भारतेंदु-नाटकावली/१०–पात्र-सूची

भारतेंदु-नाटकावली
भारतेन्दु हरिश्चंद्र, संपादक ब्रजरत्नदास

इलाहाबाद: रामनारायणलाल पब्लिशर एंड बुकसेलर, पृष्ठ ७०८ से – ७१४ तक

 

पात्र-सूची

अर्थात्

नाटकावली के इस भाग में संगृहीत ग्रंथों में आए हुए पात्रों की नामावली

अंधकार--(भा० दु०)

अर्जुन-पांडव--(ध० वि०)

अबदुश्शरीफ खां--सूर सिपहसालार--(नी० दे०)

अबदुस्समद--मुसाहिब--(नी० दे०)

आलस्य--(भा० दु०)

इंद्र-देवराज--(ध० वि०, स० ह०)

उंदुर--चर--(मु० रा०)

उत्तरा--विराट की कन्या--(ध० वि०)

कल्लू--बनिया--(अं० न०)

काम मंजरी-सखी--(चं०)

कामिनी--सखी--(चं०)

कालपाशिक--सेवक--(मु० रा०)

कृपाचार्य--पांडवों के गुरु--(ध० वि०)

कौंडिन्य--उपाध्याय का शिष्य--(स० ह०)

क्षपणक--जीवसिद्धि नामक गुप्तचर--(मु० रा०) गप्प पंडित--(प्रे० यो०)

गोपालशास्त्री--(प्रे० यो०)

गोबरधनदास--चेला--(अं० न०)

चंडिका--गायिका के छद्म वेष में नील देवी--(नी० दे०)

चंदनदास--जौहरी--(मु० रा०)

चंद्रकान्ता--सखी--(चं.)

चंद्रगुप्त--कुसुमपुर का राजा--(मु० रा०)

चंद्रावली--नायिका--(चं०)

चंपकलता--सखी--(चं०)

चंबूभट्ट--(प्रे० यो०)

चपरगट्टू खाँ--(नी० दे०)

चाणक्य--चंद्रगुप्त का मन्त्री--(मु० रा०)

चित्रवर्मा--कुलूत देश का राजा--(मु० रा०)

छक्कूजी--महाजन--(प्रे० यो०)

जाजलक--कंचुकी--(मु० रा०)

जिष्णुदास--महाजन--(मु० रा०)

जीर्णविष--मदारी, विराधगुप्त नामक गुप्तचर--(मु० रा०)

जीवसिद्धि--गुप्तचर--(मु० रा०)

झूरीसिंह--गुंडा--(प्रे० यो०)

टेकचंद--महाजन--(प्रे० यो०) डिसलायल्टी--(भा० दु०)

दंडपाशिक--चंद्रगुप्त का नौकर--(मु० रा०)

दीर्घचक्षु--रक्षाधिकारी--(मु० रा०)

दुर्योधन--कौरव--(ध० वि०)

देवीसिंह--सिपाही--(नी० दे०)

द्मुमत्सेन--सत्यवान का पिता--(स० प्र०)

धनदास--वैष्णव--(प्रे० यो०)

धर्म--चांडालवेषधारी--(स० ह०)

धर्मराज--युधिष्ठिर--(ध० वि०)

नारद--ऋषि--(स० ह०, चं०, स० प्र०)

नारायण--त्रैलोक्य के स्वामी--(स० ह०)

नारायणदास--चेला--(अं० न०)

निपुणक--भेदिया--(मु० रा०)

नीलदेवी--सूर्यदेव की रानी--(नी० दे०)

पर्वतक--मलयकेतु का पिता--(मु० रा०)

पार्वती--महादेव की पत्नी--(स० ह०)

प्रियंवदक--सेवक--(मु० रा०)

पीकदान अली--(नी० दे०)

पुरुषदत्त--सेवक--(मु० रा०)

पुष्करनयन, पुष्कराक्ष--काश्मीर का राजा--(मु० रा०) प्रवीरक--(मु०रा०)

बालमुकुंद--वैष्णव--(प्रे० यो०)

बुभुक्षित, दीक्षित--(प्रे० यो०)

भद्रमेट--सेवक--(मु० रा०)

भागुरायण--चाणक्य का भेदिया--(मु० रा०)

भामा--सखी--(चं०)

भारत दुर्दैव--(भा० दु०)

भारतभाग्य--(भा० दु०)

भासुरक--सेवक--(मु० रा०)

भैरव--महादेव के गण--(स०ह०)

मथुरादास--(प्रे० यो०)

मदिरा--(भा० दु०)

मधुकरी--सखी--(स०प्र०)

मलजी--वैष्णव--(प्रे० यो०)

मलयकेतु--पर्वतेश्वर का पुत्र--(मु० रा०)

महादेव--देवता--(स०ह०)

माखनदास--(प्रे० यो०)

माधव शास्त्री--(प्रे० यो०)

माधवी--सखी--(चं०)

माधुरी--सखी--(चं०) मेघाक्ष--पारस का राजा--(मु० रा०)

यमराज--देवता--(स०प्र०)

राक्षस--नंदवंश का मंत्री--(मु० रा०)

राजसेन--सेवक--(मु० रा०)

रामचंद्र--रईस--(प्रे० यो०)

रामभट्ट--(प्रे० यो०)

रोग--(भा० दु०)

रोहिताश्व--राजा हरिश्चंद्र का पुत्र--(स०ह०)

ललिता--सखी--(चं०)

लवंगी--सखी--(चं०)

वनदेवी--सखी--(चं०)

वनितादास--वैष्णव--(प्रे० यो०)

वर्षा--सखी--(चं०)

वल्लभा--सखी--(चं०)

वसंत--सूर्यदेव का पागल बना नौकर--(नी० दे०)

विजयपाल--किलेदार--(मु० रा०)

विजयवर्मा--सेवक--(मु० रा०)

विद्याधर--(ध० वि०)

विराट--मत्स्य देश का राजा--(ध० वि०)

विराधगुप्त--गुप्तचर--(मु० रा०) विलासिनी--सखी--(चं०)

विशाखा--सखी--(चं०)

विष्णुगुप्त--चाणक्य का एक नाम--(मु० रा०)

विष्णुशर्मा--राजपंडित--(नो० दे०)

विश्वामित्र--ऋषि--(स० ह०)

वैहीनर--सेवक--(मु० रा०)

शकटदास--राक्षस का मित्र--(मु० रा०)

शारंगरव--चाणक्य का शिष्य--(मु० रा०)

शिखरसेन--मलयकेतु का सेनापति--(मु० रा०)

शुकदेव--मुनि--(चं०)

शैव्या--अयोध्या की रानी--(स० ह०)

शोणोत्तरा--परिचारिका--(मु० रा०)

श्यामला--सखी--(चं०)

संध्या--सखी--(चं०)

सत्यवान--द्मत्सेन का पुत्र--(स० प्र०)

सत्यानाश--फौजदार--(भा० दु०)

सावित्री--राजा अश्वपति की कन्या--(स०प्र०)

सिंधुसेन--सिंध का राजा--(मु० रा०)

सिंहनाद--मलयदेश का राजा--(मु० रा०)

सिद्धार्थक--चाणक्य का गुप्तचर--(मु० रा०) सुधाकर--पंडित--(प्रे० यो०)

सुरबाला--सखी--(स०प्र०)

सूरजदेव--पंजाब का राजा--(नी० दे०)

सोमदेव--सूरजदेव का पुत्र--(नी० दे०)

स्तनकलश--वैतालिक--(मु० रा०)

हरजनवाँँ--धर्म के साथी 'सत्य' का दूसरा नाम--(स० ह०)

हरिश्चंद्र--अयोध्या का राजा--(स० ह०)

हिंगुराज--सेवक--(मु० रा०)