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दन्तकथाओं का महत्व प्रेमचंद द्वारा रचित साहित्य का उद्देश्य का एक अंश है जिसका प्रकाशन जुलाई १९५४ ई॰ में इलाहाबाद के हंस प्रकाशन द्वारा किया गया था।


"गत ७ अगस्त को मास्को में सोवियत के सभी साहित्यिकों की एक विराट् सभा हुई थी जिसके सभापति संसार प्रसिद्ध मैक्सिम गोर्की थे। इस अवसर पर मैक्सिम गोर्की ने जो भाषण दिया, वह विषय और उसके निरूपण और मौलिक विचारों के लिहाज से बड़े महत्व का था। आपने दन्तकथाओं और ग्राम्य गीतों को बिलकुल एक नए दृष्टिकोण से देखा जिसने इन कथाओं और गीतों का महत्व सैकड़ों गुना बढ़ा दिया है। ग्राम्य साहित्य और पौराणिक कथाओं में बहुधा मानव जीवन के आदिकाल की कठिनाइयों घटनाओं और प्राकृतिक रहस्यों का वर्णन है। कम से कम हमने अब तक ग्राम्य साहित्य को इसी दृष्टि से देखा है।..."(पूरा पढ़ें)