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हिन्दी साहित्य का पूर्वरूप और आरंभिक काल अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' द्वारा रचित पुस्तक हिंदी भाषा और उसके साहित्य का विकास का एक अध्याय है। इस पुस्तक का प्रकाशन १९३४ ई॰ में पटना विश्वविद्यालय, पटना द्वारा किया गया था।


"आविर्भाव-काल ही से किसी भाषा में साहित्य की रचना नहीं होने लगती। भाषा जब सर्वसाधारण में प्रचलित और शब्द सम्पत्ति सम्पन्न बन कर कुछ पुष्टता लाभ करती है तभी उसमें साहित्य का सृजन होता है। इस साहित्य का आदिम रूप प्रायः छोटे छोटे गीतों अथवा साधारण पद्यों के रूप में पहले प्रकटित होता है और यथा काल वही विकसित हो कर अपेक्षित विस्तार-लाभ करता है। हिन्दी भाषा के लिये भी यही बात कही जा सकती है। इतिहास बतलाता है कि उसमें आठवीं ईस्वी शताब्दी में साहित्य-रचना होने लगी थी। इस सूत्र से यदि उसका आविर्भाव-काल छठी या सातवीं शताब्दी मान लिया जाय तो मैं समझता हूं, असंगत न होगा।..."(पूरा पढ़ें)