लिए हुए हो]

वाइल्डर

[दुखी होकर]

तुम्हारा मतलब मजूरों से है अच्छा!

[अन्डरवुड बाहर चला जाता है]

स्केंटलबरी

बड़े दुखी हैं, बेचारे।

वाइल्डर

यह उन्हीं का दोष है स्केंटलबरी। [  ]

एडगार

[अपना अख़बार ऊपर उठाकर]

इस अख़बार से तो मालूम होता है कि उन्हें बहुत तकलीफ़ है।

वाइल्डर

अजी वह रद्दी अख़बार है, इसे वेंकलिन को दे दो। उस के उदार विचारों से मेल खाता है। ये सब हमें शायद दानव कहते होंगे। इस रद्दी अख़बार के एडीटर को गोली मार देना चाहिए।

एडगार

[पढ़ता है]

अगर उन सभ्य पुरुषों का बोर्ड, जो लन्दन में आराम कुर्सियों पर बैठे हुए टिनार्थ के टीन के कारख़ाने को चलाते हैं, इतनी दया करे कि यहाँ आकर इस हड़ताल में मजदूरों की दुर्दशा को अपनी आँखों से देखे–

वाइल्डर

अब तो हम आ गए हैं। [  ]

एडगार

[पढ़ता हुआ]

"तो हमें विश्वास नहीं होता कि उनके पाषाण हृदय भी द्रवित न हो जायँ।"

[वेंकलिन उस के हाथ से पत्र ले लेता है]

वाइल्डर

बदमाश! मैं इस आदमी को उस समय से जानता हूँ जब उस के पास झंझी कौड़ी भी न थी। शैतान ने उन लोगों को धमका-धमका कर ख़ूब धन जोड़ लिया है, जिन के विचार उस के विचारों से नहीं मिलते।

[ऐंथ्वनी कुछ कहता है, जो सुनाई नहीं पड़ता।]

वाइल्डर

तुम्हारे पिता जी क्या कहते हैं?

एडगार

वह कहते हैं–"पतीली और बर्तन" [  ]

वाइल्डर

अच्छा!

[वह स्केन्टलबरी के बग़ल में बैठ जाता है।]

स्केन्टलवरी

[मुँह से हवा निकालकर]

अगर जंगला न आएगा तो मैं उबल जाऊँगा।

[अन्डरवुड और एनिड एक जंगला लेकर आते हैं और आग के सामने रख देते हैं। एनिड का क़द लम्बा, चेहरा दृढ़ और छोटा, और अवस्था २८ साल है।]

एनिड

इसे और पास रक्खो फ्रेंक। इस से काम चल जायगा मिस्टर वाइल्डर? इस से बड़ा हमारे पास नहीं है।

वाइल्डर

बहुत अच्छी तरह, धन्यवाद। [  ]

स्केन्टलबरी

[आनन्द से साँस लेकर घूमता हुआ]

आपने बड़ी दया की देवी जी।

एनिड

पिता जी, आप को किसी और चीज़ की जरूरत है?

[ऐंथ्वनी सिर हिलाता है]

तुम्हें कुछ चाहिए एडगार?

एडगार

हाँ मुझे एक "जे" निब दे दो।

एनिड

वह मिस्टर स्केंटलबरी के पास रक्खी हुई है।

स्केंटलबरी

[निबों की एक छोटी सी डिबिया उठाकर]

अच्छा! तुम्हारे भाई साहब “जे” निब से लिखते हैं। मैनेजर साहब किस निब से लिखते हैं? [  ]

[विशेष नम्रता से]

तुम्हारे पति किस निब से लिखते हैं मिस्टर अन्डरवुड।

अन्डरवुड

पर की क़लम से।

स्केंटलबरी

बतख का पर भी कितनी अच्छी चीज़ है।

[वह पर की क़लमों को दिखाता है]

अन्डरवुड

[रुखाई से]

धन्यवाद! एक मुझे दे दीजिए।

[वह एक क़लम लेता है।]

खाने में क्या देर है एनिड?

एनिड

[दुहरे दरवाज़े पर रुकती है।]

हम यहाँ दीवानख़ाने में खाना खायँगे। इसलिए कमरे में जल्दी करने की ज़रूरत नहीं। [  ][वेंकलिन और वाइल्डर सिर झुकाते हैं और वह चली जाती है।

स्केंटलबरी

[यकायक चौंककर]

अच्छा खाना! वह होटल-भयंकर! कल रात को तुमने भुनी हुई चर्बी खाई थी?

वाइल्डर

साढ़े १२ बज गए! क्यों टच तुम जलसे की कार्यवाही नहीं पढ़ोगे?

टेंच

[रज़ामन्दी के लिए सभापति की ओर देखकर, एक स्वर में तेज़ी से पढ़ता है]

"बोर्ड के एक जलसे की कार्यवाही जो ३१ जनवरी को कम्पनी के दफ्तर नं॰ ५१२ केनन स्ट्रीट में हुआ। उपस्थित मिस्टर ऐंथ्वनी सभापति, मिस्टर वाइल्डर, विलियम स्केंटलबरी, ओलिवर वेंकलिन, और एडगार ऐंथ्वनी। मैनेजर के वह पत्र पढ़े गए जो उसने २०, २३, २५ और २८ जनवरी को कम्पनी के कारख़ानों की हड़ताल के विषय [ १० ] में लिखे थे। वह पत्र पढ़े गए जो मैनेजर को २१, २४, २६, व २९ जनवरी को लिखे गए। सेन्टल यूनियन के प्रतिनिधि मिस्टर साइमन हार्निस का पत्र पढ़ा गया जिसमें उन्होंने बोर्ड से बातचीत करने की अनुमति माँगी थी। मज़दूरों की कमेटी का पत्र पढ़ा गया जिस पर डेविड राबर्ट, जेम्स ग्रीन, जॉनबल्जिन, हेनरी टामस, जाॅर्ज राउस के दसखत थे, जिसमें उन्होंने बोर्ड से बात चीत करनी चाही थी। यह निश्चय हुआ कि सातवीं फ़रवरी को मैनेजर के मकान पर बोर्ड की एक विशेष बैठक हो जाय, जिसमें मिस्टर साइमन हार्निस और मज़दूरों की कमेटी से उसी जगह इस मामले पर बातचीत की जाय। १२ बैनामे मंजूर हुए, नौ सार्टीफ़िकेट और एक बक़ाया के सार्टीफ़िकेट पर दसखत किये और मुहर लगाई।

[वह रजिस्टर को सभापति की ओर बढ़ा देता है।]

ऐंथ्वनी

[लम्बी साँस लेकर]

अगर आप लोग उचित समझें तो उस पर दसखत कर दें। [ ११ ]

[क़लम को मुश्किल से घुमाकर हस्ताक्षर कर देता है]

वेंकलिन

क्यों टेंच, यूनियन की यह क्या चाल है? मजूरों से तो उन का मेल नहीं हुआ। हार्निस किस लिए मिलना चाहता है?

टेंच

उसे आशा है कि हम में कोई समझौता हो जायगा? वह आज शाम को मज़दूरों से कुछ बातचीत करेगा।

वाइल्डर

हार्निस! ठीक! वह एक ही घुटा हुआ, काइयाँ आदमी है। मैं इन पर विश्वास नहीं करता। मुझे ऐसा मालूम होता है, कि हमने नर्मी करने में भूल की। मज़दूर लोग यहाँ कब तक आ जायँगे?

अन्डरवुड

आते ही होंगे। [ १२ ]

वाइल्डर

अच्छी बात है, अगर हम तैयार नहीं हैं, तो उन्हें रुकना पड़ेगा––अगर थोड़ी देर तक अपनी एड़ियाँ ठंढी कर लें, तो उन्हें कोई हानि न होगी!

स्केंटलबरी

[आहिस्ता से]

बेचारे ग़रीब हैं। बर्फ़ गिर रही है, क्या मौसिम है।

अन्डरवुड

[अपने मतलब से रुक रुककर]

इस घर से ज्यादा गर्म जगह इन जाड़ों में उन्हें न मिली होगी।

वाइल्डर

खैर मुझे आशा है, हम इस मामले को इतनी जल्द तै कर लेंगे कि मुझे साढ़े ६ की गाड़ी मिल जाय। मैं कल अपनी बीबी को स्पेन ले जा रहा हूँ।

[गप-शप करने के विचार से]

[ १३ ]मेरे बाप के कारखाने में भी सन् ६९ में हड़ताल हुई थी। ठीक यही फ़रवरी का महीना था मज़दूर लोग उन्हें गोली मार देना चाहते थे।

वेंकलिन

अच्छा! इस जीवरक्षा के दिनों में जिन महीनों में चिड़ियां अण्डे देती हैं, उनमें शिकार खेलना मना है।

वाइल्डर

मालिकों के लिए जीवरक्षा के दिन थे। वह जेब में पिस्तोल रखकर दफ्तर जाया करते थे।

स्केंटलबरी

[कुछ डरकर]

सच।

वाइल्डर

[बातचीत का अन्त करने के लिए]

नतीजा यह हुआ कि उन्होंने एक मजदूर के पैर में गोली मार दी। [ १४ ]

स्केंटलबरी

[बेअख्तियार जाँघ को स्पर्श करके]

सच! ईश्वर बचाए!

ऐंथ्वनी

[एजिन्डा को ऊपर उठाकर]

हमें यह विचार करना है कि इस हड़ताल के सम्बन्ध में बोर्ड का क्या निश्चय होगा।

सब चुप हो जाते हैं]

वाइल्डर

यह सत्यानाशी तिरमुखी लड़ाई है––यूनियन, मज़दूर और हम।

वेंकलिन

यूनियन से हमें कोई मतलब नहीं।

वाइल्डर

मेरा तो यह अनुभव है, कि यूनियन हमेशा बीच में कूद पड़ता है। उसका बुरा हो! अगर यूनियन मजूरों [ १५ ] की सहायता से मुँह मोड़ना चाहता है और वैसा कर भी रहा है, तो फिर उसने क्यों इन आदमियों को हड़ताल करने ही दिया?

एडगार

ऐसे एक दर्जन अवसर आ चुके।

वाइल्डर

लेकिन मैं इसे कभी समझ नहीं सका। यह मेरी समझ से बाहर है। वे कहते हैं कि इंजिनियरों और भट्ठी वालों की माँग बहुत ज़्यादा है––बात ठीक है, लेकिन यह इस बात के लिए काफ़ी नहीं है कि यूनियन उनकी सहायता से मुँह मोड़ ले। इसका क्या मतलब है?

अन्डरवुड

हार्पर और टाइनवेल के कारखानों में हड़ताल होने का डर। [ १६ ]

वाइल्डर

[विजय-गर्व से]

अच्छा! तो दूसरी हड़तालों से डरते हैं! बस अब बात समझ में आ गई। लेकिन हमें पहले यह क्यों न बतलाया गया?

अन्डरवुड

बतलाया गया था।

टेंच

आप उस दिन बोर्ड में न आए थे।

स्केंटलबरी

मज़दूर लोग समझ गए कि अगर यूनियन ने हाथ खींच लिया, तो फिर उनका कहीं ठिकाना नहीं है। यह पागलपन है।

अन्डरवुड

यह राबर्ट की करतूत है। [ १७ ]

बाइल्डर

यह हमारा सौभाग्य है कि मज़दूरों को राबर्ट जैसा कट्टर उपद्रवी नेता मिल गया।

[सब चुप हो जाते हैं]

वेंकलीन

[ऐंथ्वनी को देखकर]

अब!

वाइल्डर

[चिड़-चिड़ाता हुआ बोल उठता है]

पूरी आफ़त है। हम लोग जिस स्थिति में पड़ गए हैं, मैं उसे नहीं पसन्द करता। मैं बहुत दिनों से यही कहता आ रहा हूँ।

[वेंकलिन को देखकर]

जब वेंकलिन और मैं क्रिसमस के पहिले यहाँ आए थे, तो ऐसा मालूम होता था कि मज़दूर लोग राह पर आ जायँगे। तुम्हारा भी तो यही विचार था अन्डरवुड। [ १८ ]

अन्डरवुड

हाँ।

वाइल्डर

लेकिन वे राह पर नहीं आए, और हमारी दशा दिन-दिन बिगड़ती जाती है––हमारे ग्राहक टूटते जाते हैं––हिस्सों का दर घटता जाता है।

स्केंटलबरी

[सिर हिलाकर]

हा हा!

वेंकलिन

क्यों टेंच, इस हड़ताल से हमें कितना घाटा हुआ?

टेंच

पचास हजार से ऊपर।

स्केंटलबरी

[दुख से]

यह बात है! [ १९ ]

वाइल्डर

इस घाटे का पूरा होना कठिन है।

टेंच

और क्या।

वाइल्डर

किसे मालूम था कि मज़दूर लोग इस तरह अड़े रहेंगे––किसी ने मुँह तक नहीं खोला।

[टेंच को क्रोध से देखता है]

स्केंटलबरी

[सिर हिलाकर]

मैं लड़ाई झगड़े से हमेशा भागता हूँ और हमेशा भागूँगा।

ऐंथ्वनी

हम उनके पैरों नहीं पड़ सकते।

[सब उसकी तरफ़ ताकने लगते हैं]

[ २० ]

वाइल्डर

पैरों कौन पड़ना चाहता है?

[ऐंथ्वनी उसकी तरफ ताकता है]

मैं सोच समझ कर काम करना चाहता हूँ। जब मज़दूरों ने राबर्ट को दिसम्बर में बोर्ड के पास भेजा था तब अवसर था। हमें उसको मिला लेना चाहिए था; इसके बदले सभापति ने-

[ऐंथ्वनी के सामने आँखें नीची करके]

हमने उसे झिड़क दिया। अगर उस वक्त ज़रा चतुराई से काम लेते तो सब हमारे पंजे में आ जाते।

ऐंथ्वनी

समझौता नहीं हो सकता!

वाइल्डर

यही तो बात है। यह हड़ताल अक्तूबर से अब तक चली आ रही है और जहाँ तक मैं समझता हूँ, शायद छः महीने और चले। तब तक तो हम चौपट ही हो [ २१ ]जायँगे। अगर आँसू पोंछने की कोई बात है, तो यही कि मज़दूर लोग और भी चौपट हो जायँगे।

एडगार

[अन्डरवुड से]

क्यों फ्रैंक, आज कल उनकी असली हालत क्या है?

अन्डरवुड

[उदासीन भाव से]

बहुत खराब!

वाइल्डर

लेकिन यह कौन समझ सकता था कि वे इतने दिनों तक बिना सहायता के डटे रहेंगे!

अन्डरवुड

जो उन्हें जानते हैं वे समझे हुए थे।

वाइल्डर

मैं हाथ मारकर कहता हूँ कि यहाँ उन्हें कोई नहीं जानता! अच्छा, टिन का क्या रंग है? दिन दिन तेज़ [ २२ ]होता जाता है। जब हमारा कारखाना चलने भी लगेगा तो हमें बज़ार भाव के ऊपर चुकाए हुए माल को लेना पड़ेगा।

वैंकलिन

इसके बारे में आप क्या कहते हैं सभापति महोदय?

ऐंथ्वनी

लाचारी है!

वाइल्डर

ईश्वर जाने कब तक हम नफ़ा न दे सकेंगे!

स्केंटलबरी

[ज़ोर देकर]

हमें हिस्सेदारों का ख़याल रखना चाहिए।

[सभापति की ओर फिर कर]

सभापति महोदय, हमें हिस्सेदारों का ख़याल रखना चाहिए।

[ऐंथ्व्नी मुँह में कुछ कहता है]

[ २३ ]

स्केंटलबरी

आप क्या कह रहे हैं?

टेंच

सभापति कहते हैं कि उन्हें आप का ख़याल है।

स्केंटलबरी

[फिर शिथिल होकर]

काटे खाता है!

वाइल्डर

यह अब दिल्लगी की बात नहीं है। सभापति महोदय को नफ़े की चिन्ता न हो, लेकिन मैं बरसों तक नफ़े को तिलांजली नहीं दे सकता। हम से यह नहीं हो सकता कि कम्पनी के धन को मलियामेट करते रहें।

एडगार

[कुछ लज्जित होकर]

मेरा विचार है कि हमें मजूरों की दशा का अधिक ध्यान रखना चाहिए। [ २४ ]

[ऐंथ्वनी के सिवा सब अपनी अपनी जगहों पर बैठे इशारेबाज़ी करने लगते हैं]

स्केंटलबरी

[लम्बी सांस लेकर]

मित्र पर, हमें यहाँ अपने निजी मनोभावों का विचार न करना चाहिये। इससे काम न चलेगा।

एडगार

[व्यंग से]

मैं अपने लोगों के मनोभावों का विचार नहीं कर रहा हूँ, मजूरों के भावों का विचार कर रहा हूँ।

वाइल्डर

इसका जवाब तो यही है कि हम भी रोज़गारी आदमी। हैं, परोपकार करने नहीं बैठे हैं।

वैंकलिन

इसी का तो रोना है। [ २५ ]

एडगार

मजूरों की यह सब दुर्दशा देखकर यह ज़रूरी नहीं है कि हम इस मामले को इतना बढ़ाएँ-यह...यह निर्दयता है।

[किसी की ज़बान नहीं खुलती, मानो एडगार ने कोई ऐसी चीज़ खोलकर सामने रख दी है जिसका मौजूद होना कोई भला आदमी स्वीकार नहीं कर सकता]]

वैंकलिन

[व्यंगमय हँसी के साथ]

यह तो उचित नहीं है कि हम अपनी नीति की बुनियाद दया जैसी शौक़ की बातों पर रक्खें।

एडगार

मुझे ऐसे मामलों से घृणा है।

ऐंथ्वनी

हमने तो राड़ नहीं मोल लिया था। [ २६ ]

एडगार

इतना तो मैं भी जानता हूँ साहब, लेकिन हम लोग अब बहुत दूर बढ़े जा रहे हैं।

ऐंथ्वनी

हर्गिज़ नहीं।

[सब एक दूसरे का मुँह ताकते हैं]

वैंकलिन

सभापति महोदय, शौक़ की बात अलग है, हमें यह देखना है कि हम कर क्या रहे हैं।

ऐंथ्वनी

मजूरों से एकबार दबे तो फिर हमेशा दबते रहना पड़ेगा। कभी इसका अन्त न होगा।

वैंकलिन

मैं इसे मानता हूँ, लेकिन-

[ऐंथ्वनी सिर हिलाता है

[ २७ ]लेकिन आप इसे अटल सिद्धान्त का विषय बना रहे हैं।

[ऐंथ्वनी सिर हिलाकर स्वीकार करता है]

मगर महोदय, फिर वही शौक़ की बात आ गई। हम यहाँ सिद्धान्तों की रक्षा करने नहीं बैठे हैं। हिस्सों का मूल्य घट गया है।

वाइल्डर

और अब की नफ़ा बाँटने के समय तक आधा ही रह जायगा।

स्केंटलबरी

[घबराकर]

अजी नहीं, ऐसी बुरी दशा क्या होगी

वाइल्डर

[धमका कर]

वह तो आगे ही आएगी।

[ऐंथ्वनी की बात सुनने के लिये आगे को झुककर]

मैं कुछ सुन नहीं सका[ २८ ]

एडगार

[तेज़ी से]

पिता जी कहते हैं जो कुछ करना चाहिए वह करो और दूसरे झगड़ों में न पड़ो।

वाइल्डर

छी!

स्केंटलबरी

[हाथ ऊपर उठाकर]

सभापति वैरागी है-मैं हमेशा कहता आता हूँ कि सभापति वैरागी हैं।

वाइल्डर

हमारी तो लुटिया ही डूब जायगी।

वैंकलिन

[मधुर स्वर में]

सभापति महोदय, क्या आप सचमुच केवल एक-एक सिद्धान्त के लिए अपने जहाज़ को डुबा दोगे? [ २९ ]

ऐंथ्वनी

वह डूबेगा नहीं।

स्केंटलबरी

[घबराकर]

जब तक मैं बोर्ड में हूँ तब तक तो मुझे आशा है न डूबेगा।

ऐंथ्वनी

[आँखें मार कर]

ज़रा समझ बूझकर, स्केंटलबरी।

स्केंटलबरी

क्या आदमी है!

ऐंथ्वनी

मैं ने उन्हें हमेशा ललकारा है और कभी नीचा नहीं देखा। [ ३० ]

वैंकलिन

हमारा और आपका सिद्धान्त एक है महोदय। लेकिन हम सब लोहे के नहीं बने हैं।

ऐंथ्वनी

हमें केवल अटल रहना चाहिए।

वाइल्डर

[उठकर भाग के पास जाता है]

और जितनी जल्द हो सके तबाह हो जाना चाहिए।

ऐंथ्वनी

तबाह हो जाना दब जाने से कहीं बढ़कर है।

वाइल्डर

[चिड़कर]

यह आपको अच्छा लगता होगा, लेकिन मुझे तो नहीं अच्छा लगता, और जहाँ तक मैं समझता हूँ, और कोई भी इसे पसन्द नहीं करता। [ ३१ ]

[ऐंथ्वनी उसके मुख की ओर ताकता है-सब चुप हो जाते हैं]

एडगार

हड़ताल जारी रहने का मतलब यह है कि मजूरों के बाल बच्चे भूखों मर जायँ। मेरी समझ में नहीं आता हम इस बात को कैसे भूल सकते हैं।

[वाइल्डर यकायक आग की ओर मुँह फेर लेता है और स्केंटलबरी इस ख़याल को दूर रखने के लिये हाथ फैलाता है]

वैंकलिन

फिर वही दया और धर्म की बात आ गई!

एडगार

क्या आप का ख़याल है कि व्यापारियों के लिये सज्जनता का नाम लेना ही पाप है?

वाइल्डर

मजूरों के लिये मुझे भी उतना ही दुख है जितना दूसरों को हो सकता है, लेकिन अगर वे अपने पाँव में [ ३२ ] कुल्हाड़ी मारें तो यह हमारा दोष नहीं। हमारे लिये अपनी और हिस्सेदारों की चिन्ता काफ़ी है।

एडगार

[चिढ़कर]

अगर हिस्सेदारों को एक या दो बार नफ़ा न मिले तो वे मर न जायँगे। यह तो ऐसा कारण नहीं कि हम लोग अपनी हार मान लें।

स्केंटलबरी

[बहुत घबराकर]

भाई जान, तुम तो ऐसी बातें करते हो मानों मुनाफ़ा कोई चीज़ ही नहीं। मुझे नहीं मालूम कि हम कितने पानी में हैं।

वाइल्डर

इस मामले में केवल एक बात सोचने की है। हम इस हड़ताल के हाथों तबाह नहीं होना चाहते।

ऐंथ्वनी

हम कदम पीछे न हटायेंगे। [ ३३ ]

स्केंटलबरी

[निराशा का संकेत करके]

ज़रा आपकी सूरत देखिए।

[ऐंथ्वनी अपनी कुरसी पर फिर टिककर बैठ रहा है। सब लोग उसकी ओर देखते हैं]

वाइल्डर

[अपनी जगह पर लौटकर]

अगर सभापति की यही राय है तो मेरी समझ में नहीं आता कि हम लोग यहाँ आए क्या करने।

ऐंथ्वनी

मजूरों से यह कहने के लिये कि हमसे कोई आशा मत रक्खो।

[दृढ़ता से]

जब तक उनसे सीधी सादी भाषा में यह न कह दिया जायगा उन्हें इसका विश्वास न आएगा। [ ३४ ]

वाइल्डर

ठीक! मुझे बिलकुल आश्चर्य न होगा अगर उस पाजी राबर्ट ने यही बात कहने के लिये हमें यहाँ बुलाया हो। कपटी आदमियों से मुझे चिड़ है।

एडगार

[क्रोध से]

हमने उसके आविष्कार का कुछ भी मूल्य नहीं दिया। मैं जभी से यह कहता चला आता हूँ।

वाइल्डर

हमने उसे ५००) उसी वक्त दिए और दो साल बाद २००) बोनस दिया। क्या इतनी रक़म काफ़ी नहीं है? वह और क्या चाहता है?

टेंच

[असन्तोष के भाव से]

कम्पनी ने उसके आविष्कार से एक लाख पैदा किया और उसके हत्थे चढ़े कुल ७२०)। इसी तरह उसके दिन कट रहे हैं। [ ३५ ]

वाइल्डर

वह तो आग लगाने वाला आदमी है। मुझे इन पंचायतों से घृणा है, लेकिन अब हार्निस यहाँ आ गया है, और हमें चाहिए कि उसकी मार्फ़त सारे झगड़े तै कर लें।

ऐंथ्वनी

नहीं।

[सब के सब फिर उस की ओर देखते हैं]

अन्डरवुड

राबर्ट मज़दूरों को इस पर राजी न होने देगा।

स्केंटलबरी

ख़ूनी आदमी है, ख़ूनी।

वाइल्डर

[ऐंथ्वनी की ओर देखकर]

और वह अकेला ही नहीं है।

[फ़ास्ट बड़े कमरे से अन्दर आता है]

[ ३६ ]

फ्रास्ट

[ऐंथ्वनी से]

यूनियन के मिस्टर हार्निस आए हुए हैं। मज़दूर लोग भी आ गए हैं।

[ऐंथ्वनी सिर हिलाता है]

[अन्डरवुड जाता है और हार्निस को लेकर लौटता है। हार्निस डाढ़ी मोंछ मुड़ाए हुए है, उसका रंग पीला है, गाल पिचके हुए, आँखें तेज़ और ठुड्डी गोल-फ्रास्ट चला जाता है।]

अन्डरवुड

[टेंच की कुर्सी की तरफ इशारा करके]

वहाँ सभापति के बगल में बैठ जाव मिस्टर हार्निस।

[हार्निस के आते ही बोर्ड के लोग एक दूसरे के पास आ जाते हैं और उस की तरफ़ देखते हैं जैसे मवेशी किसी कुत्ते को देखे।]

हार्निस

[सब को ग़ौर से देख कर और सिर झुका कर]

धन्यवाद। [ ३७ ]

[वह बैठ जाता है। नाक से बोलता है]

महाशयगण, मुझे आशा है कि आज हम लोग इस मामले को तै करेंगे।

वाइल्डर

ये तो इस बात पर मुनहसर है कि तुम किसे तै करना कहते हो। आदमियों को अन्दर क्यों नहीं बुला लेते?

हार्निस

[चतुराई से]

मज़दूर लोग आप लोगों से कहीं ज्यादा न्यायपर हैं। हमारे सामने अब यह प्रश्न है कि हमें उन लोगों की फिर मदद करनी चाहिए या नहीं।

[वह ऐंथ्वनी के सिवा और किसी से नहीं बोलता। उसका रुख ऐंथ्वनी की तरफ़ है]

ऐंथ्वनी

तुम्हारा जी चाहे तुम उनकी मदद करो। हम खुद मज़दूर रख लेंगे और तुम से कोई सरोकार न रक्खेंगे। [ ३८ ]

हार्निस

यह नहीं हो सकता मिस्टर ऐंथ्वनी, आप को बग़ैर पंचायत की मदद के मज़दूर न मिलेंगे और आप इसे जानते हैं।

ऐंथ्वनी

यही देखना है।

हार्निस

मैं आप से सफाई के साथ बातें करना चाहता हूँ। हम आप के मज़दूरों की मदद से इस लिए हाथ खींचने पर मज़बूर हुए कि उन की कुछ माँगें बज़ार दर से बढ़ी हुई हैं। मुझे आशा है कि आज हम लोग उन से वह शर्तें उठवा लेंगे। अगर उन्हों ने ऐसा किया, तो मैं आप लोगों से साफ़ कहता हूँ कि हम फिर उन की मदद करने लगेंगे। इस लिये मैं चाहता हूँ कि आज हम लोग कुछ न कुछ तय करके ही उठें। क्या हम लोग इस पुराने ढंग की खींचा-तानी का अन्त नहीं कर सकते? इस से आप लोगों को क्या मिल रहा है? आप लोग यह क्यों नहीं मानते कि ये बेचारे आप ही लोगों जैसे मनुष्य हैं, और उसी तरह [ ३९ ] अपना भला चाहते हैं जैसे आप लोग अपना भला चाहते हैं-

[कटु स्वर में]

आप की मोटर गाड़ियाँ, और शामपेन और लम्बी लम्बी दावतें।

ऐंथ्वनी

अगर मज़दूर लोग काम पर आ जायँ तो हम उन के साथ कुछ रिआयत कर देंगे।

हार्निस

[व्यंग से]

आप लोगों की भी यही राय है साहब? आप-आप-आप?

[डाइरेक्टर लोग जवाब नहीं देते]

ख़ैर, मैं यही कह सकता हूँ कि इस ध्वनि में रईसों का घमंड और रोष भरा हुआ है जिसका मेरे खयाल में अब ज़माना नहीं रहा-लेकिन मालूम होता है मैं ग़लती पर था। [ ४० ]

ऐंथ्वनी

यह वही ध्वनि है जिस में मज़दूर लोग बातें करते हैं। अब तो यह देखना है कि कौन ज़्यादा दिनों तक अड़ सकता है-वह लोग हमारे बिना, या हम लोग उनके बिना?

हार्निस

मुझे आश्चर्य है कि आप लोग व्यापारी होकर भी शक्ति के इस तरह बरबाद होने पर लज्जित नहीं होते। इसका नतीजा जो कुछ होगा वह आप से छिपा नहीं है।

ऐंथ्वनी

क्या होगा?

हार्निस

समझौता-यही बराबर होता है।

स्केंटलबरी

आप मज़दूरों को यह नहीं समझा सकते कि हमारा और उन का एक ही स्वार्थ है? [ ४१ ]

हार्निस

[घूमकर व्यंग से]

अगर यह बात ठीक होती तो मैं उन्हें समझा सकता था।

वाइल्डर

देखो हार्निस, तुम बुद्धिमान हो और साम्यवादियों के उन गोरखधंधों को नहीं मानते जिनकी आजकल धूम मची हुई है। उनके और हमारे दिल में ज़रा भी अन्तर नहीं है।

हार्निस

मैं आप से एक बहुत सीधा सादा, छोटा सा प्रश्न करता हूँ। आप मजूरों को उस से एक कौड़ी भी ज्यादा देंगे जितना आपको लाचार होकर देना पड़ेगा?

[वाइल्डर चुप रहता है]

वैंकलिन

[उसी स्वर में]

मेरा तुच्छ विचार तो यह है कि आदमियों को उतनी ही मज़दूरी देना जितना ज़रूरी हो, वाणिज्य का क, ख, ग, है। [ ४२ ]

हार्निस

[व्यंग से]

हाँ, मालूम तो यही होता है कि वह वाणिज्य का क, ख, ग, है और यही वाणिज्य का क, ख, ग, आप के हित को मज़दूरों के हित से अलग किए हुए है।

स्केंटलबरी

[धीरे से]

हमें कुछ निश्चय कर लेना चाहिए।

हार्निस

[रुखाई से]

तो यह तय हो गया कि बोर्ड मज़दूरों के साथ कोई रिआयत न करेगा?

[वैंकलिन और वाइल्डर कुछ बोलने के लिये आगे झुकते हैं पर रुक जाते हैं]

ऐंथ्वनी

[सिर हिलाकर]

हाँ। [ ४३ ]

[वैंकलिन और वाइल्डर फिर आगे को झुकते हैं और स्केंटलबरी यकायक गुर्रा उठता है]

हार्निस

शायद आप कुछ कहने जा रहे थे?

[लेकिन स्केंटलबरी कुछ नहीं बोलता]

एडगार

[यकायक सिर उठाकर]

हमें मज़दूरों की इस दशा पर बहुत खेद है।

हार्निस

[बेपरवाही से]

मज़दूरों को आप की दया की ज़रूरत नहीं है साहब, वह केवल न्याय चाहते हैं।

ऐंथ्वनी

तो उन्हें न्यायी बनाओ। [ ४४ ]

हार्निस

'न्यायी' की जगह 'दीन' कहिए मि॰ ऐंथ्वनी। मगर वह क्यों दीन बनें? यह संयोग की बात है कि उनके पास धन नहीं है, नहीं तो वे आप लोगों ही जैसे मनुष्य वे लोग भी हैं।

ऐंथ्वनी

ढोंग है!

हार्निस

ख़ैर, मैं पाँच साल अमेरिका में रह चुका हूँ। इस से आदमी के विचारों पर असर पड़ता ही है।

स्केंटलबरी

[मानो अपनी अधूरी गुर्राहट की कसर निकालने के लिये]

मज़दूरों को भीतर बुलाकर सुनना चाहिए कि वह क्या कहते हैं।

[ऐंथ्वनी सिर हिलाता है और अन्डरवुड इकहरे दरवाज़े से बाहर जाता है]

[ ४५ ]

हार्निस

[बेपरवाही से]

आज शाम को मेरी उन लोगों से बात चीत होगी इसलिए मैं आपसे अर्ज़ करूँगा कि जब तक वह पूरी न हो जाय आप लोग कोई तोड़ न करें।

[ऐंथ्वनी फिर सिर हिलाता है, और अपना ग्लास उठाकर पीता है]

[अन्डरवुड फिर अन्दर आता है। उसके पीछे-पीछे राबर्ट, ग्रीन बलजिन, टामस, और राउस आते हैं। वे हाथ में हाथ मिला कर एक क़तार में चुपचाप खड़े हो जाते हैं। राबर्ट दुबला, औसत् क़द का आदमी है, उसकी पीठ कुछ झुकी हुई है। उसकी ख़सख़सी भूरी दाढ़ी है, गाल की हड्डियाँ ऊँची, गाल पिचके हुए, आँखें तेज़ और छोटी। वह एक पुराना, चरबी के दाग़ों से भरा हुआ नीले सर्ज का कोट पहिने हुए है। उसके हाथ में पुरानी टोपी है। वह सभापति के समीप ही खड़ा होता है। उसके बाद ग्रीन है। उसका चेहरा मुरझाया और मुड़ा हुआ है, छोटी सफ़ेद बकरियों की सी डाढ़ी है और नीचे झुकी हुई मूछें, शान्त और निष्कपट आँखों के ऊपर लोहे की ऐनक लगाए हुए है। वह एक ओवर कोट पहिने है, जो पुराना होने से हरा हो गया है। कपड़े का कालर है उसके बाद

[ ४६ ]

बलजिन है जो एक लम्बा मज़बूत, काली मूछों वाला और मज़बूत कल्ले का आदमी है। वह एक लाल मफ़लर पहिने है और अपनी टोपी को इस हाथ से उस हाथ बदलता रहता है। उसके बग़ल में टामस है। वह बुड्ढा अदमी है जिसकी मूछें पकी हुई हैं, डाढ़ी घनी और चेहरे पर झुर्रियाँ पड़ी हुई हैं। उसके दाहिनी तरफ़ राउस है वह पाँचों से छोटा है और सिपाही सा दीखता है, उसकी आँखें चमकदार हैं]

अन्डरवुड

[इशारा करके]

राबर्ट, दीवार से मिली हुई वह कुर्सियाँ हैं, उन्हें खींच लो और बैठो।

राबर्ट

धन्यवाद, मिस्टर अन्डरवुड हम बोर्ड के सामने खड़े ही रहेंगे।

[वह कड़ी आवाज़ में बातें करता है और उसका उच्चारण विदेशियों जैसा है]

कैसा मिज़ाज है मिस्टर हार्निस? आज शाम तक तो आशा न थी कि आप से भेंट होगी। [ ४७ ]

हार्निस

[दृढ़ता से]

तो हम फिर मिल लेंगे राबर्ट।

राबर्ट

बड़े आनन्द की बात है। हमारा कुछ संदेशा है। उसे आप अपनी सभा तक पहुँचा दीजिएगा।

ऐंथ्वनी

ये लोग क्या चाहते हैं?

राबर्ट

[तीव्र स्वर में]

ज़रा फिर कहिए, मैं चेयरमैन की बात नहीं सुन पाया।

टेंच

[सभापति की कुर्सी के पीछे से]

सभापति यह जानना चाहते हैं कि आदमियों को क्या कहना है। [ ४८ ]

राबर्ट

हम यहाँ यह सुनने के लिए आए हैं कि बोर्ड को क्या कहना है। पहिले बोर्ड को बोलना चाहिए।

ऐंथ्वनी

बोर्ड को कुछ नहीं कहना है।

राबर्ट

[मजूरों की पंक्ति की ओर देखकर]

ऐसी दशा में हम डाइरेक्टरों का समय नष्ट नहीं करना चाहते। हमें इस क़ीमती ग़ालीचे पर से अपने पैर उठा लेने चाहिए।

[वह घूमता है और मज़दूर भी धीरे-धीरे चलते हैं, मानो सम्मोहित हो गए हों।]

वेंकलिन

[नर्मी से]

सुनो राबर्ट, तुमने हमें इस जाड़े पाले में इतना ही कहने के लिए तो नहीं बुलाया। हमने कितना लम्बा सफ़र किया है। [ ४९ ]

टॉमस

[जो वेल्स का रहनेवाला है]

नहीं साहब, और मैं यह कहता हूँ-

राबर्ट

[तीव्र कंठ से]

हाँ हाँ टामस, बोलो क्या कहते हो? डाइरेक्टरों से बातें करने के लिए तुम मुझ से कहीं अच्छे हो।

[टामस चुप हो जाता है]

टेंच

सभापति कहते हैं कि मज़दूरों ही ने इस बैठक के लिए कहा था। इसलिए बोर्ड सुनना चाहता है कि वे क्या कहते हैं।

राबर्ट

अगर मैं उनकी दुःख कहानी कहने लगूँ तो आज पूरी न होगी। और आप में से कुछ लोग पछतायँगे कि लंदन के महल छोड़कर न आते तो अच्छा होता। [ ५० ]

हार्निस

तुम्हारा मतलब क्या है जी? बेमतलब की बातें न करो।

राबर्ट

आप मतलब की बात चाहते हैं मिस्टर हार्निस, तो आज इस बैठक के पहिले ज़रा यहाँ की सैर कीजिए। {{c[वह मज़दूरों की ओर देखता है, उनमें से कोई नहीं बोलता]}} तो तुम्हें बड़े अच्छे-अच्छे दृश्य दिखाई देंगे।

हार्निस

बहुत अच्छा दोस्त, मगर देखो टाल मत देना।

राबर्ट

[मज़दूरों से]

हम लोग मिस्टर हार्निस को टालेंगे नहीं। भोजन के साथ थोड़ी शाम्पेन भी लीजियेगा। आप को इस की ज़रूरत पड़ेगी। [ ५१ ]

हार्निस

अच्छा, अब कुछ काम करना चाहिए।

टामस

यह समझ लीजिए कि हम जो कुछ माँगते हैं वह सीधा सादा न्याय है।

राबर्ट

[जहरीले स्वर में]

लंदन से न्याय? क्या बकते हो हेनरी टॉमस, पागल तो नहीं हो गए हो?

[टॉमस चुप है]

हम खूब जानते हैं कि हम क्या हैं-मरभूके कुत्ते-जिन्हें कभी संतोष ही नहीं होता-सभापति ने मुझ से लंदन में क्या कहा था? "तुम जानते ही नहीं कि तुम क्या कह रहे हो। तुम मूर्ख, गवाँर आदमी हो। और उन आदमियों के विषय में कुछ नहीं जानते जिनके पक्ष में तुम खड़े हो।" [ ५२ ]

एडगार

आप तो विषय से दूर चले जा रहे हैं।

ऐंथ्वनी

[हाथ उठाकर]

राबट, मालिक एक ही हो सकता है।

राबर्ट

तो फिर हम ही मालिक होंगे।

[सब चुप हो जाते हैं, ऐंथ्वनी और राबर्ट एक दूसरे से आँखें मिलाते हैं]

अन्डरवुड

राबर्ट, अगर तुम्हें डाइरेक्टरों से कुछ नहीं कहना है, तो ग्रीन या टॉमस को मज़दूरों की तरफ़ से क्यों नहीं बोलने देते।

[ग्रीन और टॉमस् चिन्तित भाव से राबर्ट को, एक दूसरे को, और दूसरे आदमियों को देखते हैं]

[ ५३ ]

ग्रीन

[जो अँगरेज़ है]

महाशयो, अगर आप लोगों ने मेरी बात मानी होती-

टॉमस

मुझे जो कुछ कहना है, वही हम सब को कहना है-

राबर्ट

तुम्हें जो कुछ कहना हो कहो, हेनरी टामस्।

स्केंटलबरी

[तीव्र आत्मिक अशान्ति के भाव से]

ये बेचारे अपनी आत्मा की रक्षा भी नहीं कर सकते।

राबर्ट

और क्या? आत्मा के सिवा उनके पास और है ही क्या? क्योंकि देह का तो आप लोगों ने उद्धार कर दिया, मिस्टर स्केंटलबरी।

[चुभती हुई आवाज़ में, मानो मिस्टर का शब्द निकालना ही आपत्ति है।]

[ ५४ ]

[मज़दूरों से]

क्यों तुम लोग बोलते हो या मैं ही तुम्हारी तरफ़ से बोलूँ?

राउस

[चौंक कर]

राबर्ट, या तो तुम्हीं बोलो या दूसरों को ही बोलने दो।

राबर्ट

[व्यंग के भाव से]

धन्यवाद जार्ज राऊस!

[ऐंथ्वनी की तरफ़ रुख़ करके]

सभापति और डाइरेक्टरों के बोर्ड ने हमारी विपत्ति-कथा सुनने के लिए लंदन से यहां आकर हमारा सम्मान किया है। यह उचित नहीं है कि हम उन्हें और देर यहाँ इन्तज़ार में रक्खें।

वाइल्डर

इसके लिए ईश्वर को धन्यवाद। [ ५५ ]

राबर्ट

हमारी कथा सुन लेने के बाद आप ईश्वर को धन्यवाद न देंगे, मिस्टर वाइल्डर, चाहे आप कितने ही बड़े धर्मात्मा हों। संभव है आप के लंदनी ईश्वर के पास मज़दूरों की बातें सुनने के लिए समय न हो। मैंने सुना है कि वह ईश्वर बड़ा धनवान् है, लेकिन यदि वह मेरी बात सुने तो उसे उस से कहीं ज्यादा ज्ञान होगा जितना केंसिंगटन*[१] में हो सकता है।

हार्निस

देखो राबर्ट, जिस तरह तुम अपने ईश्वर को पूज्य समझते हो, वैसे ही दूसरे आदमियों के ईश्वर को भी समझो।

राबर्ट

यह ठीक है साहब, हमारा यहाँ दूसरा ही ईश्वर है। मैं समझता हूँ कि वह मिस्टर वाइल्डर के ईश्वर से भिन्न है। हेनरी टॉमस से पूछो वह बतलायेंगे कि उनका और वाइल्डर का ईश्वर एक है या दो।


[ ५६ ]

[टॉमस् अपना हाथ उठाता है, और सिर ऊँचा कर लेता है, जैसे कोई भविष्य वाणी कर रहा हो।]

वेंकलिन

राबर्ट, ईश्वर के लिए, मूल विषय ही पर रहो।

राबर्ट

मेरे विचार में तो यही मूल विषय है, मिस्टर वेंकलीन। अगर आप धन के ईश्वर को श्रम की गलियों में ले आएँ और इसका ध्यान रक्खें कि वह क्या-क्या देखता है, तो मैं आप की सज्जनता का कायल हो जाऊँगा, हालाँ कि आप रेडिकल (स्वतन्त्रतावादी) हैं।

ऐंथ्वनी

मेरी बात सुनो राबर्ट,

[राबर्ट चुप हो जाता है]

तुम यहाँ आदमियों की तरफ़ से बोलने आए हो जैसे मैं बोर्ड की तरफ़ से बोलने आया हूँ।

[वह धीरे धीरे इधर-उधर ताकता है]

[ ५७ ]

[वाइल्डर, वेंकलिन और स्केंटलबरी विरोध के भाव प्रगट करते हैं और एडगार ज़मीन की तरफ ताकता है। हार्निस के चेहरे पर हलकी मुसकुराहट आ जाती है।]

अब बोलो तुम क्या कहते हो?

राबर्ट

जी हाँ ठीक है-

[इसके बाद जो कुछ होता है उसमें वह और ऐंथ्वनी एक दूसरे पर आँख जमाए रहते हैं। मज़दूर लोग और डाइरेक्टर भिन्न-भिन्न रीति से अपने छिपे हुए उद्वेग प्रगट करते हैं, मानो वे ऐसी बातें सुन रहे हैं जो वे खुद न कहते।]

मज़दूर लंदन तक जाने की सामर्थ्य नहीं रखते और उन्हें विश्वास नहीं है कि वे जो कुछ लिखकर देंगे उसे आप लोग न मानेंगे। पत्रव्यवहार का हाल भी उन्हें मालूम है।

[वह अन्डरवुड और टेंच को घूर कर देखता है।]

और डाइरेक्टरों की बैठकों का हाल भी उनसे छिपा नहीं है। "मैनेजर से कैफ़ियत तलब करो-मैनेजर से पूछा जाय, कि मज़दूरों की हालत क्या है। क्या हम उन्हें और कुछ दबा सकते हैं?" [ ५८ ]

अन्डरवुड

[धीमी आवाज़ में]

कमर के नीचे वार मत करो, राबर्ट।

राबर्ट

क्या यह कमर के नीचे है, मिस्टर अन्डरवुड? मज़दूरों से पूछो जब मैं लंदन गया था तो मैंने सब हाल साफ़-साफ़ कह दिया था। पर उसका फल क्या हुआ? मुझ से कह दिया गया कि तुम खुद नहीं जानते क्या कहते हो। मुझ में यह सामर्थ्य नहीं है कि वही बात सुनने के लिए फिर लंदन जाऊँ।

ऐंथ्वनी

तुम्हें आदमियों के विषय में क्या कहना है?

राबर्ट

पहिले मुझे उन की दशा बतलानी है। आप लोगों को इसकी ज़रूरत नहीं है कि मैनेजर से पूछें। अब [ ५९ ]आप उन्हें और नहीं दबा सकते। हममें से हर एक भूकों मर रहा है।

[मज़दूर लोग चकित हो-होकर एक दूसरे के कान में कुछ कहने लगते हैं। राबर्ट चारों तरफ़ देखता है।]

आपको आश्चर्य होगा कि मैं यह क्यों कह रहा हूँ? हम सभी का बुरा हाल है। इधर कई हफ्तों से हमारी जो दशा है उससे हीन अब हो ही नहीं सकती। आप लोग यह न समझें कि कुछ दिन और अड़े रहने से आप हमें काम करने पर मज़बूर कर देंगे। इसके पहिले हम लोग प्राण दे देंगे। मज़दूरों ने आप लोगों को यह अंतिम सूचना देने को बुलाया है, कि आप लोग उन की माँगें स्वीकार करते हैं या नहीं? मैं मन्त्री के हाथ में काग़ज का ताव देख रहा हूँ।

[टेंच कुछ घबरा जाता है]

यह वही है न मिस्टर टेंच? यह तो बहुत बड़ा नहीं है।

[सिर हिलाकर]

हाँ। [ ६० ]

राबर्ट

उस काग़ज़ पर एक वाक्य भी ऐसा नहीं है जिसे हम छोड़ सकें।

[आदमियों में कुछ हलचल होती है, राबर्ट चमक कर उनकी तरफ़ देखता है]

आप लोग इसे मानते हैं न?

[मज़दूर लोग अनिच्छा से स्वीकार करते हैं। ऐंथ्वनी टेंच से काग़ज लेकर पढ़ता है।]

एक वाक्य भी नहीं। इन में से कोई माँग ऐसी नहीं है जो अनुचित कही जा सके। हम ने कोई बात ऐसी नहीं माँगी है जिस का हमें हक न हो। मैं ने लंदन में जो कुछ कहा था वही अब फिर कहता हूँ। उस कागज़ पर कोई ऐसी बात नहीं है जिसे माँगने या देने में किसी शरीफ़ आदमी को संकोच हो।

[कुछ सोचने लगता है]

ऐंथ्वनी

इस काग़ज़ पर एक माँग भी ऐसी नहीं है, जो हम लोग पूरी कर सकें। [ ६१ ]

[इन शब्दों के बाद जो हलचल मच जाता है, उसमें रॉबर्ट डाइरेक्टरों को ध्यान से देखता है और ऐंथ्वनी मज़दूरों को। वाइल्डर यकायक उठ जाता है और आग की तरफ़ जाता है।]

राबर्ट

यह आप दिल से कहते हैं।

ऐंथ्वनी

हाँ।

[वाइल्डर आग के पास खड़ा स्पष्ट रूप से घृणा का भाव दिखाता है।]

राबर्ट

[गहरी निगाह से देखता हुआ पर उदासीन भाव से]

आप लोग खूब जानते हैं कि कम्पनी की दशा आदमियों की दशा से अच्छी है या नहीं।

[डाइरेक्टरों के चेहरों को ग़ौर से देख कर]

आप लोग खूब जानते हैं कि आप यह अन्याय कर सकते हैं या नहीं। लेकिन मैं यह आप से कहूँगा अगर [ ६२ ] आप लोग सोचते हैं कि मज़दूर जौ भर भी दबेंगे तो आप लोग भयंकर भूल करते हैं।

[स्केंटलबरी के चेहरे पर आँखें जमा देता है।]

यह बड़े शर्म की बात है, कि यूनियन हमारी मदद नहीं कर रहा है। इस से आप लोग यह सोचते होंगे कि हम लोग एक शुभ महूर्त में आप के पैरों पर गिर पड़ेंगे। आप लोग सोचते हैं कि इन आदमियों के बाल बच्चे हैं इसलिए यह दो एक हफ्तों ही का मामला है-

ऐंथ्वनी

हमारे क्या विचार हैं अगर तुम इसे मन ही में रक्खो तो अच्छा।

राबर्ट

हाँ, मैं जानता हूँ कि इस से हमें कुछ फ़ायदा नहीं है। मिस्टर ऐंथ्वनी, मैं आप की इतनी तारीफ़ ज़रूर करूँगा कि आप जो कुछ कहते हैं स्पष्ट कहते हैं।

[ऐंथ्वनी की ओर देख कर]

मुझे आप की ओर से कोई भ्रम नहीं है। [ ६३ ]

ऐंथ्वनी

[व्यंग से]

धन्यवाद!

राबर्ट

और मैं भी जो कुछ कहता हूँ स्पष्ट ही कहता हूँ। सुन लीजिए, मज़दूर लोग अपनी बीबी-बच्चों को किसी देहात में भेज देंगे और चाहे भूखों मर जायँ, मगर हार न मानेंगे। मैं आप को सलाह देता हूँ मिस्टर ऐंथ्वनी, कि आप कम्पनी का सर्वनाश देखने के लिए तैयार रहिए। आप सोचते होंगे कि यह लोग मूर्ख हैं। लेकिन हम हवा का रुख़ देख रहे हैं। आप की दशा बहुत अच्छी नहीं है।

ऐंथ्वनी

कृपा कर के हमारी दशा के बारे में अपनी राय मत प्रगट करो। जाओ और अपनी दशा पर फिर विचार करो। [ ६४ ]

राबर्ट

[आगे बढ़कर]

मिस्टर ऐंथ्वनी, अब आप जवान नहीं हैं। जब से मुझे याद है, आप हमेशा अपने मज़दूरों को शत्रु समझते आए हैं। मैं यह नहीं कहता कि आप कमीने या निर्दयी आदमी हैं, लेकिन आप ने कभी उन्हें अपने विषय में एक शब्द कहने का भी अवसर नहीं दिया। आप उन्हें चार बार नीचा दिखा चुके हैं। मैंने यह भी सुना है कि आपको लड़ाई अच्छी लगती हैं। लेकिन मैं आपसे कहे देता हूँ कि यह आपकी आख़िरी लड़ाई है।

[टेंच रॉबर्ट की आस्तीन छूता है]

अन्डरवुड

रॉबर्ट, रॉबर्ट!

राबर्ट

क्या रॉबर्ट रॉबर्ट कर रहे हो? जब सभापति अपने मन की बात मुझ से कहते हैं तो मैं क्यों अपनी बात न कहने पाऊँ? [ ६५ ]

वाइल्डर

आज क्या होने वाला है?

ऐंथ्वनी

[वाइल्डर की ओर देखकर दृढ़ता से मुसकुराता है।]

हाँ हाँ कहो रॉबर्ट, जो कुछ जी में आवे कहो।

रॉबर्ट

[ज़रा ठहर कर]

अब मुझे कुछ नहीं कहना है।

ऐंथ्वनी

यह बैठक पाँच बजे तक के लिए स्थगित है।

वेंकलिन

[अन्डरवुड से धीमी आवाज़ में]

इस तरह तो हम कुछ भी न तै कर सकेंगे। [ ६६ ]

रॉबर्ट

[चुटकी लेकर]

हम सभापति और डाइरेक्टरों को धन्यवाद देते हैं कि उन्होंने दया करके हमारी दशा सुन ली।

[वह धीरे-धीरे द्वार की तरफ़ जाता है; मज़दूर लोग भौंचक्के होकर एक जगह जमा हो जाते हैं; तब राउस अपना सिर उठाकर रॉबर्ट के सामने से होता हुआ बाहर चला जाता है। उसके पीछे और आदमी भी चले जाते हैं।]

रॉबर्ट

[दरवाज़े पर हाथ रखकर-कटुता से]

बन्दगी साहबो।

[चला जाता है]

हार्निस

[चुटकी लेता हुआ]

आप लोगों ने जो रवादारी का भाव प्रगट किया है, उस पर मैं आपको बधाई देता हूँ। आपके आज्ञानुसार मैं फिर ५॥ बजे आऊँगा। बन्दगी। [ ६७ ][वह कुछ सिर झुकाकर ऐंथ्वनी को ध्यान से देखता है। ऐंथ्वनी भी स्थिर भाव से उसकी ओर ताकता है। तब हार्निस और अन्डरवुड दोनों बाहर चले जाते हैं। एक क्षण सन्नाटा छाया रहता है। अन्डरवुड ड्योढ़ी में फिर आता है।]

वाइल्डर

[बुरी तरह चिढ़कर]

अब?

[दुहरे दरवाज़े खुल जाते हैं]

एनिड

[ड्योढ़ी में खड़ी होकर]

भोजन तैयार है,

[एडगार यकायक उठ कर अपनी बहिन के पास होता हुआ बाहर चला जाता है]

वाइल्डर

क्यों स्केंटलबरी, भोजन करने आते हो?

स्केंटलबरी

[कठिनता से उठकर]

हाँ-हाँ इसके सिवा और क्या करना है। [ ६८ ]

[वे दुहरे दरवाज़े से बाहर चले जाते हैं]

वैंकलिन

[आहिस्ता से]

क्यों सभापति जी क्या आप सचमुच अंत तक लड़ना चाहते हैं?

[ऐंथ्वनी सिर हिलाता है]

वैंकलिन

होशियार रहिए। कब दबना चाहिए, यह जान लेना सब से बड़ी सिद्धि है।

[ऐंथ्वनी कोई जवाब नहीं देता]

वैंकलिन

[बड़ी गंभीरता से]

यही विनाश का मार्ग है। मिसेज़ अंडरवुड, तुम्हारे पिता जी ने पुराने ज़माने के ट्रोजनों को भी मात कर दिया।

[वह दुहरे दरवाज़े से चला जाता है]

[ ६९ ]

एनिड

मैं पिता जी से कुछ बातें करना चाहती हूँ फ्रैंक।

[अन्डरवुड और वेंकलिन दोनों बाहर चले जाते हैं। टेंच मेज़ की चारों तरफ़ घूमकर फैले हुए कलमों और काग़ज़ों को सँभाल कर रख रहा है।]

एनिड

क्या आप नहीं आ रहे हैं दादा?

[ऐंथ्वनी सिर हिलाकर नहीं कहता है। एनिड टेंच की तरफ़ मार्मिक भाव से देखती है।]

एनिड

क्यों मिस्टर टेंच, आप कुछ भोजन करने नहीं जा रहे हैं?

टेंच

[हाथ में काग़ज़ लिए हुए]

धन्यवाद!

[वह पीछे ताकता हुआ धीरे-धीरे चला जाता है।] [ ७० ]

एनिड

[दरवाज़े को बन्द करके]

दादा, मामल तै हो गया न?

ऐंथ्वनी

नहीं

एनिड

[बहुत निराश होकर]

अरे! क्या आप लोगों ने कुछ नहीं किया?

[ऐंथ्वनी सिर हिलाकर नहीं करता है।]

एनिड

फ्रैंक कहते हैं कि रॉबर्ट के सिवा और सबके सब कुछ समझौता करना चाहते हैं। सच!

ऐंथ्वनी

मैं नहीं करना चाहता। [ ७१ ]

एनिड

हम लोगों के लिए यह स्थिति बहुत ही भयंकर है। अगर आप मैनेजर की स्त्री होते, और यहाँ का सारा हाल अपनी आँखों से देखते, तो आपकी आँखें खुल जातीं।

ऐंथ्वनी

सच?

एनिड

हमें सारी दुर्गति देखनी पड़ती है। आपको मेरी नौकरानी एनी का ख्याल आता है, जिसने रॉबर्ट से विवाह किया था?

[ऐंथ्वनी सिर हिलाता है]

उसकी दशा बहुत ही खराब है। उसको दिल की बीमारी है। जब से हड़ताल शुरू हुई, उसे ठीक भोजन भी नहीं मिल रहा है। मेरी आँखों देखी बात है, दादा।

ऐंथ्वनी

ग़रीब है बेचारी, उसे जिस चीज़ की ज़रूरत हो दे दो। [ ७२ ]

एनिड

राबर्ट उसे हम लोगों से कोई चीज़ न लेने देगा।

ऐंथ्वनी

[सामने ताकता हआ]

अगर मज़दूर लोग जान देने पर तुले हैं तो मेरा क्या दोष है?

एनिड

सब के सब कष्ट में हैं, दादा। मेरी ख़ातिर से इसे बन्द कर दो।

ऐंथ्वनी

[उसे तीव्र दृष्टि से देखकर]

बेटी, तुम इस बात को न समझ सकोगी।

एनिड

अगर मैं डाइरेक्टर होती, तो कुछ न कुछ ज़रूर करती। [ ७३ ]

ऐंथ्वनी

क्या करतीं?

एनिड

इस झगड़े का कारण यही है, कि आपको दबना बुरा लगता है। यह बिलकुल-

ऐंथ्वनी

हाँ-हाँ कहो।

एनिड

बिलकुल अनावश्यक है।

ऐंथ्वनी

तुम क्या जानती हो कि कौन सी बात आवश्यक है? अपने उपन्यास पढ़ो, गाना गाओ, गपशप करो, मगर मुझे यह बतलाने की चेष्टा मत करो कि इस टंटे का कारण क्या है।

एनिड

मैं यहाँ रहती हूँ और सब कुछ आँखों से देखती हूँ। [ ७४ ]

ऐंथ्वनी

तुम ने कभी सोचा है कि जिन लोगों पर तुम्हें इतनी दया आ रही है, उनके और हमारे बीच में कौन सी दीवार खड़ी है?

एनिड

[उदासीनता से]

मैंने आपका मतलब नहीं समझा, दादा।

ऐंथ्वनी

अगर वह लोग जिन्हें ईश्वर ने आँखें दी हैं परिस्थिति को न देखें और अपने हक़ के लिए खड़े होने का साहस न करें तो थोड़े ही दिनों में तुम्हारी और तुम्हारे बाल बच्चों की दशा इन्हीं आदमियों जैसी हो जायगी।

एनिड

मज़दूरों की जो दशा है उसे आप नहीं जानते। [ ७५ ]

ऐंथ्वनी

खूब जानता हूँ।

एनिड

आप नहीं जानते, दादा; अगर आप जानते तो आप-

ऐंथ्वनी

तुम खुद इस प्रश्न की सीधी सादी बातों को नहीं जानती हो। अगर हम मज़दूरों की शर्तों को आँखें बन्द करके मानते चले जायँ तो समझती हो तुम्हारी क्या दशा होगी? यह दशा होगी।

[वह अपना हाथ गले पर रखता है और उसे दबाता है।]

पहले तुम्हारे कोमल मनोभाव बिदा हो जायँगे। तुम्हारी सभ्यता और तुम्हारी सुख सामग्रियों का कहीं पता न लगेगा।

एनिड

मैं नहीं चाहती कि समाज में भिन्न भिन्न श्रेणियाँ बन जायँ। [ ७६ ]

ऐंथ्वनी

तुम——नहीं चाहती——कि समाज में——भिन्न-भिन्न श्रेणियाँ बन जायँ?

एनिड

[उदासीनता से]

और मेरी समझ में यह नहीं आता कि इस मामले से उसका क्या सम्बन्ध है।

ऐंथ्वनी

यह समझने के लिए तुम्हें एक या दो पुश्त चाहिए।

एनिड

यह सब कुछ आप और रॉबर्ट के कारण हो रहा है दादा, और आप इसे जानते हैं।

[ऐंथ्वनी अपना नीचे का होंठ निकाल लेता है।]

इससे कम्पनी का सर्वनाश हो जायगा।

ऐंथ्वनी

इस विषय में मैं तुम्हारी राय नहीं मांगता। [ ७७ ]

एनिड

[चिढ़कर]

यह मुझसे नहीं हो सकता कि रॉबर्ट की स्त्री यों कष्ट भोगे और मैं खड़ी तमाशा देखती रहूँ! और दादा, बच्चों का भी तो ख़्याल कीजिए। मैं आपको जताए देती हूँ।

ऐंथ्वनी

[निर्दयता से मुसकुरा कर]

आख़िर तुम्हारी क्या मनशा है?

एनिड

इसे आप मुझ पर छोड़ दीजिए।

[ऐंथ्वनी केवल उसकी ओर ताकता है।]

एनिड

[बदली हुई आवाज़ में उसकी आस्तीन खींचती हुई]

दादा, आपको मालूम है यह चिन्ता आपके लिए हानिकारक है। आपको याद है डाक्टर फ़िशर ने क्या कहा था? [ ७८ ]

ऐंथ्वनी

कोई बूढ़ा आदमी बूढ़ी औरतों की सी बातें सुनना पसन्द नहीं करता।

एनिड

लेकिन अगर आपके लिए यह सिद्धान्त की ही बात हो तब भी आप बहुत कुछ कर चुके।

ऐंथ्वनी

तुम्हारा यह खयाल है!

एनिड

अब इन बातों में न पड़िए दादा, आपको हमारा ख्याल करना चाहिए।

[उसके चेहरे से याचना का भाव प्रकट होता है।]

ऐंथ्वनी

रखता हूँ।

एनिड

यह भार आप सह न सकेंगे। [ ७९ ]

ऐंथ्वनी

[आहिस्ता से]

मैं अभी मरूँगा नहीं विश्वास रक्खो।

[टेंच काग़ज़ लेकर फिर आता है। वह उनकी तरफ़ कनखियों से देखता है। तब हिम्मत करके आगे बढ़ता है।]

टेंच

क्षमा कीजिएगा, मैडम; मैंने सोचा खाना खाने के पहले इन काग़ज़ों को निबटा दूँ।

[एनिड उकता कर उसी तरफ़ देखती है, अपने बाप की ओर देखकर यकायक लौट पड़ती है, और दीवान- खाने में चली जाती है]

टेंच

[बहुत डरता हुआ ऐंथ्वनी के सामने काग़ज़ और क़लम रखता है।]

कृपा कर इन क़ाग़जों पर दसख़त कर दीजिए।

[ऐंथ्वनी क़लम लेकर दस्तख़त करता है]

[ ८० ]

टेंच

[सोख़ते का एक टुकड़ा लिए एडगार की कुर्सी के पीछे खड़ा हो जाता है और डरते-डरते बोलना शुरू करता है।

यहाँ मुझे हुजूर ही ने नौकर रक्खा।

ऐंथ्वनी

क्या बात है?

टेंच

यहाँ जो कुछ होता है वह सब मुझे देखना पड़ता है। कम्पनी ही मेरा आधार है। अगर इसमें कुछ गड़बड़ हुआ तो मैं कहीं का न रहूँगा।

[ऐंथ्वनी सिर हिलाता है]

और मेरे घर में हाल ही में दूसरा बच्चा हुआ है इस लिये इस समय मैं और भी चिन्तित हूँ। हमारी तरफ़ बाज़ार का भाव भी बड़ा तेज़ है।

ऐंथ्वनी

[कठोर विनोद के साथ]

हमारी तरफ़ भी तो बाज़ार भाव उतना ही तेज़ है। [ ८१ ]

टेंच

जी नहीं।

[बहुत डरकर]

मुझे मालूम है कि कंपनी की आप को बड़ी चिन्ता है।

ऐंथ्वनी

हाँ है। मैंने ही इसे खोला था।

टेंच

जी हाँ। अगर हड़ताल जारी रही तो बहुत बुरा होगा। मैं समझता हूँ कि डाइरेक्टरों की समझ में अब यह बात आने लगी है।

ऐंथ्वनी

[व्यंग से]

सच? मैं जानता हूँ कि इस विषय में आप के विचार बड़े कट्टर हैं और कठिनाइयों का सामना करना आपकी आदत [ ८२ ] है, लेकिन मैं समझता हूँ कि डाइरेक्टर लोग इसे पसन्द नहीं करते क्योंकि अब उन्हें असली हाल मालूम होने लगा है।

ऐंथ्वनी

[कठोरता से]

शायद तुम्हें भी पसन्द न होगा।

टेंच

[फीकी हँसी के साथ]

यह बात नहीं है, हुजूर। मेरे बाल बच्चे अवश्य हैं, और पत्नी भी बीमार है। मेरी दशा में इन बातों का ख़्याल करना लाचारी है।

[ऐंथ्वनी सिर हिलाता है।]

लेकिन मैं यह नहीं कह रहा था, अगर आप मुझे क्षमा करें।

[हिचकता है है।]

ऐंथ्वनी

तो फिर कहते क्यों नहीं? [ ८३ ]मेरे पिता मुझ से कहा करते थे कि आदमी जब बुड्ढा हो जाता है तो उसके दिल पर हरेक बात का गहरा असर पड़ता है।

ऐंथ्वनी

[पिताभाव से]

क्या कहते हो टेंच, कहो?

टेंच

मुझे कहते अच्छा नहीं लगता, हुजूर।

ऐंथ्वनी

[कठोरता से]

तुमको बतलाना पड़ेगा।

टेंच

[ज़रा दम लेकर निर्भयता से बोलता हुआ]

मेरा ख़्याल है कि डाइरेक्टर लोग आपको दग़ा देंगे। [ ८४ ]

ऐंथ्वनी

[चुपचाप बैठा रहता है]

घंटी बजाओ।

[टेंच डरता हुआ घंटी बजाता है, और आग के पास खड़ा हो जाता है।

टेंच

यह बात कहने के लिए मुझे क्षमा कीजिए। मैं केवल आप के ख्याल से कह रहा था।

[फ्रॉस्ट बड़े कमरे से आता है, वह मेज़ के पाए के पास पाता है, और ऐंथ्वनी की तरफ देखता है। टेंच अपनी घबराहट को छिपाने के लिए काग़ज़ों को संभालने लगता है।]

ऐंथ्वनी

मेरे लिए ह्विस्की और सोडा लाओ।

फ्रॉस्ट

खाने के लिए भी कुछ लाऊँ, हुज़ूर?

[ऐंथ्वनी सिर हिलाकर नहीं करता है,-फ्रॉस्ट छोटी मेज़ के पास जाता है और शराब तैयार करता है।]

[ ८५ ]

टेंच

[धीमी आवाज़ में बिल्कुल गिड़गिड़ा कर]

अगर आप कोई समझौता कर लेते, तो मेरा चित्त बहुत कुछ शान्त हो जाता।

[वह सिर उठाकर ऐंथ्वनी को देखता है, जो स्थिर भाव से बैठा रहता है।]

सचमुच इस से मुझे बड़ी चिन्ता हो रही है। मुझे कई रातों से अच्छी नींद नहीं आई।

[ऐंथ्वनी उसके चहरे की ओर ताकता है, तब धीरे से सिर हिलाता है।]

टेंच

[निराश होकर]

आप को मंजूर नहीं है?

[वह काग़ज़ों को सँभालता रहता है। फ्रॉस्ट ह्विस्की और सोडा एक किश्ती में लाता है और ऐंथ्वनी के दहने हाथ के पास रख देता है। वह ऐंथ्वनी को चिन्तित आँखों से देख कर अलग खड़ा हो जाता है।]

फ्रॉस्ट

क्या आप कोई चीज़ न खायेंगे? [ ८६ ]

[ऐंथ्वनी सिर हिलाकर नहीं करता है।]

आपको मालूम है कि डॉक्टर ने आप से क्या कहा था?

ऐंथ्वनी

हाँ मालूम है।

[फ्रॉस्ट यकायक उसके समीप चला जाता है, और धीमी आवाज़ में बोलता है।]

फ्रॉस्ट

हुजूर, इस हड़ताल ने आप को बहुत चिन्ता में डाल रक्खा है। आप नाहक इस के पीछे इतने हैरान हो रहे हैं।

[ऐंथ्वनी कुछ शब्द मुँह से निकालता है जो सुनाई नहीं देते।]

बहुत अच्छा, हुज़ूर।

[वह घूमकर हॉल में चला जाता है। टेंच दोबारा बोलने की चेष्टा करता है, लेकिन सभापति से आँखें मिल जाने के कारण आँखें नीची कर लेता है। तब उदास भाव से घूम कर वह भी चला जाता है। ऐंथ्वनी अकेला रह जाता है। वह गिलास उठाता है, उसे हिलाता है, और एक साँस में पी जाता है। तब गहरी साँस लेकर उसे रख देता है और अपनी कुर्सी पर तकिया लगा लेता है।]

पर्दा गिरता है

  1. * केंसिंगटन-लन्दन में अमीरों का एक महल्ला।