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जयपुर महावीर प्रसाद द्विवेदी द्वारा रचित दृश्य-दर्शन का एक अध्याय है जिसका प्रकाशन १९२८ ई॰ में सुलभ ग्रंथ प्रचारक मंडल कलकत्ता द्वारा किया गया था।


"जयपुर कछवाहों का राज्य है। कछवाहे अपनेको रामचन्द्र के पुत्र कुश का वंशज बतलाते हैं। कछवाहों में धोलाराय नाम के एक प्रतापी राजा हुए। उन्होंने जयपुर-प्रान्त को मीनों और बिन-गूजरों से छीन कर, ९६७ ईसवी में, इस राज्य की नीव डाली। इसे ढूंढार भी कहते हैं। इसकी पहली राजधानी अम्बर में थी। जयपुर से अम्बर सिर्फ ५ मील है। वह इस समय उजाड़ है। तथापि कई सौ वर्ष तक जयपुर की राजधानी रहने के कारण वहां अब भी कई इमारतें देखने लायक हैं। अम्बर के क़िले में यद्यपि अब कोई नहीं रहता तथापि उसकी इमारतें उसके पूर्व वैभव की अब तक गवाही दे रही हैं।..."(पूरा पढ़ें)