विकिस्रोत:आज का पाठ/९ नवम्बर
गिरिधरदास रामचंद्र शुक्ल द्वारा रचित हिन्दी साहित्य का इतिहास का एक अंश है जिसके दूसरे संस्करण का प्रकाशन काशी के नागरी प्रचारिणी सभा द्वारा १९४१ ई॰ में किया गया।
"'गिरिधरदास’, ‘गिरिधर, गिरिधारन' रखते थे । भारतेंदु ने इनके संबंध में लिखा है कि जिन श्री गिरिधरदास कवि रचे ग्रंथ चालीस’। इनका जन्म पौष कृष्ण १५ संवत् १८६० को हुआ। इनके पिता काले हर्षचंद, जो काशी के एक बड़े प्रतिष्ठित रईस थे, इन्हैं ग्यारह वर्ष के छोड़ कर ही परलोक सिधारे। इन्होंने अपने निज के परिश्रम से संस्कृत और हिंदी में चुडी, स्थिर योग्यता प्राप्त की और पुस्तकों का एक बहुत बड़ा अनमोल संग्रह किया। पुस्तकालय का नाम उन्होंने सरस्वती भवन रखा..."(पूरा पढ़ें)