विकिस्रोत:आज का पाठ/३१ मार्च
बड़े भाई साहब प्रेमचंद द्वारा रचित कहानी-संग्रह मानसरोवर १ का एक अंश है जिसका प्रकाशन अप्रैल १९४७ में बनारस के सरस्वती प्रेस बनारस द्वारा किया गया था।
"मेरे भाई साहब मुझसे पाँच साल बड़े थे; लेकिन केवल तीन दरजे आगे। उन्होंने भी उसी उम्र में पढ़ना शुरू किया था, जब मैंने शुरू किया, लेकिन तालीम जैसे महत्त्व के मामले में वह जल्दीबाजी से काम लेना पसन्द न करते थे। इस भवन की बुनियाद खूब मजबूत ढालनी चाहते थे, जिस पर आलीशान महल बन सके। एक साल का काम दो साल में करते थे। कभी-कभी तीन साल भी लग जाते थे। बुनियाद ही पुख्ता न हो, तो मकान कैसे पायेदार बने!..."(पूरा पढ़ें)