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सत्याग्रहकी उत्पत्ति मोहनदास करमचंद गाँधी की आत्मकथा सत्य के प्रयोग का एक अध्याय है। इस पुस्तक का प्रकाशन नई दिल्ली के सस्ता साहित्य मंडल द्वारा १९४८ ई. में किया गया था।


"'सत्याग्रह' शब्दकी उत्पत्ति होनेके पहले सत्याग्रह वस्तुकी उत्पत्ति हुई है। जिस समय उसकी उत्पत्ति हुई उस समय तो मैं खुद भी नहीं जान सका कि यह चीज दरअसल क्या है । गुजराती में हम उसे पैसिव रेजिस्टेंस' इस अंग्रेजी नामसे पहचानने लगे; पर जब गोरोंकी एक सभा में मैंने देखा कि 'पैसिव रेजिस्टेंस'का संकुचित अर्थ किया जाता है, वह निर्वलका हथियार समझा जाता है, उसमें द्वेषके अस्तित्वकी भी संभावना है और उसका अंतिम रूप हिंसा परिणत हो सकता है तब मुझे इस शब्दका विरोध करना पड़ा और भारतीयोंके संग्रामका सच्चा रूप लोगोंको समझाना पड़ा--- और उस समय हिंदुस्तानियों को अपने संग्रामका परिचय कराने के निए एक नया शब्द गढ़ने की जरूरत पड़ी..."(पूरा पढ़ें)