तिलिस्माती मुँदरी  (1927) 
द्वारा श्रीधर पाठक

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अध्याय ४

सुबह को माहीगीर राजा की लड़की को झोपड़ी में बन्द छोड़ मछली पकड़ने चला गया और कौए महल की तरफ़ को यह देखने कि वहां क्या हो रहा है, उड़ दिये। वहां उन्होंने देखा कि बड़ी दौड़ धूप मच रही है। राजा की लड़की के मरने की खबर फैल गई है, बड़ा मातम हो रहा है और लाश को नदी में प्रवाह देने के लिये तैयारियां हो रही हैं। [ २२ ]
वह वहां से उड़ कर फिर झोंपड़ी पर आये और तोता लड़की से कहने लगा “ऐ मेरी प्यारी, अब तू यहां बेखटके रह सकती है जब तक कि हमको कोई मौक़ा तेरे नाना के पास भाग चलने का न मिले, क्योंकि रानी ने यही समझा है कि तू पानी में डूब गई, और माहीगीर का हम पूरा ऐतिबार कर सकते हैं"। जब कि तोता यह कह रहा था माहीगीर मय एक टोकरी मछलियों के आ पहुंचा। उनमें से उसने अच्छी २ राजा की लड़की के लिये छांट ली और बाकी लेकर शहर में बेचने को चला गया। मछलियों के बेचने से जो दाम उसे मिले उनसे उसने खाने की दूसरी चीजें खरीदी और राजा की लड़की के वास्ते सादा लिबास बनाने के लिये कुछ कपड़ा मोल लिया।

पहली रानी ने लड़की को सीना पिरोना सिखा दिया था, इससे उसने थोड़े ही अर्से में एक साफ़ पोशाक अपने लिए तैयार कर ली जैसी कि ग़रीबों के बालक पहना करते हैं, क्योंकि बुड्ढे माहीगीर और तोते ने सोचा कि ग़रीबी लिबास में वह ज़ियादा बचाव से रहेगी। उन्होंने उससे यह भी कह दिया कि तू घर के भीतर ही रह जिससे कोई तुझे देख और पहचान न सके। लेकिन माहीगीर के झोपड़े के पिछवाड़े एक छोटा सा बाग़चा था जिसमें उसे जाने की इजाज़त थी। वह अपना वक्त घर का काम काज करने, जालों की मरम्मत करने (जो कि उसे माहीगीर ने सिखा दिया था) और चिड़ियों के साथ खेलने में बिताने लगी। हर रोज़ माहीगीर मछली पकड़ने जाता था और जो दाम उसे उनके बेचने से मिलता था उससे घर के लिए ज़रूरत की चीजे मोल ले आता था। यों हर बात में उनका गुज़र कुछ दिनों तक अच्छी तरह चला। लेकिन जब उमदा मछलियों का
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मौसिम गुज़र गया और उसे अपने पेशे में कम कामयाबी होने लगी तो ख़र्च की तकलीफ़ पेश आई। फलों का मौसिम भी ख़तम हो गया था, इससे कौए कोई फल नहीं ला सकते थे। एक रोज़ माहीगीर को एक भी मछली न मिली और घर यों ही लौट आया। उस वक्त घर में सिर्फ़ एक मोटी रोटी का टुकड़ा था। राजा की लड़की और वह उसे खाने को बैठने जाते थे कि दोनों कौए खिड़की की राह उनके पास आ पहुंचे। हर एक की चोंच में एक एक अशर्फी थी जो कि उन्होंने ज़मीन पर रख दी, और फिर राजा की लड़की से उनके पाने का हाल कहने लगे कि “हम दोनों महल के बाग़ में सब तरफ़ चक्कर लगाते फिरे कि कहीं कोई फल बचा हुआ हो तो ले चले और जब थक गये तो सुस्ताने के लिए एक पुरानी चिमनी की चोटी पर जा बैठे। चिमनी की नली चौड़ी और कम नीची थी। उसमें जो झांका तोतले कोई चीज़ चमकती सी नज़र आई। हममें से एक नीचे उतर गया। देखा कि वहां सरकारी खज़ाना है और रुपयों अशर्फीयां और जवाहिरात के चारों तरफ़ गंज लगे हुए हैं। उसने वहां दूसरे को भी बुला लिया और दोनों अपनी चोंच में एक एक अशर्फ़ी लेकर ऊपर उड़ आये और वहां से सीधे यहां आये। बुड्ढा सोने को देख कर बहुत खुश हुआ और कहनेलगा कि यह ज़र असल में राजा की लड़की ही का है क्योंकि अगर राजा को मालूम होता कि मेरी लड़की को ख़र्च की ज़रूरत है तो वह इसका हज़ार गुना ख़ुशी से भेज देता। पस वह अशर्फीयां लेकर फ़ौरन बाहर गया और खाने का सामान और जिन चीज़ों की ज़रूरत थी ख़रीद लाया। जब तक ख़र्च उनके पास रहता वह बड़े आराम से रहते और जब चुक जाता कौए राजा के ख़ज़ाने से और ले आते। [ २४ ]
एक दिन राजा की लड़की फुलवाड़ी में अकेली खेल रही थी, उसने ऊपर को जो निगाह की तो देखा कि एक कंजरी बागीचे की नीची दीवार पर झांक रही है। जैसे ही उस औरत को मालूम हुआ कि मुझे लड़की ने देख लिया है उसने सिर झुका कर सलाम किया और बड़े अदब और आजिज़ी से अपना हाथ लड़की की तरफ़ चूमने लगी-फिर उसने यों अर्ज़ की कि “ऐ प्यारी बेटी, मुझे थोड़ा सा कुछ खाने को दे, मैं भूख के मारे मरी जाती हूं"-लड़की फ़ौरन घर के भीतर दौड़ गई और एक टुकड़ा रोटी का लाकर उसे दीवार के पास से देने लगी कि कंजरी ने झट एक कपड़ा उसके सिर पर डाल दिया और उसके चेहरे के चारों तरफ लपेट कर कि वह देख या बोल न सके उसकी बांड पकड़ कर दीवार के ऊपर होकर खींच लिया। फिर उसे लबादे में लपेट कर गठरी की तरह अपनी पीठ पर डाल लिया और कह दिया कि अगर तू शोर करेगी तो तेरा गला काट डालूंगी। लड़की को इस हालत में वह औरत बहुत दूर ले गई और लड़की बेचारी का लबादे के अन्दर दम घुटने लगा। अख़ीर को जब उसे उतारा और लबादे खोल डाला उसने अपने तई एक जंगल में पाया जहां कि कंजरों का एक बड़ा कुनबा पड़ा हुआ था। वह लोग ज़मीन पर लकड़ियों से आग जला रहे थे। दो तीन छोटे से ख़ेमे गड़े हुए थे और कई एक गधे पास ही चर रहे थे। जो औरत राजा की लड़की को वहां ले गई थी उससे बोली कि "तू रो मत, तुझको कोई तकलीफ़ न दी जायगी। तुझे किसी बड़े शहर में ले जायंगे और वहां किसी अमीर के हाथ बेच देंगे जिसके यहां तू ज़िंदगी भर सुख और चैन से रहेगी। लेकिन अगर तू यहां से भागने की कोशिश करेगी या अपनी मदद
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के लिये किसी को पुकारेगी तो मार डाली जोयगी। जब वह बुढ़िया लड़की से यों कह चुकी कंजरों ने अपने देरे उखाड़ डाले और गधों पर सब असबाब लाद कर फ़ौरन वहां से चल दिये। राजा की लड़की को उन्होंने एक गधे की पीठ पर कि जिस पर उनका बिस्तर लदा हुआ था बैठा दिया। उस पर वह बड़े आराम से बैंठी चली गई, पर बहुत डरी हुई और रंजीदा थी।

वह चारों ओर निगाह करती जाती थी कि उसके कौए कहीं दिखाई दे पर वे कहीं नज़र नहीं आये। उसे यह भी डर था कि कंजर कहीं उसकी अंगूठी न चुरा लें, इस लिए उसने मौका पाकर उसे अपने सिर के बालों की तह में छिपा लिया। वह लोग सूरज छिपने के कुछ देर बाद तक चलते रहे और फिर एक अलहदा जंगल में ठहर गये, जहां कि उन्होंने आग जलाई और देरे गाड़ दिये। वहां उन्होंने खूब अच्छी तरह ब्यालू की और राजा की लड़की ने भी की और फिर वह एक तम्बू में सो रही।

राजा की लड़की बड़े सवेरे ही जाग गई और जब देखा कि कंजरी और उसके बालक जो उसके देरे में सोये थे अभी नहीं उठे हैं और देरे का दरवाज़ा भी खुला है तो आहिस्ता पैर रखती हुई बाहर निकल आई और चाहा को भाग जाऊं पर एक बड़े कुत्ते के गुर्राने की आवाज़ ने जो कि देरे के दरवाजे से कुछ दूर पर बैठा हुआ था उसे आगे बढ़ने से रोक दिया। उसने देखा कि अगर मैं भागने की कोशिश करूँगी तो कुत्ता मेरी तरफ़ ज़रूर दौड़ेगा या भूकं कर सब कंजरों को जगा देगा, इस लिए वह चुपकी उसी जगह खड़ी रही और कुत्ता भी चुपका बैठा रहा, सिर्फ़ उस पर अपनी
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निगाह जमाये रहा। उस वक्त एक जंगली कबूतर की आवाज़ उसके कान में पड़ी। यह आवाज़ उसी पेड़ पर से कि जिसके नीचे वह खड़ी हुई थी आ रही थी उसने ऊपर जो निगाह की तो उस चिड़िया को ठीक अपने सिर के ऊपर एक शाख पर बैठा देखा और फ़ौरन अंगूठी अपने जूड़े में से निकाल कर उसकी तरफ़ दिखलाई और उतर आने का इशारा किया। उसका हुक्म पाते ही कबूतर तुरन्त उसकी बांह पर आ बैठा। उससे आहिस्ता से ताकि कंजर न सुन ले लड़की ने कहा कि “तू बुडढे माहीगीर के घर जाकर तोते और कौओं से मेरा सब हाल कह दे" और अपने सिर में से एक लट बालों की काट कर अपनी निशानी दे दी कि जिससे माहीगीर समझ जाय कि यह मुखबिर सचमुच राजा को लड़की ही ने भेजा है। कबूतर उसी दम उड़ दिया और लड़की ख़ेमे में जाकर फिर लेट रही और अंगूठी को बड़ी खबरदारी के साथ सिर के बालों के अन्दर छिपा लिया। धीरे धीरे कंजर उठे और खाना बनाया; बाद उसके सब चीज़ों को लाद कर फिर कूच शुरू किया। राजा की लड़की कभी कभी कंजरों के बालकों के साथ पैदल चलती थी और जब थक जाती थी गधे पर सवार हो लेती थी। जो कंजरी उसे चुरा लाई थी उससे अक्सर बातें करती चलती थी और कहती थी कि “अगर किसी बड़े शाहज़ादे ने लाहौर में जहां को कि हम चल रहे हैं तुझे ख़रीद लिया तो तू उसके यहां कितने आराम से रहेगी"। यों वह दिन भर चले, सिर्फ़ खाने और सुस्ताने के लिये, जब कि धूप निहायत तेज़ हो, कहीं पेड़ों की छांह में ठहर लें। सूरज छिपने के थोड़ी देर पहले वह एक जंगल में पहुंचे जहां कि एक पानी का झरना था-उन्होंने इस जगह गधों से असबाब उतार कर रख दिया और रात को बसने का सामान किया। राजा की
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लड़की को यहां पर इधर उधर अकेली घूमने की इजाज़त दे दी गई, पर जो कुत्ता कि सवेरे उसके पहरे पर था इशारे से सिखा दिया गया था कि लड़की के साथ रहे। वह अच्छी तरह समझता था कि मेरा यह काम है कि लड़की भाग न जावे, क्योंकि जभी वह जल्दी जल्दी चलने लगती या बहुत दूर चली जाती वह गुर्राने लगता था।

अख़ीर को वह जंगल की हद के पास एक पेड़ के नीचे बैठ गई और वहां बैठी हुई जिस तरफ़ से आई थी उस तरफ़ को देख रही थी कि उसे ऐसा मालूम हुआ कि एक अजीब सूरत की चिड़िया उसकी तरफ़ उड़ती हुई आ रही है। ज्योंही वह नज़दीक आई उसने देखा कि वह एक चिड़िया नहीं है, बल्कि तीन चिड़ियों का झुंड है और जब वह और भी पास आ गई तो मालूम हुआ कि उसका प्यारा बुड्ढा तोता और दोनों कौए हैं। कौए एक लकड़ी के दोनों सिरों को अपने पंजों से पकड़े हुए थे और तोता उसे बीच में अपनो चोंच में थामे हुए था, यों कुछ उस लकड़ी के सहारे और कुछ अपने परों की मदद से वह बुड्ढा पखेरू अच्छी तरह उड़ा चला आ रहा था। ज्योंही ये चिड़ियां लड़की के इतनी पास आ गई कि उसकी आवाज़ सुन सके वह उन्हें पुकारने लगी और जब तोते ने उसका बोल सुना लकड़ी को छोड़ दिया और लड़की की तरफ ज़ोर से उड़ा और उसके कंधे पर बैठ गया और बार बार बोसा लेने लगा-कौओं ने भी लकड़ी गिरा दी और नीचे आकर एक झाड़ी पर जा बैठे जहां कि कुत्ता न पहुंच सके और राजा की लड़की से फिर मिलने की खुशी जाहिर की। उन्होंने सब कह सुनाया कि किस तरह जंगल के कबूतर ने माहीगीर के घर पर जाकर लड़की का संदेशा दिया और फिर किस तरह वह फ़ौरन वहां से उड़ कर रास्ते में जो
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चिड़ियां मिलीं उनसे पूछते हुए कि कहीं राजा की लड़की को तो नहीं देखा बग़ैर बहुत दिक्कत के उसके पास आ पहुंचे। और कहा कि जब हम चलने लगे बुड्ढा माहीगीर समझ गया कि लड़की की तलाश में जाते हैं और बालों की लट जो तूने भेजी थी उसने ले ली और उससे समझा कि तू जीती है और हिफ़ाज़त से है।

जब वह इस तरह प्यार के साथ अपनी चिड़ियों से बातें। कर रही थी, उसने देखा कि कंजरों के दो बालक जो कि उससे उम्र में कुछ बड़े थे और चुपके से उसके पीछे पीछे पाकर झाड़ियों की आड़ में छिप रहे थे यकायक झपट कर निकल आये और उन्होंने झट तोते को पकड़ लिया और उसे लेकर अपने देरों की तरफ़ दौड़ चले और चिल्लाते जांय कि एक तोता पकड़ा है। राजा की लड़की उनके पीछे पीछे रोती हुई और तोते को मांगती हुई दौड़ी पर उन्होंने कुछ ध्यान न दिया। लेकिन जैसे ही वह देरों के पास पहुंचे और कंजर लोग देखने को दौड़े कि क्या बात है तोते ने उनकी उंगलियों को अपनी चोंच से काटना शुरू किया, यहां तक कि उन्हों ने उसे छोड़ दिया और वह उड़ कर एक पेड़ पर जहां कि वह पहुंच न सकें जा बैठा। कंजरी ने पूछा क्या है? राजा की लड़की ने कहा कि "वह तोता मेरा है और मेरा पता लगाता हुआ मेरे पास आया है-इन लड़कों ने वह मुझसे छीन लिया है," और इतना कह कर खूब रोने लगी-और कहा कि “सिर्फ़ यह तोता ही मेरा दुनियां में एक दोस्त है" और मिन्नत की कि वह उसे मिल जाय। इस पर बढ़िया बोली-"अच्छा, अगर तू अच्छी तरह रहेगी और रंज न करेगी कि जिस्से उमदा और मोटी ताज़ी मालूम पड़े जब कि हम तुझे लाहौर में बेचने के लिये ले जायं तो तेरा तोता तुझको मिल जायगा"-
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फिर उसने उन बालकों से कह दिया कि वह तोते से न बोलें तब तोता पेड़ से उतर आया और लड़की के साथ रहने लगा। दोनों कौए हमेशा क़रीब ही कहीं बने रहते थे कि ज़रूरत पड़ने पर काम आवें।

उस रात को सोने के पेश्तर वह कंजरी जंगल में से कुछ पत्ते तोड़ लाई और उन्हें एक बरतन में उबाल डाला और उनके अर्क़ से राजा को लड़की का चिहरा और बाहे और टांगे धो दी जिससे कि उसका रंग ठीक कंजरों का सा गंदुसी यानी गेहुआं हो गया और कहने लगी-"बस मेरी प्यारी, अब तू कंजरी समझी जायगी-अगर लोग तेरा खूबसूरत गोरा चिहरा देखते तो वह शायद ख़याल करते कि तू हम में से नहीं है और हमें तुझको अपने साथ न रखने देते"-जब राजा को लड़की बिस्तर पर गई तोता उसके पास सोया और सोने के पेश्तर उसने उसे दिलासा दी और समझाया कि कंजरों से उसे डरना न चाहिये क्योंकि वह जरूर उसके साथ ख़ातिर से पेश आवेंगे ताकि वह बिकने के वक्त अच्छी मालूम हो और उन्हें उसकी अच्छी क़ीमत मिले।

और ऐसा ही हुआ। कंजर उससे बड़ी मिहर्बानी से पेश आये और उसे बड़ी ख़ातिर से रक्खा। वह कई रोज़ तक सफर करते रहे- रात को अपना देरा किसी अलहदा जगह में कर लिया करें कि जहां आम लोगों का आना जाना बहुत न होता हो। राजा की लड़की अक्सर दोनों कौओं को ऊपर उड़ते देखती थी पर कुछ ध्यान नहीं देती थी, क्येंकि डर था कि कंजर लोग ताड़ न जायं। एक दिन दोपहर के बाद जब कि वह सब छांह में सो रहे थे राजा की लड़की को तोते ने कान में अपनी चोंच से नोच कर जगा दिया। जैसे ही उसने आंखे खोली देखा कि दोनों कौए पास ही झाड़ी में
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ज़ोर से कांव कांव कर गुल मचा रहे हैं कि “शेर शेर, जागो जागो!" तोते ने कहा-"कंजरों को जगा दे, नहीं तो शेर अभी हम सब के ऊपर आ जायगा"। राजा की लड़की झट उठ खड़ी हुई और जितने ज़ोर से उससे हो सका चिल्लाने लगी-"शेर शेर, जागो जागो!" और कंजर जल्द जाग गये।

इस वक्त राजा की लड़की ने शेर की आंखों को एक झाड़ी के नीचे से चमकते हुए देखा, मगर जैसे ही वह उसके ऊपर झपटने को हुआ, एक कंजर ने एक झूठा सूखे सरकंडों का चूल्हे से जला कर शेर के मुंह पर फेंक दिया जिससे कि वह ऐसा डर गया कि बड़ी आवाज़ से गरजता हुआ उलटा भाग गया और मैदान में कुलांच मारता हुआ थोड़ी ही देर में नज़रों से गायब हो गया।

दूसरे दिन उन्होंने उस बन को छोड़ एक बयाबान में पैर रक्खा और उसी रास्ते दिन भर चले। वहां कोई जानवर या पेड़ न मिला, क्योंकि वह बड़ा भारी रेत का मैदान था जिसे रेगिस्तान कहते हैं और जाबजा ऊंट और घोड़ों की और एक मुक़ामा पर आदमी की ठटरियां रेत में आधी गड़ी हुई देखने में आई! वह जहां तक उनसे हो सका तेज़ी से चले क्योंकि जानते थे कि करीब से करीब कुआ भी उनसे बहुत दूर है और उस पर न पहुँचे तो ज़रूर प्यास से मर जायंगे। उन्हें पहले ही बहुत प्यास लगी हुई थी और बेचारे गधे भी मारे प्यास के घबरा रहे थे कि एक ताड़ के पेड़ों का झुंड दूर नज़र आया और बुढ़िया कंजरी ने राजा की बेटी से कहा कि खुश होवे क्योंकि कुआ उन्हीं पेड़ों के नीचे है। गधे भी समझ गये मालूम होते थे कि कुआ पास है, क्योंकि उन्हों ने अपने कान ऊंचे कर लिये और रेंकने और तेज़ कदम चलने लगे। लेकिन वहां तक पहुँचने में देर लगी और पहुँचने
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तक सब इतने थक गये कि बड़ी मुशकिल से कुआ पकड़ा। जो कंजर सब ने पहले कुए पर पहुंचा उसने भीतर झांख के देखा तो उसमें ज़रा भी पानी नज़र न आया। कूआ सूखा था! अब ये लोग निहायत ना-उम्मेद हुए, क्योंकि जानते थे कि कई कोसों तक उसके बाद कोई कुआ नहीं है। प्यास के मारे जान निकली जाती थी और एक कदम चल नहीं सकते थे। तोते को इस वक्त बहुत फ़िक्र और अंदेशा हुआ, लेकिन उसने देखा कि दोनों कौए एक ताड़ के पेड़ पर बैठे हुए हैं, वह उनके पास उड़ गया और उनसे बोला कि "तुम चारों तरफ़ उड़ कर देखो कि कहीं पानी का ठिकाना है या नहीं, नहीं तो राजा की लड़की ज़रूर प्यास से मर जावेगी"। कौए सब तरफ़ देख आये पर पानी कहीं नज़र न पड़ा, लेकिन उन्होंने कहा कि "एक जगह पर जो यहां से दूर नहीं है कई तरबूज़ पड़े हुए हमने देखे हैं"। तोते ने राजा की लड़की से जो एक पेड़ के नीचे अकेली लेटी हुई थी कहा कि उठ के कौओं के पीछे पीछे जावे। कौए उसे जहां तरबूज थे वहां ले गये। कंजर उस वक्त निहायत थक गये थे और अपनी मुसीबत में ऐसे मर रहे थे कि किसी ने ध्यान न दिया कि लड़की कहां जाती है और न किसी ने उसे जाने से रोका। वह बड़ी मुशकिलों से उस गरम रेत में पैदल तरबूजों तक पहुंची, और पहुंचते ही पहला ही तरबूज़ जो उसके हाथ लगा फाड़ डाला और उसका ठंडा और मीठा रस पीकर प्यास बुझाई और कुछ अपनी तीनों चिड़ियाओं को भी पिलाया। बाद इसके जब उसे ताज़गी और ताक़त आ गई, दो तरबूज़ और तोड़े और उन्हें लेकर फुर्ती के साथ कुए पर लौट आई। बुढ़िया कंजरी तरबूज़ों की सूरत देख कर ऐसी खुश हुई कि राजा की लड़की को उसने ज़ोर से छाती से
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लगा लिया और मारे बोसों के हैरान कर दिया-वह दोनों तरबूज़ कंजरों के बालकों को बांट दिये गये, फिर राजा की लड़की ने उन सब को तरबूज़ों का रास्ता बता दिया और सभी ने खूब ही उन फलों की दावत उड़ाई, यहां तक कि उस जगह ज़मीन पर सब तरफ़ तरबूज़ों के टुकड़े पड़े नज़र आते थे। बेचारे कुत्ते बहुत प्यासे मरे थे, जब उनको तरबूज़ दिये गये और वह उनके पानी को जीभ से चाटने लगे तो एक अजब कैफ़ियत मालूम होती थी। देरा तरबूजों के पास ही डाला गया और दूसरे रोज़ सुबह को, बाद तरबूज़ों को दूसरी ज़ियाफ़त के, वहां से कूच हुआ और गधों पर जितने आ सके तरबूज़ लाद लिये गये, क्योंकि डर था कि शायद दूसरे पड़ाव का कुआ भी सूखा निकले, लेकिन वह सूखा न था। वह लोग बाकी रेगिस्तान को बग़ैर किसी मुसीबत के तै कर गये। अब वह कंजर राजा की लड़की पर दुचंद मिहर्ब्बन थे, क्योंकि उसने उनकी जान बचाई थी; और कंजरी ने उस से कहा कि “मैं तो तुझे छोड़ दूं लेकिन मेरा खाविंद मना करता है, मगर तू अंदेशा मत कर, मैं ऐसा करूंगी कि तू सिर्फ़ किसी नेक बीबी के हाथ बेची जायगी जो तेरी खूब परवरिश करेगी और तुझे खुश रक्खेगी"।

थोड़े दिनों बाद यह लोग लाहौर के क़रीब आन पहुंचे और उन्हें उस शहर की मीनारें और बुर्ज और आलीशान मकान दिखाई देने लगे। शहर के दरवाजे से कुछ हट कर दरखों के नीचे इन्होंने अपना डेरा किया। कंजरी ने एक सफ़ेद बुकनी अपने सन्दूक में से निकाल कर थोड़े पानी में मिला लड़की को उससे नहला दिया तो लड़की फिर वैसी ही गोरी हो गई जैसी कि बूटी का रंग लगने से पहले थी।