"विकिस्रोत:आज का पाठ/१५ अगस्त": अवतरणों में अंतर
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१८:५८, १४ अगस्त २०२० का अवतरण
दुनिया का सबसे अनमोल रतन प्रेमचंद द्वारा रचित कहानी है, जो अमृतराय द्वारा संपादित और १९६२ ई॰ में इलाहाबाद के हंस प्रकाशन द्वारा प्रकाशित कहानी-संग्रह "गुप्त धन 1" में संग्रहित है।
"जवाँमर्द की आवाज़ मद्धिम हो गयी, अंग ढीले पड़ गये, ख़ून इतना ज्यादा बहा कि खुद ब खुद बन्द हो गया, रह-रहकर एकाध बूँद टपक पड़ता था। आखिरकार सारा शरीर बेदम हो गया, दिल की हरकत बन्द हो गयी और आँखें मुंद गयीं। दिलफ़िगार ने समझा अब काम तमाम हो गया कि मरनेवाले ने धीमे से कहा––भारतमाता की जय। और उसके सीने से ख़ून का आखिरी कतरा निकल पड़ा। एक सच्चे देशप्रेमी और देशभक्त ने देशभक्ति का हक़ अदा कर दिया। दिलफ़िगार पर इस दृश्य का बहुत गहरा असर पड़ा और उसके दिल ने कहा, बेशक दुनिया में ख़ून के इस क़तरे से ज्यादा अनमोल चीज़ कोई नहीं हो सकती।"..."(पूरा पढ़ें)