विकिस्रोत:आज का पाठ/१ जुलाई
हिन्दी साहित्य का माध्यमिककाल/कबीर अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' द्वारा रचित पुस्तक हिंदी भाषा और उसके साहित्य का विकास का एक अंश है। इस पुस्तक का प्रकाशन १९३४ ई॰ में पटना विश्वविद्यालय, पटना द्वारा किया गया था।
"यह पन्द्रहवीं शताब्दी कबीर साहब की कविताओं का रचना-काल भी है। कबीर साहव की रचनाओं के विषय में अनेक तर्क-वितर्क हैं। उनकी जो रचनायें उपलब्ध हैं उनमें बडी विभिन्नता है । इस विभिन्नता का कारण यह है कि वे स्वयं लिखे-पढ़े न थे। इस लिये अपने हाथ से वे अपनी रचनाओं को न लिख सके । अन्य के हाथों में पड़ कर उनकी रचनाओं का अनेक रूपों में परिणत होना स्वाभाविक था । आज कल जितनी रच- नायें उनके नाम से उपलब्ध होती हैं उनमें भी मीन मेख है। कहा जाता है कि सत्य लोक पधार जाने के बाद उनकी रचनाओं में लोगों ने मनगढन्त बहुत सी रचनायें मिला दी हैं और इसी सूत्र से उनकी रचना की भाषा में भी विभिन्नता दृष्टिगत होती है ।..."(पूरा पढ़ें)