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जोधराज रामचंद्र शुक्ल द्वारा रचित हिन्दी साहित्य का इतिहास का एक अंश है जिसके दूसरे संस्करण का प्रकाशन काशी के नागरी प्रचारिणी सभा द्वारा १९४१ ई॰ में किया गया।


"( १४) जोधराज- ये गौड़ ब्राह्मण बालकृष्ण के पुत्र थे । इन्होंने नीबॅगढ़ ( वर्तमान नीमराणा-अलवर) के राजा 'चंद्रभान चौहान के अनुरोध से “हम्मीर रासो' नामक एक बड़ा प्रबंध-काव्य संवत् १८७५ में लिखा जिसमें रणथंभौर के प्रसिद्ध वीर महाराज हम्मीरदेव का चरित्र वीरगाथा-काल की छप्पय पद्धति पर वर्णन किया गया है । हम्मीरदेव सम्राट् पृथ्वीराज के बंशज थे । उन्होंने दिल्ली के सुलतान अलाउद्दीन को कई बार परास्त किया था और अंत में अलाउद्दीन की चढ़ाई में ही वे मारे गए थे। इस दृष्टि से इस काव्य के नायक देश के प्रसिद्ध वीरों में हैं । जोधराज ने चंद आदि प्राचीन कवियो की पुरानी भाषा का भी यत्र तत्र अनुकरण किया है;-जैसे जगह जगह 'हि' विभक्ति के प्राचीन रूप 'ह' का प्रयोग । 'हम्मीररासो' की कविता बडी ओजस्विनी है । ..."(पूरा पढ़ें)