गल्प समुच्चय/३-पं० चतुरसेन शास्त्री

गल्प समुच्चय
प्रेमचंद, संपादक श्रीप्रेमचन्द जी
पं॰ चतुरसेन शास्त्री

काशी: सरस्वती-प्रेस, बनारस सिटी, पृष्ठ ८४

 
३-पं० चतुरसेन शास्त्री

आप देहली के निवासी हैं। आपकी रचनायें अधिकतर गद्यकाव्य-मयी होती हैं, माधुर्य में डूबी हुई। मनोभावों का विश्लेषण करने में आप सिद्ध-हस्त हैं। आपकी भाषा बहुत परिमार्जित और भाव श्रृङ्गार-मय होते हैं। 'अन्तस्तल' आपका एक गद्य-काव्य है। "हृदय की प्यास" नाम का रोचक उपन्यास भी आपने लिखा है।