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क्षत्रपोंके इतिहासकी सामग्री क्षपांक तिहास लिखने में इनके कपल एक दर्जन लेखों तथा कई हजार सिक्कोंसे ही सहायता मिल सकती है। क्योंकि इनका प्राचीन लिखित विशेष वृत्तान्त अभी तक नहीं मिला है।

भूमक। [N० स० ४१ (ई. स. ११९ वि. स. १७३) के पूर्व ] शक संवत् ४१ (ईसी सन् ११९-विक्रमी संवत् १७ के पूर्व क्षहरत-वंशका सबसे पहला नाम भूमक ही मिला है। परन्तु इसके समयो लेख आरिकोंफे अब तक न मिलने के कारण यह गाम भी केवल सिकों पर ही लिखा मिलता है।
क्षबप-वंश । रमाके तॉयफ सि पर ६ चश्मा चैत्य मिला है। परन्तु उसके नीचे सपकार रेखा नहीं होती है। | क्षत्रपके इतिहास सामुग्री । क्षेत्रपाको इतिहास लिसनेमें इनके केवल एक दर्जन लेख तथा कई हजार सिकेसे ही सहायता मिल सकती है। क्योंकि इनका प्राचीन लिखित विशेष वृत्तान्त अभी तक नहीं मिला है।
उक्त भूमकके अब तक तविक बहुत ही थोडे सिक्के मिले हैं। इन पर किसी प्रकारका संवत् नहीं लिखा होता। केवल सीधी तरफ खरोष्ठी अक्षरों में " छहरदस छनपस भुमकर " और उलटी सरफ बाली अक्षरों में "क्षहरातत क्षनपस भूमकस " लिसा होता है।
भूमक। [१० स० ४१ ( ३० से ११९=वि० स० १७६ } * पूर्व ] शक संवत् ४१ ( ईस सन् ११९=विक्रम संवत् १\के पूर्व हरत-घंशका सबसे पहला नाम भूमक ही मिला है । परन्तु इस समयके लेस आईकॉकै अत्र न मिलने झारण यह नाम भी केवल सिङ्गों पर ही लिखा मिलता है ।।
हम प्रस्तावना पहले लिख चुके हैं कि इसके सिक्कों पर एक तरफ अधोमूल वाण और वनके तथा दूसरी तरफ सिद्ध और चक्र आदिक चिह्न बने होते हैं। सम्भवतः इनका सिंहका चिह्न ईरानियोंसे और चक्रका चिह्न बीन्द्रोसे लिया गया होगा।
उक्त भूमककै अव तक तबके बहुत ही थोड़े से मिले हैं। इन पर किस प्रकारका संवत् नही लिंसा होता 1 केवल धि तरफ सरोध अक्षरों में हुरदस उपस भुमर " और उलटी हरफ जान अझ * अहतित्व क्षमपस मुमकस हिंसा होता हैं।
यद्यपि इसके समयका कोई लेख अब तक नहीं मिला है तथापि इसके उत्तराधिकारी नहपान के समयके लेखसे अनुमान होता है कि भूमकका राज्य शाक-संवत् ४१ के पूर्व था।
प्रस्तावना पहले लिख चुके हैं कि इसके सिक्कों पर एक तरफ अधीमूल बाण और वाके तथा दूसरी तरफ सिद् चक्र आदि चिंद्र बने होते हैं । सम्भवतः इनॉय सिहका चिन्न निग्रोसे और चर्कका चिह चन्द्र से लिया गया होगा ।
ययन सके समयका कोई ले अन्न सुरू नहीं मिला है तथापि इसके उत्तराधिकारी नहपान समय लेणसे अनुमान होता है कि भूमका राज्य शकसंवत् ५१ के पूर्व था।