विकिस्रोत:आज का पाठ/८ दिसम्बर
आधुनिक काल प्रकरण ३ (उपन्यास) रामचंद्र शुक्ल द्वारा रचित हिन्दी साहित्य का इतिहास का एक अंश है जिसके दूसरे संस्करण का प्रकाशन काशी के नागरी प्रचारिणी सभा द्वारा १९४१ ई॰ में किया गया।
"इस तृतीय उत्थान में हमारा उपन्यास-कहानी साहित्य ही सबसे अधिक समृद्ध हुआ। नूतन विकास लेकर आनेवाले प्रेमचंद जो कर गए वह तो हमारे साहित्य की एक निधि ही है, उनके अतिरिक्त पं॰ विश्वंभरनाथ कौशिक, बाबू प्रतापनारायण श्रीवास्तव, श्रीजैनेंद्रकुमार ऐसे सामाजिक उपन्यासकार तथा बा॰ वृंदावनलाल वर्मा ऐसे ऐतिहासिक उपन्यासकार उपन्यास-भंडार की बहुत सुंदर पूर्ति करते जा रहे हैं। सामाजिक उपन्यासों में देश में चलनेवाले राष्ट्रीय तथा आर्थिक आदोलनों का भी आभास बहुत कुछ रहता है। तअल्लुकेदारों के अत्याचार, भूखे किसानों की दारुण दशा के बड़े चटकीले चित्र उनमें प्रायः पाए जाते हैं।"(पूरा पढ़ें)