विकिस्रोत:आज का पाठ/९ अप्रैल
दिल की रानी प्रेमचंद द्वारा रचित कहानी-संग्रह मानसरोवर १ का एक अंश है जिसका प्रकाशन अप्रैल १९४७ में बनारस के सरस्वती प्रेस बनारस द्वारा किया गया था।
"जिन वीर तुर्कों के प्रखर प्रताप से ईसाई-दुनिया काँप रही थी, उन्हीं का रक्त आज कुस्तुन्तुनिया की गलियों में बह रहा है। वही कुस्तुन्तुनिया, जो सौ साल पहले तुर्की के आतङ्क से आहत हो रहा था, आज उनके गर्म रक्त से अपना कलेजा ठण्डा कर रहा है। सत्तर हज़ार तुर्क योद्धाओं की लाशें बासफरस की लहरों पर तैर रही हैं और तुर्की सेनापति एक लाख सिपाहियों के साथ तैमूरी तेज के सामने अपनी किस्मत का फैसला सुनने के लिए खड़ा है।..."(पूरा पढ़ें)