साहित्य का उद्देश्य/मुखपृष्ठ
[ आवरण-पृष्ठ ]
लेखक
प्रे म चं द
प्रकाशक:
शिवरानी प्रेमचद
वितरक:
हंस प्रकाशन
इलाहाबाद
मुद्रक :
भार्गव प्रेस
इलाहाबाद
प्रथम संस्करण : जुलाई १९५४
मूल्य ४)
[ विषयसूची ]अनुक्रम
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दो शब्द
प्रेमचंद के साहित्य और भाषा-संबंधी निबन्धों- भाषणो आदि का एक संग्रह 'कुछ विचार' के नाम से पहले छप चुका है। लेकिन उसमे दी गयी सामग्री के अलावा भी सामग्री थी जो 'हस' की पुरानी फाइलों मे दबी पड़ी थी और अब तक किसी संकलन मे नही आयी थी। वे अधिकाश मे सम्पादकीय टिप्पणियों हैं। उनमें कुछ टिप्पणियों बड़ी हैं और कुछ छोटी, कुछ टिप्पणियों एकदम स्वतन्त्र हैं और कुछ मे किसी तात्कालिक साहित्यिक घटना या वादविवाद ने निमित्त का काम किया है। वह जो भी हो, सब मे प्रेमचद की आवाज बोल रही है और सब किसी न किसी महत्वपूर्ण साहित्यिक-सास्कृतिक प्रश्न पर रोशनी डालती हैं । इसलिए इस सामग्री का सकलन करते समय हमने और सब बातों को छोड़कर अपनी दृष्टि केवल इस बात पर रक्खी है कि ऐसी एक पक्ति भी छूटने न पाये जिससे किसी साहित्यिक प्रश्न पर रोशनी पड़ती हो या प्रेमचद का स्पष्ट अभिमत मालूम होता हो। जो टिप्पणियों सामयिक विषयों को लेकर हैं, उनको लेते समय भी हमारी दृष्टि यही है कि यद्यपि उनकी सामयिकता अब कालप्रवाह मे बह गयी है तथापि उनके भीतर, किसी भी निमित्त से, कही हुई मूल बात का महत्व आज भी है और आगे भी रहेगा
और इसलिए उसे पाठकों तक पहुंचना चाहिए । [ २ ](२)
हमे विश्वास है कि यह नया, पूर्णतर, सकलन साहित्यिक विचारक प्रेमचंद और साहित्यकार प्रेमचद को और अच्छी तरह समझने में सहायक होगा।
संकलनकर्ता