विकिस्रोत:आज का पाठ/२९ मार्च
होली है अथवा होरी है। प्रतापनारायण मिश्र के निबंध-संग्रह प्रताप पीयूष का एक अंश है जिसका प्रकाशन १९३३ में कानपुर के सिटी बुक हाउस द्वारा किया गया था।
"आहा! अजब रङ्ग है सब पै देह न तनिको कोरी है।
कारे पीले लाल रंग सों लथ पथ पाग पिछौरी है॥
कर मुख पै लपिट्यो लखात काजर गुलाल अरु रोरी है।
नख ते सिख लौं छाय रही बहु रंग रंगीली होरी है॥..."(पूरा पढ़ें)