अणिमा/१०. मैं बैठा था पथ पर

अणिमा
सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला'
मैं बैठा था पथ पर

लखनऊ: चौधरी राजेन्द्रशंकर, युग-मन्दिर, उन्नाव, पृष्ठ १९

 
 

मैं बैठा था पथ पर,
तुम आये चढ़ रथ पर।

हँसे किरण फूट पड़ी,
टूटी जुड़ गई कड़ी,
भूल गये पहर-घड़ी,
आई इति अथ पर

उतरे, बढ़ गही बाँह,
पहले की पड़ी छाँह,
शीतल हो गई देह,
बीती अविकथ पर