अणिमा/४४. चूँकि यहाँ दाना है

लखनऊ: चौधरी राजेन्द्रशंकर, युग-मन्दिर, उन्नाव, पृष्ठ १०३

 
 

चूँकि यहाँ दाना है
इसीलिए दीन है, दीवाना है।
लोग हैं, महफ़िल है,
नग़्मे हैं, साज़ है, दिलदार है और दिल है,
शम्मा है, परवाना है,
चूँकि यहाँ दाना है।
आँख है, लगा हुई;
जान है, जीवट भी है भगी हुई,
दोनों आँखोंवाला है, काना है,
चूँकि यहाँ दाना है।
अम्मा है, बप्पा है,
झापड़ है और गोलगप्पा है,
नौजवान मामा है और बुड्ढा नाना है,
चू कि यहाँ दाना है।

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