विकिस्रोत:सप्ताह की पुस्तक/३६
नीलदेवी भारतेन्दु हरिश्चंद्र द्वारा १८८१ ई में लिखा गया गीतिरूपक है जो १९३५ ई. में इलाहाबाद के रामनारायण लाल द्वारा प्रकाशित भारतेंदु-नाटकावली में संकलित है।
पहला दृश्य
स्थान––हिमगिरि का शिखर
(तीन अप्सरा गान करती हुई दिखाई देती हैं)
अप्सरागण––(झिंझौटी जल्द तिताला)
धन धन भारत की छत्रानी।
वीरकन्यका वीरप्रसविनी वीरवधू जग-जानी॥
सतीसिरोमनि धरमधुरंधर बुधि-बल धीरज-खानी।
इनके जस की तिहूँ लोक में अमल धुजा फहरानी॥
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