विकिस्रोत:आज का पाठ/५ मार्च
लेखक संघ प्रेमचंद द्वारा रचित साहित्य का उद्देश्य का एक अंश है जिसका प्रकाशन जुलाई १९५४ ई॰ में इलाहाबाद के हंस प्रकाशन द्वारा किया गया था।
"लेखक संघ के विषय में 'हंस' मे विज्ञप्ति निकल चुकी है और साहित्य-सेवियों तथा पाठकों को यह जानकर हर्ष होगा कि लेखकों ने संघ का खुले दिल से स्वागत किया है। और लगभग साठ सज्जन उसके सदस्य बन चुके हैं। चारों तरफ से आशाजनक पत्र आ रहे हैं मगर अभी तक यह निश्चित नही किया जा सका कि संघ का मुख्य काम क्या होगा? संयोजक महोदय ने अपने प्रारम्भिक पत्र में संघ के उद्देश्यों का कुछ जिक्र किया है, और जो लोग संघ में शामिल हुए हैं, वे उन उद्देश्यों से सहमत हैं, इसमें सन्देह नहीं; लेकिन वह उसूल कार्य बनकर क्या रूप धारण करेंगे, इस विषय में कुछ नही कहा जा सकता! संघ लेखकों के स्वत्वों की रक्षा करेगा।..."(पूरा पढ़ें)