विकिस्रोत:आज का पाठ/३ जून
डामुल का कैदी प्रेमचंद के कहानी-संग्रह मानसरोवर २ का एक अध्याय है जिसका प्रकाशन १९४६ ई॰ में सरस्वती प्रेस "बनारस" द्वारा किया गया था।
"दस बजे रात का समय, एक विशाल भवन में एक सजा हुआ कमरा, बिजली को अँगीठी, बिजली का प्रकाश। बड़ा दिन आ गया है।
सेठ खूबचन्दजी अफसरों को डालियाँ भेजने का सामान कर रहे हैं। मिठाइयों, मेवों, खिलौनों की छोटी छोटी पहाड़ियाँ सामने खड़ी हैं। मुनीमजी अफसरों के नाम बोलते जाते है और सेठजी अपने हाथों यथा-सम्मान डालियाँ लगाते जाते है।..."(पूरा पढ़ें)