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साहित्य में ऊंचे विचार की आवश्यकता प्रेमचंद द्वारा रचित साहित्य का उद्देश्य का एक अंश है जिसका प्रकाशन जुलाई १९५४ ई॰ में इलाहाबाद के हंस प्रकाशन द्वारा किया गया था।


"रूस में हाल में साहित्यकारों में एक बड़े मजे की बहस छिड़ी थी। विषय था-साहित्य का उद्देश्य क्या है? लोग अपनी अपनी गा रहे थे। कोई कहता था-साहित्य सत्य की खोज का नाम है। कोई साहित्य को सुन्दर की खोज कहता था। कोई कहता था-वह जीवन की आलोचना है। कोई उसे जीवन का चित्रण मात्र बतलाता था। आखिर जब यह झगड़ा न तय हुआ तो सलाह हुई कि किसी गंवार से पूछा जाय कि वह साहित्य को क्या समझता है। आखिर यह जत्था मजदूर की खोज में निकला।..."(पूरा पढ़ें)