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हिन्दी भाषा पर अन्य भाषाओं का प्रभाव अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' द्वारा रचित पुस्तक हिंदी भाषा और उसके साहित्य का विकास का एक अध्याय है। इस पुस्तक का प्रकाशन १९३४ ई॰ में पटना विश्वविद्यालय, पटना द्वारा किया गया था।


"हिन्दी भाषा में सबसे अधिक संस्कृतके शब्द पाये जाते हैं । इस हिन्दी भाषा से मेरा प्रयोजन साहित्यिक हिन्दी भाषा से है । बोलचाल की हिन्दी में भी संस्कृतके शब्द हैं, परन्तु थोड़े उसमें तद्भव शब्दोंकी अधिकता है। हिन्दुओंकी बोलचालमें अब भी संस्कृतके शब्दोंके प्रयुक्त होनेका यह कारण है, कि विवाह यज्ञोपवीत आदि संस्कारोंके समय. कथा वार्ता ओर धर्मचर्चाओं में, व्याखानों और उपदेशों में, नाना प्रकार के पर्व और उत्सवों में, उनको पंडितों का साहाय्य ग्रहण करना पड़ता है। पण्डितों का भाषण अधिकतर संस्कृत शब्दों में होता है, वे लोग समस्त क्रियाओंको संस्कृत पुस्तकों द्वारा कराते हैं। अतएव उनके व्यवहार में भी संस्कृत शब्द आते रहते हैं । सुनते सुनते अनेक संस्कृत शब्द उनको याद हो जाते हैं, अतएव अवसर पर वे उनका प्रयोग भी करते हैं। ..."(पूरा पढ़ें)