विकिस्रोत:आज का पाठ/७ फ़रवरी
उपन्यास प्रेमचंद द्वारा रचित साहित्य का उद्देश्य का एक अंश है जिसका प्रकाशन जुलाई १९५४ ई॰ में इलाहाबाद के हंस प्रकाशन द्वारा किया गया था।
"उपन्यास की परिभाषा विद्वानों ने कई प्रकार से की है, लेकिन यह कायदा है कि जो चीज जितनी ही सरल होती है, उसकी परिभाषा उतनी ही मुश्किल होती है। कविता की परिभाषा आज तक नहीं हो सकी। जितने विद्वान् हैं उतनी ही परिभाषाएँ हैं। किन्ही दो विद्वानों की राये नहीं मिलती। उपन्यास के विषय में भी यही बात कही जा सकती है। इसकी कोई ऐसी परिभाषा नहीं है जिस पर सभी लोग सहमत हों।
मैं उपन्यास को मानव-चरित्र का चित्र-मात्र समझता हूँ। मानव-चरित्र पर प्रकाश डालना और उसके रहस्यों को खोलना ही उपन्यास का मूल तत्व है।..."(पूरा पढ़ें)