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राजा टोडरमल प्रेमचंद द्वारा रचित १५ महापुरुषों के जीवन-चरित संग्रह कलम, तलवार और त्याग का एक अध्याय है। इसका पहला संस्करण १९३९ ई॰ में बनारस के सरस्वती-प्रेस द्वारा प्रकाशित किया गया था।


"वह १५८२ ई० में आगरे को लौटा! अपनी सच्ची स्वामि-भक्ति और सेवाओं के कारण राज्य का 'दीवाने-बुल' अथवा अर्थ-मंत्री बना दिया गया और २२ सूबों पर उसकी कलम दौड़ने लगी। इस समय से मृत्युकाल तक टोडरमल को अपनी कलम का जौहर और राज्यप्रबन्ध-विषयक प्रतिभा के चमत्कार दिखाने का ,खुब मौका मिला। केवल एक बार यूसुफ़जइयों की मुहिम में राजा मानसिंह की सहायता को जाना पड़ा था। यद्यपि राजा बहुत ही साधु-स्वभाव और शुद्ध निश्छल हृदय का व्यक्ति था, फिर भी १५८९ ई० में किसी दुश्मन ने उस पर तलवार चढ़ाई। सौभाग्यवश वह तो बाल-बाल बच गया, पर उसका फल एक अभागे खत्री बच्चे को भुगतना पड़ा। गहरा सन्देह है कि यह किसी द्वेष रखनेवाले सरदार वा अधिकारी का इशारा था पर संभवतः यह हमला मौत का ही था। क्योंकि इस घटना के थोड़े ही दिन बाद राजा को इस लोक से विदा हो जाना पड़ा। निर्दयी ने दूसरा हमला ज्वर के रूप में किया और अबकी जान लेकर ही छोड़ा।..."(पूरा पढ़ें)