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सद्गति प्रेमचंद द्वारा रचित कहानी है। इसी शीर्षक के इस पुस्तक के पहले संस्करण का प्रकाशन 'सर्च'--राज्य संसाधन केन्द्र, हरियाणा द्वारा १९०२ ई॰ में किया गया था।


"दुखी चमार द्वार पर झाडू लगा रहा था और उसकी पत्नी झुरिया, घर को गोबर से लीप रही थी। दोनों अपने-अपने काम से फ़ुर्सत पा चुके, तो चमारिन ने कहा - 'तो जाके पंडित बाबा से कह आओ न। ऐसा न हो कहीं चले जायें।' [ ७ ]दुखी - ‘हाँ जाता हूँ, लेकिन यह तो सोच, बैठेंगे किस चीज पर?'
झुरिया - ‘कहीं से खटिया न मिल जायगी? ठकुराने से माँग लाना।'
दुखी - 'तू भी कभी-कभी ऐसी बात कह देती है कि देह जल जाती है। ठकुराने वाले मुझे खटिया देंगे ! आग तक तो घर से निकलती नहीं, खटिया देंगे ! कैथाने में जा कर एक लोटा पानी माँगूँ तो न मिले। भला खटिया कौन देगा!.."(पूरा पढ़ें)